अजमेर. शरीर की कोशिकाओं में होने वाले विकार से उत्पन्न चर्म रोग सोरायसिस ऐसी बीमारी है जो बढ़ने पर काफी पीड़ादायक होती है. यह लाइलाज नहीं है. उपचार से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है. अजमेर के चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ संजय पुरोहित से जानते हैं सोरायसिस को लेकर हेल्थ टिप्स.
आमतौर पर शरीर में त्वचा की परतें 28 दिन में बनती हैं, लेकिन सोरायसिस बीमारी होने पर यह प्रक्रिया इतनी तेज हो जाती है कि 4 दिन में त्वचा की परते बनने लगती हैं. डॉ पुरोहित बताते हैं कि सोरायसिस शरीर की कोशिकाओं में उत्पन्न एक विकार है. सोरायसिस बीमारी शरीर के अलग-अलग हिस्सों में हो सकती है. मसलन तलवे और हथेलियों में सोरायसिस बीमारी में अपने आप चीरे लगने लगते हैं. इसमें काफी दर्द होता है और खून भी आने लगता है. सिर पर सोरायसिस रोग बटन की तरह उभर आता है. जिसमें चमड़ी की परत सूखकर निकलने लगती है और काफी खुजली भी होती है.
पढ़ेंः इस रोग का नहीं है कोई इलाज, उपचार-सावधानी से हो सकता है नियंत्रित
इसी प्रकार शरीर के अन्य हिस्सों की त्वचा पर परत बनने की प्रक्रिया तेजी से होने के कारण कई जगह धब्बे उभर आते हैं. त्वचा छिलके की तरह निकलने लगती है और तेज खुजली होती है. उन्होंने बताया कि सोरायसिस का जब विकराल रूप होता है, तब रोगी के 90 प्रतिशत शरीर की त्वचा प्रभावित होती है. इस अवस्था में रोगी का चलना-फिरना, उठना-बैठना, पैरों और हाथों को मोड़ना काफी कष्टदायक हो जाता है. यह अवस्था रोगी के लिए बहुत ही पीड़ादायक होती है. उन्होंने बताया कि यह बीमारी संक्रामक नहीं है. सोरायसिस रोगी से यह रोग किसी अन्य व्यक्ति को नहीं होता है.
सोरायसिस के लक्षणः डॉ संजय पुरोहित बताते हैं कि सोरायसिस के बारे में लोगों को पर्याप्त जानकारी नहीं है और न ही सोरायसिस बीमारी को लेकर कोई प्रचार-प्रसार सरकारी स्तर पर किया जाता है. ऐसे में जब सोरायसिस के शुरुआती लक्षण शरीर पर दिखने लगते हैं, तो लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते. साधारण एलर्जी या मौसमी की त्वचा रोग समझ कर इसको नजरअंदाज करते हैं. जब यह बीमारी बढ़ने लगती है, तब जाकर लोग चिकित्सक के पास इलाज के लिए आते हैं.
पढ़ेंः आम त्वचा रोग नहीं है सिरोसिस : विश्व सिरोसिस दिवस
डॉ पुरोहित ने बताया कि शरीर की त्वचा पर त्वचा उभरने लगती है, वह स्थान लाल पड़ने लगता है और वहां खुजली होती है. ऐसा शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है. लोग इसे समझ नहीं पाते हैं. रिएक्शन या एलर्जी समझकर नजरअंदाज करते हैं. इसी तरह से सिर में सोरायसिस बटन की तरह उभरने लगता है, तो इसको डैंड्रफ समझकर टाल देते हैं. हथेलियों और पैर के तलवे पर सोरायसिस आता है, तो मौसमी त्वचा संबंधी रोग या कास्टिक एलर्जी समझ लेते हैं. उन्होंने कहा कि शरीर के हिस्सों में लक्षण प्रतीत होने पर तुरंत चर्म रोग चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए.
पढ़ेंः बदलते मौसम में त्वचा की समस्याओं से बचना है तो दो बातों का रखें ध्यान
सोरायसिस होने पर रखें इन बातों का ध्यानः डॉ पुरोहित बताते हैं कि सोरायसिस रोग तीन से चार माह खासकर सर्दी में परेशान करता है. इसमें त्वचा सूखने लगती है और छिलके की तरह उतरने लगती है. इस कारण रोगी शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान रहता है. कई बार रोगी अवसाद में आ जाते हैं. मेडिकल साइंस में सोरायसिस के कारण स्पष्ट नहीं हैं. लेकिन इसे रोकना भी नामुमकिन नहीं है. उन्होंने बताया कि सोरायसिस रोगी के लिए एल्कोहल विष के समान है. एल्कोहल मिश्रित पदार्थ या दवा का सेवन रोगी को नहीं करना चाहिए. सोरायसिस पीड़ित अन्य बीमारी के सिलसिले में यदि चिकित्सक के पास जाता है, तो पहले चिकित्सक को अपनी सोरायसिस बीमारी के बारे में बताएं.