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मौनी अमवस्या विशेष: इस बार बना है विशेष संयोग, पुष्कर में उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब

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Published : Jan 24, 2020, 2:59 PM IST

धार्मिक नगरी पुष्कर में माघ मास की मौनी अमावस्या के दुर्लभ योग पर हजारों श्रद्धालुओं ने आस्था की डूबकी लगाई. साथ ही अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया.

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मौनी अमावस्या का विशेष संयोग

पुष्कर (अजमेर). इस बार कृष्ण पक्ष के माघ माह में मौनी अमावस्या विशेष संयोग बना है. देशभर से आए श्रद्धालु पुष्कर के सरोवर पर विशेष पूजा अर्चना कर रहे हैं. पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए इस दिन तर्पण करने का विशेष महत्व होता है.

मौनी अमावस्या का विशेष संयोग

मान्यता है, कि माघ मास की अमावस अक्षय फल देने वाली है. मौनी अमावस्या पर मौन रहकर तीर्थ में स्नान, दान, पुण्य का अक्षय गुना फल बताया गया है. मौनी अमावस्या से द्वापर युग प्रारम्भ का वर्णन भी है. जब भी यह संयोग होता है, बड़ी संख्या में श्रद्धालु पुष्कर पहुंचते हैं. मौनी अमावस्या के चलते अल सुबह से ही सरोवर के बावन घाटों और बाजारों में मेले जैसा माहौल नजर आया.

यह भी पढे़ं- मौनी अमावस्या स्नान पर्व: काशी के घाटों पर उमड़ी भीड़, श्रद्धालुओं ने लगाई पुण्य की डुबकी

दूरदराज के क्षेत्रों से पहुंचे हजारों श्रद्धालुओं ने पवित्र सरोवर में आस्था की डूबकी लगाई और अपने पूर्वजों का पिण्डदान और तर्पण किया. विशेषकर सरोवर के मुख्य गऊ घाट, ब्रह्म घाट, राम घाट और प्रधान वराह घाट पर हर तरफ वंशजों ने अपने पितरों की आत्मशांति के लिए धार्मिक अनुष्ठान कर परिवार में खुशहाली की कामना की. विशेष बात यह रही, कि जिन श्रद्धालुओं को अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि के बारे में पता नहीं था, उन्होंने भी मौनी अमावस्या का लाभ उठाया. तर्पण और पिण्डदान के लिए हर वर्ग के लोगों में उत्साह देखा गया.

पुष्कर (अजमेर). इस बार कृष्ण पक्ष के माघ माह में मौनी अमावस्या विशेष संयोग बना है. देशभर से आए श्रद्धालु पुष्कर के सरोवर पर विशेष पूजा अर्चना कर रहे हैं. पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए इस दिन तर्पण करने का विशेष महत्व होता है.

मौनी अमावस्या का विशेष संयोग

मान्यता है, कि माघ मास की अमावस अक्षय फल देने वाली है. मौनी अमावस्या पर मौन रहकर तीर्थ में स्नान, दान, पुण्य का अक्षय गुना फल बताया गया है. मौनी अमावस्या से द्वापर युग प्रारम्भ का वर्णन भी है. जब भी यह संयोग होता है, बड़ी संख्या में श्रद्धालु पुष्कर पहुंचते हैं. मौनी अमावस्या के चलते अल सुबह से ही सरोवर के बावन घाटों और बाजारों में मेले जैसा माहौल नजर आया.

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दूरदराज के क्षेत्रों से पहुंचे हजारों श्रद्धालुओं ने पवित्र सरोवर में आस्था की डूबकी लगाई और अपने पूर्वजों का पिण्डदान और तर्पण किया. विशेषकर सरोवर के मुख्य गऊ घाट, ब्रह्म घाट, राम घाट और प्रधान वराह घाट पर हर तरफ वंशजों ने अपने पितरों की आत्मशांति के लिए धार्मिक अनुष्ठान कर परिवार में खुशहाली की कामना की. विशेष बात यह रही, कि जिन श्रद्धालुओं को अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि के बारे में पता नहीं था, उन्होंने भी मौनी अमावस्या का लाभ उठाया. तर्पण और पिण्डदान के लिए हर वर्ग के लोगों में उत्साह देखा गया.

Intro:पुष्कर(अजमेर)धार्मिक नगरी पुष्कर में माघ मास की मोनी अमावस्या के दुर्लभ योग पर हजारो श्रदालुओ ने आस्था की डूबकी लगाकर अपने पूर्वजो को याद किया ।Body:मान्यता है की माघ मास की अमावस अक्षय फल देने वाली है | मोनी अमावस्या पर मौन रहकर तीर्थ में स्नान ,दान ,पुन्य का अक्षय गुना फल महाभारत पर्व में बताया गया है , मौनी अमावस्या से द्धापर युग प्रारम्भ का वर्णन भी है। जब भी यह संयोग होता है श्रदालुओ का रैला पुष्कर में उमड़ पड़ता है । मौनी अमावस्या के चलते अल सुबह से ही सरोवर के बावन घाटो और बाजारों में मेले जैसा माहौल नजर आया । दूर -दराज के क्षेत्रो से पहुँचे हजारो श्रदालुओ ने पवित्र सरोवर में आस्था की डूबकी लगाकर अपने पूर्वजो के पिण्डदान और तर्पण कर उनके निमित्त ब्रह्मणो को यथा शक्ति दान दिया । विशेषकर सरोवर के मुख्य गऊ घाट , ब्रह्म घाट , राम घाट और प्रधान वराह घाट पर हर तरफ वंशजो ने अपने पितरो की आत्मशांति के लिए धार्मिक अनुष्ठान कर परिवार में खुशहाली की कामना की । विशेष बात यह रही की जिन श्रदालुओ को अपने पूर्वजो की मृत्यु तिथि के बारे में पता नहीं था उन्होंने भी मौनी अमावस्या का लाभ उठाया । तर्पण और पिण्डदान के लिए हर वर्ग के लोगो में उत्साह देखा गया ।

बाइट-- सतीश चंद्र तिवाडी, तीर्थ पुरोहित

बाइट-- कैलाश चंद्र अग्रवाल,श्रद्धालुConclusion:
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