अजमेर. पुष्कर मेला 2022 का समापन हो गया. जहां प्रशासन के अधिकारियों ने एक दूसरे की (Pushkar Mela 2022 Ended) पीठ थपथपाई और उन्हें सम्मानित किया गया. लेकिन मेले को सफल बनाने वाले और देसी-विदेशी पर्यटकों का मनोरंजन करने वाले लोक कलाकारों और ग्रामीण खिलाड़ियों का मंच पर सम्मान नहीं किया गया. इससे स्थानीय लोगों में रोष व्याप्त है.
बिना पशुओं के अंतरराष्ट्रीय मेला 2022 शांतिपूर्वक सम्पन्न हुआ, इसके साथ ही प्रशासन और पुलिस ने राहत की सांस ली. मंगलवार को पुष्कर के मेला मैदान में रंगारंग कार्यक्रम के साथ पुष्कर मेले का विधिवत समापन हो गया है. समापन कार्यक्रम से पहले देसी और विदेशी महिलाओं के लिए मटका रेस और नींबू चम्मच रेस का आयोजन हुआ. इसमें स्थानीय ग्रामीण महिलाओं ने बाजी मारी.
वहीं, देसी और विदेशी महिलाओं के बीच हुई रस्साकसी प्रतियोगिता में देसी महिलाओं ने जीत हासिल की. प्रतियोगिता में जहां स्थानीय महिलाओं को जीत की खुशी थी वहीं विदेशी महिलाओं को खेलने का रोमांच था. देसी-विदेशी महिलाओं ने एक दूसरे से गले लग कर खुशी मनाई. प्रतियोगिता के बाद लोक कलाकारों की ओर से विभिन्न रंगारंग कार्यक्रम पेश किए गए. लोक कलाकारों को पारंपरिक वेशभूषा और उनकी कला को देखकर विदेशी सैलानी भी अभीभूत होते हुए नजर आए. राजस्थानी लोक संस्कृति के विविध रंग और विभिन्न संस्कृतियों के समागम की झलक समापन समारोह में दिखाई दी.
कार्यक्रम में मेले में बेहतर सेवा देने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों का हुआ सम्मान : जिला कलेक्टर अंशदीप और एसपी चुनाराम की उपस्थिति में मंच पर विभिन्न विभागों के अधिकारी और कर्मचारियों को मेले में ड्यूटी के दौरान उत्कृष्ट सेवाएं देने पर सम्मानित किया गया. कर्मचारियों और अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने के लिए प्रशासन का यह कार्य सभी को अच्छा लगा, लेकिन लोक कलाकारों और स्थानीय लोगों का रोष तब फूट पड़ा जब कलेक्टर-एसपी सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी कार्यक्रम से चले गए.
लोक कलाकारों और स्थानीय लोगों में रोष : पुष्कर मेले के समापन कार्यक्रम में मटका रेस, नींबू चम्मच रेस और रस्साकसी रेस में विजेताओं और रंगारंग कार्यक्रम (Games and Cultural Programs in Pushkar) पेश करने वाले लोक कलाकारों को मंच पर सम्मान दिए बिना ही कलेक्टर अंशदीप और प्रशासनिक अधिकारियों के चले गए. लोक कलाकारों और स्थानीय लोगों ने उनके इस रवैया को अपना अपमान समझा.
दरअसल, प्रस्थान के नाते उन्हें दी जाने वाली स्मृति चिन्ह एक बॉक्स में भरकर रख दिए गए और कर्मचारियों को उन्हें बांटने के लिए कह दिया गया. इस बात से लोक कलाकारों और स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया. उन्होंने स्मृति चिन्ह लेने से साफ इनकार कर दिया. उनका कहना है कि लोक कलाकारों और कार्यक्रमों में भाग लेने वाली स्थानीय जनता मेले की रौनक होती है. लेकिन प्रशासन के अधिकारियों ने एक दूसरे की पीठ थपथपा ली और लोक कलाकारों एवं प्रतियोगिता में जीत हासिल करने वाली स्थानीय महिलाओं को मंच पर सम्मानित नहीं किया.
