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राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्याल के प्रोफेसर मनीष श्रीमाली 'वैभव' शिखर सम्मेलन में पैनलिस्ट के रूप में चयनित

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Published : Sep 17, 2020, 7:40 AM IST

Rajasthan Central University के प्रोफेसर ने अजमेर सहित पूरे प्रदेश का मान बढ़ाया है. प्रोफेसर मनीष श्रीमाली वैश्विक भारतीय वैज्ञानिक (वैभव) शिखर सम्मेलन कंप्यूटेशनल साइंस एंड कांपलेक्स सिस्टम्स के पैनलिस्ट के रूप में चुने गए हैं.

Vaibhav summit, जयपुर न्यूज
मनीष श्रीमाली वैभव शिखर सम्मेलन में पैनलिस्ट

अजमेर. राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मनीष देव श्रीमाली ने अजमेर का मान बढ़ाया है. प्रोफेसर का चयन वैश्विक भारतीय वैज्ञानिक (वैभव) शिखर सम्मेलन कंप्यूटेशनल साइंस एंड कांपलेक्स सिस्टम्स के पैनलिस्ट के रूप में किया गया है.

प्रोफेसर मनीष देव श्रीमाली ने बताया कि वैश्विक दृष्टिकोण और अनुभव के साथ दुनिया भर में भारतीय वैज्ञानिक, शोधकर्ता एवं शिक्षाविद पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से आत्मनिर्भर भारत की पहल में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. VAIBHAV summit की योजना विश्व के शीर्ष विश्वविद्यालयों और अनुसंधान एवं विकास संगठनों में कार्य कर रहे भारतीय प्रवासियों के साथ मिलकर बनाई गई है, जो परिणाम आधारित अनुसंधान और शिक्षा को सक्षम करने वाले कारकों को मजबूत करेंगे. सोचने की प्रक्रिया, अभ्यास और स्पष्ट उद्देश्यों के लिए समस्या समाधान हेतु अनुसंधान एवं विकास की संस्कृति पर विचार विमर्श में सक्षम बनाने के लिए वैश्विक भारतीय वैज्ञानिक वैभव शिखर सम्मेलन, भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और अकादमिक संगठनों की यह एक सहयोगात्मक पहल है.

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प्रोफेसर श्रीमाली ने बताया कि Vaibhav summit की पहल का उद्देश्य उभरती चुनौतियों को हल करने के लिए वैश्विक भारतीय शोधकर्ता की विशेषज्ञता और ज्ञान का लाभ उठाने के लिए व्यापक कार्य योजना तैयार करना है. साथ ही इससे भारतीय प्रवासी निवासी शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों एक साथ लाने से संगठन का एक ढांचा भी तैयार होगा. सम्मेलन के माध्यम से शिक्षाविदों और वैज्ञानिकों के बीच सामंजस्य और सहयोग को गहराई से प्रतिबिंबित करना है. इसका लक्ष्य वैश्विक आउटरीच के माध्यम से देश में ज्ञान और नवाचारों का वातावरण बनाना है.

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उन्होंने बताया कि सम्मेलन का उद्घाटन 2 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनियाभर के पंजीकृत शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं की उपस्थिति में करेंगे. इसके बाद वेबीनार के माध्यम से 3 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक ऑनलाइन विचार-विमर्श होंगे. 2 नवंबर को समापन सत्र की योजना बनाई गई है. वैभव शिखर सम्मेलन का मूल उद्देश्य भारत में शिक्षा, अनुसंधान और उघमशीलता में प्रगति के तंत्र को अपने सामग्र सतत विकास के एक अनिवार्य तत्व के रूप में सामने लाना है.

अजमेर. राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मनीष देव श्रीमाली ने अजमेर का मान बढ़ाया है. प्रोफेसर का चयन वैश्विक भारतीय वैज्ञानिक (वैभव) शिखर सम्मेलन कंप्यूटेशनल साइंस एंड कांपलेक्स सिस्टम्स के पैनलिस्ट के रूप में किया गया है.

प्रोफेसर मनीष देव श्रीमाली ने बताया कि वैश्विक दृष्टिकोण और अनुभव के साथ दुनिया भर में भारतीय वैज्ञानिक, शोधकर्ता एवं शिक्षाविद पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से आत्मनिर्भर भारत की पहल में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. VAIBHAV summit की योजना विश्व के शीर्ष विश्वविद्यालयों और अनुसंधान एवं विकास संगठनों में कार्य कर रहे भारतीय प्रवासियों के साथ मिलकर बनाई गई है, जो परिणाम आधारित अनुसंधान और शिक्षा को सक्षम करने वाले कारकों को मजबूत करेंगे. सोचने की प्रक्रिया, अभ्यास और स्पष्ट उद्देश्यों के लिए समस्या समाधान हेतु अनुसंधान एवं विकास की संस्कृति पर विचार विमर्श में सक्षम बनाने के लिए वैश्विक भारतीय वैज्ञानिक वैभव शिखर सम्मेलन, भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और अकादमिक संगठनों की यह एक सहयोगात्मक पहल है.

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प्रोफेसर श्रीमाली ने बताया कि Vaibhav summit की पहल का उद्देश्य उभरती चुनौतियों को हल करने के लिए वैश्विक भारतीय शोधकर्ता की विशेषज्ञता और ज्ञान का लाभ उठाने के लिए व्यापक कार्य योजना तैयार करना है. साथ ही इससे भारतीय प्रवासी निवासी शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों एक साथ लाने से संगठन का एक ढांचा भी तैयार होगा. सम्मेलन के माध्यम से शिक्षाविदों और वैज्ञानिकों के बीच सामंजस्य और सहयोग को गहराई से प्रतिबिंबित करना है. इसका लक्ष्य वैश्विक आउटरीच के माध्यम से देश में ज्ञान और नवाचारों का वातावरण बनाना है.

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उन्होंने बताया कि सम्मेलन का उद्घाटन 2 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनियाभर के पंजीकृत शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं की उपस्थिति में करेंगे. इसके बाद वेबीनार के माध्यम से 3 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक ऑनलाइन विचार-विमर्श होंगे. 2 नवंबर को समापन सत्र की योजना बनाई गई है. वैभव शिखर सम्मेलन का मूल उद्देश्य भारत में शिक्षा, अनुसंधान और उघमशीलता में प्रगति के तंत्र को अपने सामग्र सतत विकास के एक अनिवार्य तत्व के रूप में सामने लाना है.

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