पुष्कर (अजमेर). इस बार कृष्ण पक्ष के माघ माह में मौनी अमावस्या विशेष संयोग बना है. देशभर से आए श्रद्धालु पुष्कर के सरोवर पर विशेष पूजा अर्चना कर रहे हैं. पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए इस दिन तर्पण करने का विशेष महत्व होता है.
मान्यता है, कि माघ मास की अमावस अक्षय फल देने वाली है. मौनी अमावस्या पर मौन रहकर तीर्थ में स्नान, दान, पुण्य का अक्षय गुना फल बताया गया है. मौनी अमावस्या से द्वापर युग प्रारम्भ का वर्णन भी है. जब भी यह संयोग होता है, बड़ी संख्या में श्रद्धालु पुष्कर पहुंचते हैं. मौनी अमावस्या के चलते अल सुबह से ही सरोवर के बावन घाटों और बाजारों में मेले जैसा माहौल नजर आया.
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दूरदराज के क्षेत्रों से पहुंचे हजारों श्रद्धालुओं ने पवित्र सरोवर में आस्था की डूबकी लगाई और अपने पूर्वजों का पिण्डदान और तर्पण किया. विशेषकर सरोवर के मुख्य गऊ घाट, ब्रह्म घाट, राम घाट और प्रधान वराह घाट पर हर तरफ वंशजों ने अपने पितरों की आत्मशांति के लिए धार्मिक अनुष्ठान कर परिवार में खुशहाली की कामना की. विशेष बात यह रही, कि जिन श्रद्धालुओं को अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि के बारे में पता नहीं था, उन्होंने भी मौनी अमावस्या का लाभ उठाया. तर्पण और पिण्डदान के लिए हर वर्ग के लोगों में उत्साह देखा गया.