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पुष्कर पशु मेला 2022 के आयोजन की संभावना, मेले में केवल ऊंट-घोड़े ही ला सकेंगे पशुपालक

पुष्कर पशु मेले में (Effect of Lumpy on Pushkar Cattle Fair) अबकी गाय, बैल, भैंस, गधे और बकरी को शामिल नहीं किया जाएगा. अजमेर पशुपालन विभाग ने इन्हीं सुझावों के साथ कलेक्टर अंशदीप के जरिए राज्य सरकार से मेला आयोजन की स्वीकृति मांगी है. साथ ही प्रशासन और पशुपालन विभाग को उम्मीद है कि इस बार अंतर्राष्ट्रीय पुष्कर पशु मेला का आयोजन होगा. जिसकी विभाग की ओर से तैयारियां भी शुरू कर दी गई है.

पुष्कर पशु मेले की तैयारी शुरू
पुष्कर पशु मेले की तैयारी शुरू
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Published : Sep 23, 2022, 7:27 PM IST

Updated : Sep 23, 2022, 10:46 PM IST

अजमेर: अगर अबकी पुष्कर पशु मेले (Pushkar Cattle Fair 2022) का आयोजन होता है तो इस मेले में केवल ऊंट, घोड़े ही नजर आएंगे. गाय, बैल, भैंस, गधे और बकरी को मेले में शामिल नहीं किया जाएगा. अजमेर पशुपालन विभाग ने इन्हीं सुझावों के साथ कलेक्टर अंशदीप (Collector Anshdeep) के जरिए राज्य सरकार से मेला आयोजन की स्वीकृति मांगी है. साथ ही प्रशासन और पशुपालन विभाग को उम्मीद है कि इस बार अंतर्राष्ट्रीय पुष्कर पशु मेला का आयोजन होगा. यही वजह है कि पशुपालन विभाग अभी से ही मेले की तैयारियों में जुट गया है.

तीर्थ नगरी पुष्कर के श्री पुष्कर पशु मेले की ख्याति देश ही नहीं, बल्कि विदेशों तक है. पुष्कर के पशु मेले में मिट्टी के टीलों पर सजने वाली सतरंगी लोक संस्कृति से आकर्षित होकर देश-दुनिया से भारी संख्या में पर्यटक पुष्कर आते हैं. लेकिन पिछले दो वर्षों से कोरोना की वजह से पुष्कर पशु मेले का आयोजन नहीं हो सका था. इस कारण पर्यटन उद्योग और पशुपालकों को भी खासा नुकसान झेलना पड़ा था.

पुष्कर पशु मेले की तैयारी में जुटा पशुपालन विभाग

वहीं, वर्तमान में लंपी संक्रमण के कारण मेले में गाय, बैल, भैंस, गधे और बकरी को शामिल नहीं किया जाएगा. वहीं, स्थानीय अधिकारियों ने अभी से ही आयोजन की तैयारियां शुरू कर दी है. विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. प्रफुल्ल माथुर ने बताया कि वर्षों से पुष्कर में पशु मेले का आयोजन होता आया है. विदेशों से पर्यटक मेला देखने के लिए पुष्कर आते हैं. सतरंगी लोक संस्कृति और ऊंट विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करते रहे हैं.

इसे भी पढ़ें - पुष्कर पशु मेले पर लंपी बीमारी का ग्रहण! सरकार के निर्णय पर टिकी सबकी निगाहें

मेले में पशुओं की खरीद होने से पशुपालकों को आर्थिक तौर पर लाभ होता है. उन्होंने बताया कि कोरोना की वजह से गत वर्ष 4 हजार 717 पशु ही मेले में आए थे. इनमें से 2 हजार 291 पशुओं की ही खरीदी हुई थी. पशुओं का 3 करोड़ 77 लाख 27 हजार 30 रुपए का कारोबार हुआ था, जबकि गत वर्ष पशुओं की संख्या काफी कम थी. उन्होंने बताया कि पशु मेले में देश के कई राज्यों से पशुपालक आते हैं. बता दें कि पुष्कर पशु मेला दीपावली के बाद शुरू होता है, जो कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है. सरकारी तौर पर मेला 10 दिवसीय होता है. लेकिन अबकी जिले के पशुधन विभाग के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं. जिसमें सबसे अहम जिले में गायों की वैक्सीनेशन है. पशु मेले के लिए वैक्सीनेशन का कार्यक्रम एक माह बाद जिले में करवाने का भी सुझाव दिया गया है.

