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गीता और कुरान में व्याप्त दार्शनिक विचारों पर होगी तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी

अजमेर में श्रीमद भागवत गीता और कुरान में व्याप्त दार्शनिक विचार और मूल्यों के विषय पर भारतीय अनुसंधान परिषद की तरफ से तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें दोनों धर्मों से जुड़े विद्वान भाग लेंगे. संगोष्ठी का उद्देश्य सांप्रदायिक सद्भाव है. इस तरह की संगोष्ठी से दोनों ही धर्म की अच्छाइयों को मानवता के लिए उपयोग किया जाना है.

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Published : Jun 15, 2019, 9:20 PM IST

अजमेर में तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

अजमेर. भारतीय अनुसंधान परिषद की ओर से श्रीमान भागवत गीता और कुरान में व्याप्त दार्शनिक विचार और मूल्य विषयक पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन अजमेर में हो रहा है. महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय और अरबी फारसी शोध संस्थान टोंक के संयुक्त तत्वधान में संगोष्ठी का आयोजन किया गया है. संगोष्ठी में मानवीय समाज को उत्कृष्ट बनाने वाले तत्वों का विश्लेषण, दोनों धर्मों से जुड़े विद्वान जन करेंगे.

अजमेर में तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

दरअसल, संसार के सभी धर्म, प्रकृति के साथ मनुष्य सुसंस्कृति का समन्वय बैठाकर मानवीय जीवन स्तर को सुसंस्कृत बनाने का अद्भुत कार्य करते हैं. इन्हीं तत्वों पर मंथन शनिवार से शुरू किया गया है, जो कि 17 जून तक तीन दिवसीय संगोष्ठी के रूप में होगा. हालांकि, संगोष्ठी के पहले दिन उद्घाटन सत्र में भारतीय अनुसंधान परिषद के चेयरमैन प्रोफेसर आरसी सिन्हा, मुख्य अतिथि रहे. इसमें राजस्थान सहित भारत के 8 राज्यों से आए प्रतिभागी विषय अनुसार पत्र वाचन करेंगे. पहले दिन गीता और कुरान के जानकार विद्वानों ने दोनों ही धार्मिक पुस्तक की मनुष्य जीवन में उपयोगिता पर अपने विचार रखें.

बता दें, कार्यक्रम में कृष्ण भक्ति, वैदिक परंपराओं और इस्लामिक दार्शनिक परंपरा की विद्वानों द्वारा विभिन्न सत्रों के दौरान व्याख्यान प्रस्तुत किए जाएंगे. इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के समन्वयक डॉ अली खान, अकादमिक समन्वयक डॉ लक्ष्मी अय्यर और सह समन्वयक डॉक्टर सूरज राव हैं.

अकादमिक समन्वयक डॉ लक्ष्मी अय्यर और सह समन्वयक डॉ सूरज राव ने बताया कि संगोष्ठी का उद्देश्य सांप्रदायिक सद्भाव है. इस तरह की संगोष्ठी से दोनों ही धर्म की अच्छाइयों को मानवता के लिए उपयोग किया जाना है. उन्होंने बताया कि संगोष्ठी के साथ ही श्रीमद्भागवत गीता और कुरान शरीफ में व्याप्त आर्थिक मूल्य और मानवता को शत गमन की ओर ले जाने वाले चित्रों की प्रदर्शनी भी 16 जून को लगाई जाएगी.

अजमेर. भारतीय अनुसंधान परिषद की ओर से श्रीमान भागवत गीता और कुरान में व्याप्त दार्शनिक विचार और मूल्य विषयक पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन अजमेर में हो रहा है. महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय और अरबी फारसी शोध संस्थान टोंक के संयुक्त तत्वधान में संगोष्ठी का आयोजन किया गया है. संगोष्ठी में मानवीय समाज को उत्कृष्ट बनाने वाले तत्वों का विश्लेषण, दोनों धर्मों से जुड़े विद्वान जन करेंगे.

अजमेर में तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

दरअसल, संसार के सभी धर्म, प्रकृति के साथ मनुष्य सुसंस्कृति का समन्वय बैठाकर मानवीय जीवन स्तर को सुसंस्कृत बनाने का अद्भुत कार्य करते हैं. इन्हीं तत्वों पर मंथन शनिवार से शुरू किया गया है, जो कि 17 जून तक तीन दिवसीय संगोष्ठी के रूप में होगा. हालांकि, संगोष्ठी के पहले दिन उद्घाटन सत्र में भारतीय अनुसंधान परिषद के चेयरमैन प्रोफेसर आरसी सिन्हा, मुख्य अतिथि रहे. इसमें राजस्थान सहित भारत के 8 राज्यों से आए प्रतिभागी विषय अनुसार पत्र वाचन करेंगे. पहले दिन गीता और कुरान के जानकार विद्वानों ने दोनों ही धार्मिक पुस्तक की मनुष्य जीवन में उपयोगिता पर अपने विचार रखें.

