अजमेर. प्रोस्टेट के बढ़ने की समस्या 50 वर्ष की अधिक आयु वर्ग के पुरुषों में सामान्यतः देखी जाती है. इस रोग को Benign prostatic Hyperplasia (BPH) के नाम से जाना जाता है. एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति में प्रोस्टेट का इलाज का एकमात्र ऑपरेशन ही माना जाता है, लेकिन होम्योपैथी पद्धति में इसका इलाज दवाओं से संभव है. जानिए होम्योपैथी विभाग से सेवानिवृत्त उप निदेशक डॉ एसएस तड़ागी से प्रोस्टेट बढ़ने के कारण, लक्षण और बचाव के हेल्थ टिप्स.
प्रोस्टेट बढ़ने की समस्या अधिकांश बुजुर्गों में होती है. प्रोस्टेट एक ग्रंथि है जो केवल पुरुषों में ही होती है. प्रोस्टेट अखरोट के आकार जैसा होता है जो मूत्राशय की ग्रीवा के नीचे मूत्र मार्ग के इर्द गिर्द मौजूद रहता है. इसका सामान्यतः साइज 18 से 20 ग्राम होता है. इससे ज्यादा साइज बढ़ने पर पुरुषों को कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होती है. डॉ एसएस तड़ागी बताते हैं कि प्रोस्टेट मूत्र प्रक्रिया को नियंत्रित करता है. जब प्रोस्टेट का साइज बढ़ने लगता है तो मूत्र त्यागने में समस्या आती है. मूत्र की थैली पूरी तरह से खाली नहीं हो पाती है इस कारण मरीज को बार बार मूत्र त्यागने की शिकायत होती है. वे कहते हैं कि प्रोस्टेट बढ़ने को सर्जिकल डिजीज माना जाता है यानी इसका ऑपरेशन के जरिए इलाज होता है. जबकि होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति में इसका इलाज दवाओं से किया जाता है जो 100 प्रतिशत कारगर है.
डॉ एसएस तड़ागी कहते हैं कि कई रोगियों को ऑपरेशन के बाद भी प्रोस्टेट बढ़ने की समस्या आती है. लेकिन होम्योपैथिक दवाओं से किए गए उपचार के बाद प्रोस्टेट दोबारा नहीं बढ़ता है. साथ ही ये भी कहते हैं कि होम्योपैथी पद्धति से 50 ग्राम वजन तक प्रोस्टेट के बढ़ने तक ही उपचार संभव है. उन्होंने बताया कि 50 ग्राम तक प्रोस्टेट बढ़ने तक रोगी को पूर्ण रूप से ठीक होने में 6 से 12 माह का समय लगता है. इसके लिए रोगी को नियमित रूप से चिकित्सक के परामर्श से दवा लेनी होती है.
डॉ तड़ागी की बताते हैं कि प्रोस्टेट बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं. सामान्यत: यह बढ़ती हुई उम्र के साथ बढ़ता है. लेकिन कई लोगों को यूरिन इन्फेक्शन, प्रोस्टेट कैंसर के कारण भी यह बढ़ने लगता है. इसके लिए आवश्यक है कि 50 वर्ष की अधिक आयु वर्ग के लोगों को प्रोस्टेट के चिकित्सक की सलाह पर पीएसए या सोनोग्राफी जांच आवश्यक रूप से करानी चाहिए. ताकि प्रोस्टेट के बढ़ने का पता चलते ही उपचार जल्द ही शुरू हो सके.
प्रोस्टेट बढ़ने के लक्षण : डॉ तड़ागी बताते हैं कि प्रोस्टेट बढ़ने की समस्या रोगी को कई बार पता ही नहीं चलती. जब मूत्र त्यागने में उसे समस्या होती है या बार-बार मूत्र आता है तब जाकर रोगी चिकित्सक से परामर्श लेता है. उन्होंने बताया कि प्रोस्टेट बढ़ने पर रोगी को बार-बार मूत्र त्यागने जाना पड़ता है. कई बार रोगी के बूंद-बूंद मूत्र आता है तो कभी पतली धार में मूत्र आता है. प्रोस्टेट बढ़ने से रोगी को मूत्र त्यागने में सामान्य व्यक्ति की अपेक्षा ज्यादा समय लगता है. डॉ तड़ागी ने बताया कि कई बार प्रोस्टेट बढ़ने का कारण इन्फेक्शन भी होता है या प्रोस्टेट बढ़ने पर यूरिन इन्फेक्शन भी हो सकता है. जैसे रोगी को बुखार भी आता है. वही बहुत ज्यादा बढ़ने पर ब्लीडिंग की समस्या भी हो सकती है. उन्होंने बताया कि कई बार रोगी को प्रोस्टेट कैंसर भी हो जाता है.