अजमेर. शिक्षा व्यवस्था कैसे दोबारा पटरी पर लौटेगी और सरकार को किस तरह के प्रभावी कदम उठाने चाहिए? इस सवाल के जवाब में मा. शिक्षा विभाग के पूर्व उप निदेशक सुरेश शर्मा ने कहा कि जब तक कोरोना वायरस की वैक्सीन नहीं बन जाती तब तक कुछ नहीं कहा जा सकता है. लेकिन अगर विभाग को स्कूल खोलने हैं तो इसके लिए कुछ एहतियात बरतने होंगे. शर्मा ने कहा कि स्कूलों को चलाने के लिए विभाग को दो या फिर तीन पारियों में स्कूल खोलने होंगे.
अगर दो से तीन पारियों में स्कूल खोले जाते हैं तो सोशल डिस्टेंसिंग भी बनी रहेगी. उन्होंने कहा कि अगर बच्चे ज्यादा हैं तो हमारे पास जगह कमी हो सकती है ऐसे में बच्चों के अनुसार हमें स्कूलों में बच्चों के पढ़ने की व्यवस्था करनी होगी.
उन्होंने कहा कि कोरोना से बचने के लिए सबसे जरूरी है कि हम सोशल डिस्टेंसिंग अपनाएं. इसके लिए स्कूलों में अधिक कमरों की जरूरत होगी. अगर हमारे पास कमरे कम हैं तो फिर हमें शिफ्ट के अनुसार बच्चों को स्कूल बुलाना होगा. अगर राज्य सरकार चाहेगी तो ऐसा हो सकता है.
हालांकि, शर्मा ने कहा कि इस दौरान अभिभावकों के लिए भी मुश्किल होगा. क्योंकि जिनके छोटे बच्चें हैं वह अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए डरेंगे. इसके साथ ही छोटे बच्चों को मास्क लगाना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालना कराना एक चुनौती होगी. उन्होंने कहा कि प्राइवेट स्कूल प्रबंधन अगर चाहेगा तो कुछ हद तक संभव है लेकिन सरकारी स्कूल में इसे मेनटेन करना एक चुनौती सबित होगा. उन्होंने कहा कि अभिभावक अपने बच्चों को सिखा रहे हैं लेकिन फिर भी स्कूल भेजने के बाद उनके अंदर चिंता रहेगी.
मिड-डे मील का निर्माण विभाग के लिए चुनौती: सुरेश शर्मा
इसके साथ ही शर्मा ने कहा कि मुझे लगता है कि इस वक्त में स्कूल में मिड-डे मील का निर्माण और उसे बच्चों तक पहुंचाना विभाग के लिए बहुत बड़ा चैलेंज होगा. अगर कहीं गलती से भी मिड-डे मील के जरिए कोरोना बच्चों तक पहुंच जाता है तो फिर इसे रोकना मुश्किल हो जाएगा. उन्होंने कहा इसके बारे में विभाग को सोचना होगा.
इसके साथ ही पैरेंट्स मीटिंग के दौरान भी इस पर चर्चा होनी चाहिए जिससे अभिभावक भी अपनी राय दे सकें कि यह जारी रहे या नहीं रहे और अगर रहे भी तो फिर किस ढंग से रहे. शर्मा ने कहा, मुझे लगता है कि जब तक कोरोना संक्रमण को लेकर हालत बेहतर नहीं हो जाते हैं तब तक मिड-डे मील नहीं बने तो सही रहेगा.
ऑनलाइन एजुकेशन: सुरेश शर्मा
ऑनलाइन एजुकेशन को लेकर शर्मा ने कहा कि अगर हम इसे शुरू भी करते हैं तो मुझे नहीं लगता की हर तबके के छात्र तक इसे हम पहुंचा पाएंगे. प्राथमिक शिक्षा की अगर बात करें तो ऐसे क्षेत्रों की कमी नहीं है जहां पर अभिभावक अभी भी स्मार्ट फोन का उपयोग नहीं कर रहे हैं. ऐसे में इन छात्रों तक शिक्षा पहुंचाना सबसे बड़ी चुनौती होगी. उन्होंने कहा कि अगर शहर की बात करें तो यहां के पैरेंट्स के पास स्मार्ट फोन होते हैं लेकिन यहां भी कुछ अभिभावक स्मार्ट फोन नहीं उपयोग करते हैं.
शर्मा ने कहा कि आकाशवाणी के जरिए कुछ हद तक यह संभव हो सकता है. उन्होंने कहा कि आज के जमाने में लगभग हर घर में टीवी है. ऐसे में बच्चे इस माध्यम से सीख पाएंगे. छोटे तबके का बच्चा भी इसके जरिए पढ़ाई कर सकता है. उन्होंने कहा कि अगर हम ऑनलाइन एजुकेशन पर ध्यान दे रहे हैं तो हमें दूरदर्शन का सहयोग लेना होगा.