बता दें, कार्यक्रम में कृष्ण भक्ति, वैदिक परंपराओं और इस्लामिक दार्शनिक परंपरा की विद्वानों द्वारा विभिन्न सत्रों के दौरान व्याख्यान प्रस्तुत किए जाएंगे. इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के समन्वयक डॉ अली खान, अकादमिक समन्वयक डॉ लक्ष्मी अय्यर और सह समन्वयक डॉक्टर सूरज राव हैं.

अकादमिक समन्वयक डॉ लक्ष्मी अय्यर और सह समन्वयक डॉ सूरज राव ने बताया कि संगोष्ठी का उद्देश्य सांप्रदायिक सद्भाव है. इस तरह की संगोष्ठी से दोनों ही धर्म की अच्छाइयों को मानवता के लिए उपयोग किया जाना है. उन्होंने बताया कि संगोष्ठी के साथ ही श्रीमद्भागवत गीता और कुरान शरीफ में व्याप्त आर्थिक मूल्य और मानवता को शत गमन की ओर ले जाने वाले चित्रों की प्रदर्शनी भी 16 जून को लगाई जाएगी.

Intro:अजमेर। भारतीय अनुसंधान परिषद की ओर से प्रायोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी श्रीमान भागवत गीता एवं कुरान में व्याप्त दार्शनिक विचार एवं मूल्य विषयक पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन अजमेर में हो रहा है। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय एवं अरबी फारसी शोध संस्थान टोंक के नित संयुक्त तत्वधान में संगोष्ठी का आयोजन हो रहा है।

संगोष्ठी में मानवीय समाज को उत्कृष्ट बनाने वाले तत्वों का विश्लेषण दो धर्मों के जुड़े विद्वान जन करेंगे। संसार के सभी धर्म प्रकृति के साथ मनुष्य सुसंस्कृति का समन्वय बैठा कर मानवीय जीवन स्तर को सुसंस्कृत बनाने का अद्भुत कार्य करते हैं। इन्हीं तत्वों पर मंथन आज से शुरू किया गया है जो कि 17 जून तक तीन दिवसीय संगोष्ठी में होगा। संगोष्ठी के पहले दिन उद्घाटन सत्र में भारतीय अनुसंधान परिषद के चेयरमैन प्रोफेसर आरसी सिन्हा मुख्य अतिथि रहे। इसमें राजस्थान सहित भारत के 8 राज्यों से आए प्रतिभागी विषय अनुसार पत्र वाचन करेंगे। पहले दिन गीता और कुरान के जानकार विद्वानों ने दोनों ही धार्मिक पुस्तक की मनुष्य जीवन में उपयोगिता पर अपने विचार रखें।

कार्यक्रम में कृष्ण भक्ति एवं वैदिक परंपराओं तथा इस्लामिक दार्शनिक परंपरा की विद्वानों द्वारा विभिन्न सत्रों के दौरान व्याख्यान प्रस्तुत किए जाएंगे। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के समन्वयक डॉ अली खान, अकादमिक समन्वयक डॉ लक्ष्मी अय्यर तथा सह समन्वयक डॉक्टर सूरज राव है।

अकादमिक समन्वयक डॉ लक्ष्मी अय्यर तथा सह समन्वयक डॉ सूरज राव ने बताया कि संगोष्ठी का उद्देश्य सांप्रदायिक सद्भाव है इस तरह की संगोष्ठी से दोनों ही धर्म की अच्छाइयों को मानवता के लिए उपयोग किया जाना है उन्होंने बताया कि संगोष्ठी के साथ ही श्रीमद्भागवत गीता और कुरान शरीफ में व्याप्त आर्थिक मूल्य एवं मानवता को शत गमन की ओर ले जाने वाले चित्रों की प्रदर्शनी धी 16 जून को लगाई जाएगी ...
बाइट- लक्ष्मी अय्यर अकादमिक समन्वयक
बाइट- डॉक्टर सूरज राव- सह समन्वयक

संगोष्ठी का उद्देश्य दो धर्मों को नजदीक लाना है। ताकि समाज में व्याप्त द्वेष खत्म हो सके।



Body:प्रियांक शर्मा


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