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अजमेर: कोरोना से मां का निधन, अंतिम संस्कार के लिए भटकते रहे बेटे - राजस्थान न्यूज

अजमेर में दो बेटे अपनी मां के शव का अंतिम संस्कार करने के लिए भटकते रहे. उन्हें कई श्मशान घाट में भटकना पड़ा लेकिन सब जगह ताला लगा मिला पड़ा. एक व्यक्ति के सहयोग से रात के दो बजे उन्होंने अंतिम संस्कार किया.

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अजमेर में मां के अंतिम संस्कार के लिए बेटे भटकते रहे
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Published : May 24, 2021, 2:25 PM IST

अजमेर. जिले में दो बेटे अपनी कोरोना पीड़ित मां के निधन के बाद अंतिम संस्कार के लिए दर-दर भटकते रहे लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं था. बाद में रात को 2 बजे एक श्मशान स्थल पर उनकी मां का अंतिम संस्कार किया गया.

अजमेर में मां के अंतिम संस्कार के लिए बेटे भटकते रहे

बिहारी गंज में रहने वाले युवक ने बताया कि उसकी मां को कोरोना हो गया था. इलाज के दौरान रेलवे अस्पताल में ही उन्होंने दम तोड़ दिया. इसके बाद उन्हें शव सौंप दिया गया. कोरोना ग्रसित होने के कारण वह शव को घर भी नहीं ले जा सकते थे. ऐसे में प्रशासन के नियम के तहत रात में दाह संस्कार करने के लिए वह शव को लेकर गड्डी मालियान श्मशान गए, जहां पर ताला लटका हुआ था. उन्होंने काफी प्रयास किए लेकिन किसी ने भी उनकी सुध नहीं ली.

यह भी पढ़ें. एंबुलेंस चालक ने मांगे 35 हजार, मजबूर परिजन कार की सीट पर शव बांधकर ले गए

जिसके बाद में वह पहाड़गंज स्थित श्मशान स्थल पहुंचे तो यहां भी ताला लटका देख उन्हें गहरा धक्का लगा. उन्होंने काफी प्रयास किए श्मशान खुलवाने के लिए किसी भी नुमाइंदे ने उनका दर्द नहीं समझा और वहां आने तक की जहमत नहीं उठाई. यहां से थक हार कर और निराश होकर वे ऋषि घाटी स्थित श्मशान पहुंचे, जहां पर उन्हें दिनेश नामक व्यक्ति ने सहयोग प्रदान किया और उनकी मां का अंतिम संस्कार करवाया. इस घटना से प्रशासन के दावों की पोल खुल रही है. प्रशासन को चाहिए कि कोरोना पीड़ित मरीजों के अंतिम संस्कार के लिए विशेष व्यवस्था करे. जिससे कि इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो.

अजमेर. जिले में दो बेटे अपनी कोरोना पीड़ित मां के निधन के बाद अंतिम संस्कार के लिए दर-दर भटकते रहे लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं था. बाद में रात को 2 बजे एक श्मशान स्थल पर उनकी मां का अंतिम संस्कार किया गया.

अजमेर में मां के अंतिम संस्कार के लिए बेटे भटकते रहे

बिहारी गंज में रहने वाले युवक ने बताया कि उसकी मां को कोरोना हो गया था. इलाज के दौरान रेलवे अस्पताल में ही उन्होंने दम तोड़ दिया. इसके बाद उन्हें शव सौंप दिया गया. कोरोना ग्रसित होने के कारण वह शव को घर भी नहीं ले जा सकते थे. ऐसे में प्रशासन के नियम के तहत रात में दाह संस्कार करने के लिए वह शव को लेकर गड्डी मालियान श्मशान गए, जहां पर ताला लटका हुआ था. उन्होंने काफी प्रयास किए लेकिन किसी ने भी उनकी सुध नहीं ली.

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जिसके बाद में वह पहाड़गंज स्थित श्मशान स्थल पहुंचे तो यहां भी ताला लटका देख उन्हें गहरा धक्का लगा. उन्होंने काफी प्रयास किए श्मशान खुलवाने के लिए किसी भी नुमाइंदे ने उनका दर्द नहीं समझा और वहां आने तक की जहमत नहीं उठाई. यहां से थक हार कर और निराश होकर वे ऋषि घाटी स्थित श्मशान पहुंचे, जहां पर उन्हें दिनेश नामक व्यक्ति ने सहयोग प्रदान किया और उनकी मां का अंतिम संस्कार करवाया. इस घटना से प्रशासन के दावों की पोल खुल रही है. प्रशासन को चाहिए कि कोरोना पीड़ित मरीजों के अंतिम संस्कार के लिए विशेष व्यवस्था करे. जिससे कि इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो.

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