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Health Tips: फरवरी-मार्च में श्वास के रोगी रहें सजग, डॉक्टर्स ने बताए ये टिप्स

श्वास रोगियों के लिए फरवरी और मार्च का महीना मौसम में बदलाव के चलते खतरनाक होता (Tips for asthma patients) है. ऐसे में रोगियों को सावधानी से काम लेना चाहिए. यहां पढ़ें चिकित्सक के बताए टिप्स...

Tips for asthma patients
Health Tips: फरवरी-मार्च में श्वास के रोगी रहें सजग, डॉक्टर्स ने बताए ये टिप्स
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Published : Feb 6, 2023, 11:47 PM IST

चिकित्सक ने दिए श्वास के रोगियों के लिए बचाव के टिप्स

अजमेर. श्वास रोगियों के लिए फरवरी और मार्च का माह में विशेष सजगता रखने की जरूरत होती है. इन दिनों अस्पतालों में सबसे ज्यादा मरीज श्वास संबंधी बीमारियों से ग्रसित ही आ रहे हैं. ऐसे में यदि आप भी एलर्जिक या अस्थमा से ग्रसित हैं, तो पहले ही सजग हो जाइए. अजमेर संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल के अधीक्षक एवं वरिष्ठ चिकित्सक डॉ नीरज गुप्ता ने इस बारे में टिप्स शेयर किए हैं.

श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ नीरज गुप्ता ने बताया कि फरवरी और मार्च के महीने में अचानक मौसम में आए बदलाव से अस्पताल में श्वास रोग विभाग की ओपीडी में मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. इस मौसम में श्वास संबंधी रोगियों को श्वास उखड़ने शिकायत होती है. समय पर रोगी को इलाज नहीं मिले तो यह जानलेवा भी साबित हो सकती है. डॉ गुप्ता ने बताया कि एलर्जी और अस्थमा के मरीजों को विशेष सावधानी रखने की जरूरत होती है. उन्होंने बताया कि एलर्जी और अस्थमा के रोगी फरवरी और मार्च महीने में सुबह के वक्त बाहर निकलने में परहेज रखें. वहीं सुबह अपने घर की खिड़की और दरवाजे भी बंद रखें. सुबह की हवा में परागकण अधिक पाए जाते हैं. इस कारण श्वास रोगियों की समस्या और बढ़ जाती है.

पढ़ें: अस्थमा का प्राकृतिक उपचार : सुखीभवा वेलनेस रामोजी फिल्म सिटी

श्वास उखाड़ने पर तुरंत चिकित्सक से करें संपर्क: डॉ गुप्ता ने बताया कि किसी भी व्यक्ति को पहली बार श्वास संबंधी बीमारी होने पर वह तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें. उन्होंने बताया कि श्वास उखड़ने के दो कारण हो सकते हैं. इसका पहला कारण हृदय रोग भी हो सकता है. ऐसे में मरीज की पहले ईसीजी करवाई जाती है. हृदय संबंधी चिकित्सक ईसीजी रिपोर्ट को देखते हैं और उचित परामर्श देते हैं. वहीं दूसरा कारण एलर्जी या अस्थमा की जांच इसपायरोमिट्री होती है. जांच रिपोर्ट के आधार पर चिकित्सक मरीज को दवा और इनहेलर लिखते हैं. उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में जांच और दवा की निशुल्क व्यवस्था है.

इसलिए होती है परेशानी: डॉ ने गुप्ता ने बताया कि फरवरी और मार्च माह में मौसम में बदलाव रहता है. हवा में कई तरह के कण मौजूद रहते हैं. इस मौसम में पतझड़ होने के कारण परागकण हवा में तैरते हुए स्वास्थ्य के जरिए भीतर चले जाते हैं जिस कारण रोगी को काफी परेशानी होती है और उसकी सांसें उखड़ने लगती है. इसके अलावा वायरल इनफेक्शन, होली के दिनों में धूल का माहौल श्वास के रोगियों के लिए चुनौतीपूर्ण रहता है.

पढ़ें: श्वास रोग पर राज्य स्तरीय कॉन्फ्रेंस आज, विख्यात डॉक्टर पेश करेंगे शोधपत्र

पहले से हो जाएं सजग: श्वास संबंधी रोग के विशेषज्ञ डॉ नीरज गुप्ता ने बताया कि एलर्जी और अस्थमा के रोगियों को पहले से ही सजग हो जाना चाहिए. मौसम में बदलाव के बाद उन्हें होने वाली परेशानी से निजात दिलाने के लिए उन्हें आवश्यक दवाइयां और इनहेलर अपने साथ रखने की जरूरत है. लेकिन उससे पहले वह अपने चिकित्सक से परामर्श लें. एंटी एलर्जी दवा और इनहेलर का उपयोग चिकित्सक की सलाह पर ही करें.