यह बोले स्थानीय सहभागी : स्थानीय लोगों ने प्रशासन के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त की. बोरी रेस में तीसरे स्थान पर आने वाली बालिका की मां रेशमा परवीन का आरोप है कि समारोह में प्रतियोगिता में विजेता रहे प्रतिभागी सम्मानित होने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते रहे, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी चले गए. उन्होंने कहा कि प्रशासन के इस रवैया से बच्चों का मनोबल ही टूट गया.
पढ़ें : सवा लाख दीपों से जगमागए पुष्कर सरोवर के 52 घाट, सीएम गहलोत हुए महाआरती में शामिल
रस्साकशी प्रतियोगिता में स्थानीय महिलाओं की टीम की कप्तान परमेश्वरी देवी के पति किशन चौधरी ने कहा कि स्थानीय ग्रामीण महिलाओं ने कड़ी मेहनत करके विदेशी महिलाओं की टीम को रस्साकशी में हराया. प्रतियोगिता के बाद स्थानीय टीम सम्मान प्राप्त करने के लिए अपना इंतजार करती रहीं, लेकिन कलेक्टर कार्यक्रम से रवाना हो गए और कर्मचारियों को स्मृति चिन्ह बांटने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों ने कह दिया, यह एक तरफ से स्थानीय लोगों का अपमान है. मेले की रौनक लोक कलाकारों और मेले में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भाग लेने वाले लोगों से होती है. प्रशासन के इस रवैया से सभी को दुख पहुंचा है.
सामाजिक कार्यकर्ता अरुण पाराशर ने कहा कि मुख्यमंत्री के पुष्कर सरोवर में सवा लाख दीप प्रज्वलित करने के कार्यक्रम को स्थानीय लोगों ने ही सफल बनाया था. स्थानीय शहरी और ग्रामीण लोगों की वजह से ही मेले की रौनक रहती है. उन्होंने कहा कि जन सहभागिता से मेला सफल होता है, प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों से मेला नहीं होता है. मेले की खूबसूरती और रंगत जनता की वजह से बढ़ती है. मेले में सहभागिता निभाने वाले आमजन को किसी को भी प्रशासन ने सम्मानित नहीं किया. पराशर ने आरोप लगाया कि मेले में जिन लोगों की शक्ल तक नहीं देखी गई, उन लोगों का सम्मान समापन समारोह में प्रशासन की ओर से मंच पर किया गया.
पुष्कराज में हजारों श्रद्धालुओं ने किया कार्तिक पूर्णिमा का महास्नान : कार्तिक पूर्णिमा पर पुष्कर मेले में आए हजारों श्रद्धालुओ ने मंगलवार देर शाम खण्डग्रास चन्द्र ग्रहण का असर खत्म होने के उपरांत पुष्कर के पवित्र सरोवर में महास्नान किया. पुष्कर सरोवर के 52 घाटों पर श्रद्धालुओं की देर शाम को स्नान के लिए भीड़ लगी रही. स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने पुष्कर राज की पूजा-अर्चना घर परिवार में खुशहाली और समृद्धि की कामना की. बाद में श्रद्धालुओं ने जगत पिता ब्रम्हा मंदिर के कपाट खुलने के बाद दर्शन किए.
ग्रहण के बाद मंदिरों में हुआ शुद्धिकरण : ग्रहण के बाद जगतपिता ब्रह्मा के मंदिर समेत समस्त मंदिरों में कपाट खोले गए और मंदिरों का शुद्धिकरण विधिवत रूप से किया गया. इसके बाद श्रद्धालुओं को दर्शनों के लिए मंदिरो में प्रवेश दिया गया. कार्तिक महास्नान के उपरांत श्रद्धालुओं ने जगत पिता ब्रह्मा मंदिर समिति स्तर के कई प्रमुख मंदिरों में दर्शन किए.
घाटों पर हुई महाआरती : महास्नान के बाद गऊ घाट, वराह घाट, ब्रह्म घाट, जयपुर घाट और गणगौर घाट एवं यज्ञ घाट पर परंपरागत रूप से महाआरती का आयोजन हुआ. घाटों में होने वाली महाआरती में हजारों श्रद्धालु शामिल हुए.