किशनगढ़. जिंदगी में परिस्थिति कैसी भी हो, अगर कुछ करने का हौसला है, तो मंजिल पाने से कोई नहीं रोक सकता. ऐसा ही उदाहरण देखने को मिला है अजमेर के जिले किशनगढ़ के गांव दाता में. जहां एक युवक ने मात्र 7000 की रकम से एक छोटा सा व्यवसाय शुरू किया. इस छोटे निवेश से अब यह बिजनेस करोड़ों का हो चुका है और इससे 100 से अधिक लोगों को रोजगार मिला है.
दाता गांव निवासी सेठा सिंह रावत की यह कहानी कई लोगों को प्रेरणा दे रही है. इस सक्सेज स्टोरी का जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने मन की बात कार्यकम में किया. उन्होंने डिजिटल क्रांति का महत्व बताते हुए कहा कि एक गांव का युवक जिसने कोरोना जैसे संकट काल में एक छोटे से व्यवसाय की शुरुआत की और आज करोड़ों का बिजनेस का संचालन कर कई लोगों को रोजगार भी दे रहा है.
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सेठा सिंह रावत ने बताया कि वह एक मिडिल क्लास ग्रामीण परिवार से हैं. 2013 में 12वीं क्लास पास करने के बाद वह टेलर फैक्ट्री में सहायक के काम पर लग गया. इस दौरान फैक्ट्री में लगातार काम के दौरान उसे टेलर लाइन पूरी तरह समझ आने लगी. रावत ने बताया कि पार्ट टाइम के रूप में एक व्यवसाय शुरू किया. इसकी शुरूआत 7 हजार रुपए से एक कमरे में अपने भाई के साथ की. इसके साथ ही क्षेत्र के लोगों से सिलाई का ऑर्डर लेते और कई जगह से माल तैयार करवाकर सप्लाई करने का काम शुरू कर दिया. हालांकि व्यापार के शुरुआती दौर में ही कोरोना संकट काल आ गया. कई लोगों के व्यापार चौपट हो गए.
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रावत ने इस संकट काल में हिम्मत नहीं हारी और इस आपदा के समय को अवसर मानते हुए 2020 में कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) ग्रामीण स्टोर से कांटेक्ट कर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनाया. उन्होंने अपना व्यापार ऑनलाइन करना शुरू किया. रावत मास्क का ऑर्डर ऑनलाइन लेने लगे. धीरे-धीरे मास्क के साथ-साथ ऑनलाइन कपड़े के भी ऑर्डर मिलने लगे और सेठा के सपने को उड़ान मिलने लगी.
रावत ने कहा कि एक जमाने में वह खुद काम की तलाश में थे. वर्तमान में 100 से ज्यादा लोगों को देशभर में रोजगार दे रहे हैं. इसमें 50 से ज्यादा महिलाएं शामिल हैं. उन्हें 8 हजार से लेकर 25 हजार तक की सैलरी दे रहे हैं. रावत ने बताया कि वह अपने काम में महिलाओं को रोजगार देकर आगे बढ़ाना चाहते हैं. उनका लक्ष्य है कि आने वाले कुछ सालों में 500 के करीब महिलाओं को रोजगार देंगे. साथ ही जिन्हें टेलर का काम नहीं आता, उन्हें सिखाने का काम भी करेंगे.
प्रधानमंत्री मोदी ने युवक का उदारहण देकर दुनिया में बनाया आइडियल: रावत का कहना है कि 28 अगस्त, 2022 को मन की बात का 92वां एपिसोड प्रसारित हुआ था. इसमें डिजिटल इंडिया के जिक्र के दौरान पीएम ने उनके ऑनलाइन दर्जी के काम के बारे में जिक्र किया था. इसके बाद उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गयी. पहले वह लोगों से ऑर्डर मांगा करते थे. मन की बात में स्टोरी आने के बाद अब बड़ी-बड़ी कंपनियां आगे होकर उनसे कॉन्टेक्ट करती हैं. रावत ने कहा ऐसा मानो कि उनकी कंपनी पर ऑथराइज ब्ल्यू टिक लग गया हो.
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रावत के पिता एक किसान हैं. उनकी आर्थिक ठीक नहीं थी. 5वीं तक परिवार से अलग रहकर रावत ने अजमेर में एक एनजीओ के स्कूल में पढ़ाई की थी. बाद में 10वीं तक की पढ़ाई बुबानी के सरकारी स्कूल में की. 11वीं-12वीं की पढ़ाई किशनगढ़ के सेंट स्टीफन स्कूल में की.
700 से ज्यादा जिलों में कामः रावत ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 92वें मन की बात कार्यक्रम में उनकी स्टोरी शेयर होने के बाद उनका काम बढ़ता गया. बड़ी-बड़ी कंपनियां उनसे खुद आगे होकर संपर्क करने लगीं. वर्तमान में देशभर में 700 के करीब जिलों में उनका काम चल रहा है. अजमेर से वह प्रॉपर मैन्युफैक्चरिंग का काम करते हैं. रावत ने बताया कि लास्ट ईयर उनकी कंपनी का टर्नओवर 1 करोड़ 50 लाख रुपए था.
राज्यपाल के साथ देखा 100वां एपिसोडः रावत ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात के 100वें एपिसोड को उन्होंने जयपुर स्थित राजभवन में देखा था. जिसमें राज्यपाल कलराज मिश्र सहित कई लोग शामिल हुए थे. रावत ने कहा कि इस प्रोग्राम के बाद से उनका और मनोबल बढ़ा है. रावत ने बताया कि उनकी शादी 2014 में हुई थी. उनके 3 साल का लड़का और डेढ़ साल की बच्ची है. रावत की पत्नी हाउसवाइफ है. रावत ने कहा कि अपनी लाइफ का हीरो हर इंसान है. बस सही समय पर अपनी मंजिल को पाने के लिए पूरे मन से आगे बढ़ने की देर है. मंजिल तो खुद आपका इंतजार कर रही है.