उन्होंने बताया कि कई मरीज ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं जो इनहेलर को कलर कोड से ही पहचान पाते हैं. ऐसे में रेड, पिंक, ब्राउन कलर के इनहेलर उपयोग के लिए होते हैं. इसमें ब्राउन कलर का इनहेलर ज्यादा मुफीद रहता है. जबकि ब्लू कलर के इनहेलर का उपयोग तत्काल राहत के लिए किया जाता है. डॉ गुप्ता ने बताया कि हवा में पराग करण से बचने के लिए रोगी मास्क जरूर लगाएं. साथ ही दही, छाछ और केला के सेवन से परहेज करें.

चिकित्सक ने दिए श्वास के रोगियों के लिए बचाव के टिप्स

अजमेर. श्वास रोगियों के लिए फरवरी और मार्च का माह में विशेष सजगता रखने की जरूरत होती है. इन दिनों अस्पतालों में सबसे ज्यादा मरीज श्वास संबंधी बीमारियों से ग्रसित ही आ रहे हैं. ऐसे में यदि आप भी एलर्जिक या अस्थमा से ग्रसित हैं, तो पहले ही सजग हो जाइए. अजमेर संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल के अधीक्षक एवं वरिष्ठ चिकित्सक डॉ नीरज गुप्ता ने इस बारे में टिप्स शेयर किए हैं.

श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ नीरज गुप्ता ने बताया कि फरवरी और मार्च के महीने में अचानक मौसम में आए बदलाव से अस्पताल में श्वास रोग विभाग की ओपीडी में मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. इस मौसम में श्वास संबंधी रोगियों को श्वास उखड़ने शिकायत होती है. समय पर रोगी को इलाज नहीं मिले तो यह जानलेवा भी साबित हो सकती है. डॉ गुप्ता ने बताया कि एलर्जी और अस्थमा के मरीजों को विशेष सावधानी रखने की जरूरत होती है. उन्होंने बताया कि एलर्जी और अस्थमा के रोगी फरवरी और मार्च महीने में सुबह के वक्त बाहर निकलने में परहेज रखें. वहीं सुबह अपने घर की खिड़की और दरवाजे भी बंद रखें. सुबह की हवा में परागकण अधिक पाए जाते हैं. इस कारण श्वास रोगियों की समस्या और बढ़ जाती है.

पढ़ें: अस्थमा का प्राकृतिक उपचार : सुखीभवा वेलनेस रामोजी फिल्म सिटी

श्वास उखाड़ने पर तुरंत चिकित्सक से करें संपर्क: डॉ गुप्ता ने बताया कि किसी भी व्यक्ति को पहली बार श्वास संबंधी बीमारी होने पर वह तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें. उन्होंने बताया कि श्वास उखड़ने के दो कारण हो सकते हैं. इसका पहला कारण हृदय रोग भी हो सकता है. ऐसे में मरीज की पहले ईसीजी करवाई जाती है. हृदय संबंधी चिकित्सक ईसीजी रिपोर्ट को देखते हैं और उचित परामर्श देते हैं. वहीं दूसरा कारण एलर्जी या अस्थमा की जांच इसपायरोमिट्री होती है. जांच रिपोर्ट के आधार पर चिकित्सक मरीज को दवा और इनहेलर लिखते हैं. उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में जांच और दवा की निशुल्क व्यवस्था है.

इसलिए होती है परेशानी: डॉ ने गुप्ता ने बताया कि फरवरी और मार्च माह में मौसम में बदलाव रहता है. हवा में कई तरह के कण मौजूद रहते हैं. इस मौसम में पतझड़ होने के कारण परागकण हवा में तैरते हुए स्वास्थ्य के जरिए भीतर चले जाते हैं जिस कारण रोगी को काफी परेशानी होती है और उसकी सांसें उखड़ने लगती है. इसके अलावा वायरल इनफेक्शन, होली के दिनों में धूल का माहौल श्वास के रोगियों के लिए चुनौतीपूर्ण रहता है.

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पहले से हो जाएं सजग: श्वास संबंधी रोग के विशेषज्ञ डॉ नीरज गुप्ता ने बताया कि एलर्जी और अस्थमा के रोगियों को पहले से ही सजग हो जाना चाहिए. मौसम में बदलाव के बाद उन्हें होने वाली परेशानी से निजात दिलाने के लिए उन्हें आवश्यक दवाइयां और इनहेलर अपने साथ रखने की जरूरत है. लेकिन उससे पहले वह अपने चिकित्सक से परामर्श लें. एंटी एलर्जी दवा और इनहेलर का उपयोग चिकित्सक की सलाह पर ही करें.

उन्होंने बताया कि कई मरीज ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं जो इनहेलर को कलर कोड से ही पहचान पाते हैं. ऐसे में रेड, पिंक, ब्राउन कलर के इनहेलर उपयोग के लिए होते हैं. इसमें ब्राउन कलर का इनहेलर ज्यादा मुफीद रहता है. जबकि ब्लू कलर के इनहेलर का उपयोग तत्काल राहत के लिए किया जाता है. डॉ गुप्ता ने बताया कि हवा में पराग करण से बचने के लिए रोगी मास्क जरूर लगाएं. साथ ही दही, छाछ और केला के सेवन से परहेज करें.

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