अजमेर: अगर अबकी पुष्कर पशु मेले (Pushkar Cattle Fair 2022) का आयोजन होता है तो इस मेले में केवल ऊंट, घोड़े ही नजर आएंगे. गाय, बैल, भैंस, गधे और बकरी को मेले में शामिल नहीं किया जाएगा. अजमेर पशुपालन विभाग ने इन्हीं सुझावों के साथ कलेक्टर अंशदीप (Collector Anshdeep) के जरिए राज्य सरकार से मेला आयोजन की स्वीकृति मांगी है. साथ ही प्रशासन और पशुपालन विभाग को उम्मीद है कि इस बार अंतर्राष्ट्रीय पुष्कर पशु मेला का आयोजन होगा. यही वजह है कि पशुपालन विभाग अभी से ही मेले की तैयारियों में जुट गया है.

तीर्थ नगरी पुष्कर के श्री पुष्कर पशु मेले की ख्याति देश ही नहीं, बल्कि विदेशों तक है. पुष्कर के पशु मेले में मिट्टी के टीलों पर सजने वाली सतरंगी लोक संस्कृति से आकर्षित होकर देश-दुनिया से भारी संख्या में पर्यटक पुष्कर आते हैं. लेकिन पिछले दो वर्षों से कोरोना की वजह से पुष्कर पशु मेले का आयोजन नहीं हो सका था. इस कारण पर्यटन उद्योग और पशुपालकों को भी खासा नुकसान झेलना पड़ा था.

पुष्कर पशु मेले की तैयारी में जुटा पशुपालन विभाग

वहीं, वर्तमान में लंपी संक्रमण के कारण मेले में गाय, बैल, भैंस, गधे और बकरी को शामिल नहीं किया जाएगा. वहीं, स्थानीय अधिकारियों ने अभी से ही आयोजन की तैयारियां शुरू कर दी है. विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. प्रफुल्ल माथुर ने बताया कि वर्षों से पुष्कर में पशु मेले का आयोजन होता आया है. विदेशों से पर्यटक मेला देखने के लिए पुष्कर आते हैं. सतरंगी लोक संस्कृति और ऊंट विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करते रहे हैं.

इसे भी पढ़ें - पुष्कर पशु मेले पर लंपी बीमारी का ग्रहण! सरकार के निर्णय पर टिकी सबकी निगाहें

मेले में पशुओं की खरीद होने से पशुपालकों को आर्थिक तौर पर लाभ होता है. उन्होंने बताया कि कोरोना की वजह से गत वर्ष 4 हजार 717 पशु ही मेले में आए थे. इनमें से 2 हजार 291 पशुओं की ही खरीदी हुई थी. पशुओं का 3 करोड़ 77 लाख 27 हजार 30 रुपए का कारोबार हुआ था, जबकि गत वर्ष पशुओं की संख्या काफी कम थी. उन्होंने बताया कि पशु मेले में देश के कई राज्यों से पशुपालक आते हैं. बता दें कि पुष्कर पशु मेला दीपावली के बाद शुरू होता है, जो कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है. सरकारी तौर पर मेला 10 दिवसीय होता है. लेकिन अबकी जिले के पशुधन विभाग के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं. जिसमें सबसे अहम जिले में गायों की वैक्सीनेशन है. पशु मेले के लिए वैक्सीनेशन का कार्यक्रम एक माह बाद जिले में करवाने का भी सुझाव दिया गया है.

Last Updated : Sep 23, 2022, 10:46 PM IST
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