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रक्षाबंधन के दिन पुष्कर सरोवर पर किया हेमाद्रि स्नान...जानें क्या है मान्यता

रक्षाबंधन के पर्व पर बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी यानी कि रक्षासूत्र बांधती हैं. भाई अपनी बहनों को सुरक्षा का वचन देते हैं तो वहीं राजस्थान के पुष्कर में तीर्थ पुरोहित विशेष श्रावणी स्नान करते हैं. सोमवार को धार्मिक नगरी पुष्कर में स्थानीय पुरोहितों ने पवित्र सरोवर में होने वाला विशेष श्रावणी स्नान किया.

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पुष्कर सरोवर पर किया हेमाद्रि स्नान
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Published : Aug 3, 2020, 5:55 PM IST

पुष्कर (अजमेर). पौराणिक शास्त्रों में ऐसी मान्यता रही है कि श्रावण मास की पूर्णिमा पर दसविद स्नान कर श्रावणी कर्म करने से विप्र समाज को ज्ञात और अज्ञात पापों से मुक्ति मिलती है. इसी मान्यता के अनुरूप पुष्कर सरोवर के मुख्य घाटों पर सैकड़ों पुरोहितों ने 108 स्नान कर पापों का प्रायश्चित किया.

पुष्कर सरोवर पर किया हेमाद्रि स्नान

पुष्कर सरोवर के राम घाट, ब्रह्म घाट और वराह घाट पर सोमवार को श्रावणी कर्म करने वाले ब्रह्मणों का तांता लग गया. मुख्य आचार्य पवन राजऋषि के सानिध्य में किये गये इस अनुष्ठान में पहले दसविद स्नान किया गया. इसके अंतर्गत गौमूत्र, घी, पूसा, स्वर्ण, गोबर, दूध, मृतिका, फल, वनस्पति और दरमा का स्पर्श कर शरीर को पवित्र किया गया. इसके बाद भी वैदिक मंत्रोच्चार के साथ अलग-अलग वस्तुओं से स्नान हुए.

पढ़ेंः कोरोना काल में बदला 'रक्षा' का स्वरूप...उपहार में मिले मास्क और सैनिटाइजर

ब्राह्मण समाज ने शुद्धिकरण और देव कर्म करने का अधिकार प्राप्त करने के लिए इस धार्मिक अनुष्ठान में उत्साह के साथ भाग लिया. श्रावणी कर्म के दौरान सभी हिन्दू देवी देवताओं को अर्क देकर मानव मात्र के कल्याण की कामना की. इस अवसर पर ऋषि मुनियों और अपने-अपने आराध्यों को तर्पण भी दिया गया. पुरोहितों के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा को श्रवण नक्षत्र होने के कारण श्रावणी कर्म करने का विशेष महत्व होता है.

पुष्कर (अजमेर). पौराणिक शास्त्रों में ऐसी मान्यता रही है कि श्रावण मास की पूर्णिमा पर दसविद स्नान कर श्रावणी कर्म करने से विप्र समाज को ज्ञात और अज्ञात पापों से मुक्ति मिलती है. इसी मान्यता के अनुरूप पुष्कर सरोवर के मुख्य घाटों पर सैकड़ों पुरोहितों ने 108 स्नान कर पापों का प्रायश्चित किया.

पुष्कर सरोवर पर किया हेमाद्रि स्नान

पुष्कर सरोवर के राम घाट, ब्रह्म घाट और वराह घाट पर सोमवार को श्रावणी कर्म करने वाले ब्रह्मणों का तांता लग गया. मुख्य आचार्य पवन राजऋषि के सानिध्य में किये गये इस अनुष्ठान में पहले दसविद स्नान किया गया. इसके अंतर्गत गौमूत्र, घी, पूसा, स्वर्ण, गोबर, दूध, मृतिका, फल, वनस्पति और दरमा का स्पर्श कर शरीर को पवित्र किया गया. इसके बाद भी वैदिक मंत्रोच्चार के साथ अलग-अलग वस्तुओं से स्नान हुए.

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