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सावित्री माता मंदिर में पहुंच महिलाओं ने की विशेष पूजा-अर्चना, सुहाग के दीर्घायु की कामना की - ETV Bharat Rajasthan news

सृष्टि के रचयिता जगतपिता ब्रह्मजी की पत्नी माता सावित्री का प्रमुख स्थान पुष्कर (Savitri Mata Mela in Pushkar) है. पुष्कर की रत्नगिरी पहाड़ी के शिखर पर माता सावित्री मंदिर में वार्षिक मेले का आयोजन किया गया. इस दौरान बड़ी संख्या में विवाहिताओं ने सुहाग की दीर्घायु की कामना करते हुए पूजा अर्चना की.

Brahmaji Wife Savitri Mata
माता सावित्री मंदिर में मेला
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Published : Sep 4, 2022, 10:19 PM IST

Updated : Sep 4, 2022, 10:35 PM IST

पुष्कर. सृष्टि के रचयिता जगतपिता ब्रह्मजी की पत्नी माता सावित्री का प्रमुख स्थान पुष्कर है. पुष्कर की रत्नगिरी पहाड़ी के (Savitri Mata Mela in Pushkar) शिखर पर माता सावित्री मंदिर में विराजती हैं. रविवार को सावित्री माता मंदिर में सालाना मेले का आयोजन हुआ. बड़ी संख्या में सुहाग की दीर्घायु की कामना लिए विवाहिताएं माता के मंदिर में पूजा अर्चना करने पहुंची.

तीर्थ नगरी में रत्नगिरी पहाड़ी स्थित सावित्री माता मंदिर में आयोजित सालाना मेले में श्रद्धालुओं (Savitri Mata Mandir in Pushkar) की भीड़ रविवार को उमड़ी. श्रद्धालुओं में बड़ी संख्या में विवाहिताएं शामिल रहीं. दरअसल वर्षों से माता सावित्री के मंदिर में विवाहिताएं माता सावित्री से सुहाग के दीर्घायु होने का आशीर्वाद लेने आती रही हैं.

माता सावित्री मंदिर में मेले का आयोजन

रविवार को मंदिर में दिनभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. रविवार सुबह मंगला आरती के साथ ही सावित्री माता की पूजा के लिए पहाड़ी पर स्थित मंदिर में सुहागिन महिलाओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया, जो कि देर शाम तक जारी रहा. मंदिर में महिलाओं ने माता सावित्री की पूजा कर अपने पति के दीर्घायु होने की कामना की. वैसे तो हर समाज और हर वर्ग की माता सावित्री में अटूट आस्था है, लेकिन राजपूत समाज का इस मंदिर से पुराना नाता रहा है. श्रद्धालुओं ने मंदिर में पूजा अर्चना कर मन्नत के धागे भी बांधे. शाम को अष्टमी के अवसर पर सावित्री पहाड़ी की तलहटी में लगे मेले को लेकर भी लोगों मे खासा उत्साह दिखा.

पढ़ें. Atmteshwar Mahadev Of Pushkar : यहां शिव ने दिया था जगतपिता ब्रह्मा को भूल सुधार का अवसर!

सीढ़ियों और रोप वे से पहुंचते हैं लोगः रत्नगिरि पहाड़ी पर विराजी माता सावित्री जगत पिता ब्रह्मा की पहली पत्नी (Brahmaji Wife Savitri Mata) हैं. मंदिर तक पैदल पहुंचने के लिए 100 से भी ज्यादा सीढियां हैं. जिससे चढ़कर हजारों श्रदालुओ ने माता सावित्री के दर्शन किए. मंदिर तक पहुंचने का दूसरा मार्ग रोपवे का है. जिसके माध्यम से भी बढ़ी संख्या में श्रद्धालु पहाड़ी पर स्थित माता सावित्री के दर्शन करने पहुंचे. मंदिर पहुंचने के लिए रोपवे की सुविधा होने से दिनभर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के मंदिर पहुंचने का सिलसिला जारी रहा.

मंदिर परिसर से नजर आता है विहंगम दृश्यः मंदिर परिसर में दर्शन और पूजा अर्चना के बाद बड़ी संख्या में लोग पुष्कर के चारों ओर के विहंगम दृश्य का आनंद लेते हैं. पहाड़ी के शिखर से दिखाई देने वाला प्राकृतिक दृश्य श्रद्धालुओं को रोमांचित कर देता है. रत्नगिरि पहाड़ी की तलहटी में परंपरागत मेले का आयोजन हुआ. बच्चों के झूले और रोजमर्रा की चीजों के लिए हटवाड़ा भी लगा. मेले में स्थानीय पुष्कर के अलावा आसपास के गांव से भी बड़ी संख्या में लोग मेले में पहुंचे.

सुरक्षा के लिए तैनात रही पुलिसः सावित्री माता के मेले में हजारों श्रद्धालुओं का आना जाना दिन भर लगा रहा. श्रद्धालुओं के साथ किसी तरह की अपराधिक घटना ना हो, इसके लिए सुबह से ही मंदिर परिसर से लेकर मेला स्थल तक बड़ी संख्या में पुलिस जवानों की तैनाती रही. इस दौरान ग्रामीण सीओ इस्लाम खान, थानाप्रभारी महावीर शर्मा भी लगातार सुरक्षा व्यवस्थाओ का जायजा लेते रहे.

पुष्कर. सृष्टि के रचयिता जगतपिता ब्रह्मजी की पत्नी माता सावित्री का प्रमुख स्थान पुष्कर है. पुष्कर की रत्नगिरी पहाड़ी के (Savitri Mata Mela in Pushkar) शिखर पर माता सावित्री मंदिर में विराजती हैं. रविवार को सावित्री माता मंदिर में सालाना मेले का आयोजन हुआ. बड़ी संख्या में सुहाग की दीर्घायु की कामना लिए विवाहिताएं माता के मंदिर में पूजा अर्चना करने पहुंची.

तीर्थ नगरी में रत्नगिरी पहाड़ी स्थित सावित्री माता मंदिर में आयोजित सालाना मेले में श्रद्धालुओं (Savitri Mata Mandir in Pushkar) की भीड़ रविवार को उमड़ी. श्रद्धालुओं में बड़ी संख्या में विवाहिताएं शामिल रहीं. दरअसल वर्षों से माता सावित्री के मंदिर में विवाहिताएं माता सावित्री से सुहाग के दीर्घायु होने का आशीर्वाद लेने आती रही हैं.

माता सावित्री मंदिर में मेले का आयोजन

रविवार को मंदिर में दिनभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. रविवार सुबह मंगला आरती के साथ ही सावित्री माता की पूजा के लिए पहाड़ी पर स्थित मंदिर में सुहागिन महिलाओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया, जो कि देर शाम तक जारी रहा. मंदिर में महिलाओं ने माता सावित्री की पूजा कर अपने पति के दीर्घायु होने की कामना की. वैसे तो हर समाज और हर वर्ग की माता सावित्री में अटूट आस्था है, लेकिन राजपूत समाज का इस मंदिर से पुराना नाता रहा है. श्रद्धालुओं ने मंदिर में पूजा अर्चना कर मन्नत के धागे भी बांधे. शाम को अष्टमी के अवसर पर सावित्री पहाड़ी की तलहटी में लगे मेले को लेकर भी लोगों मे खासा उत्साह दिखा.

पढ़ें. Atmteshwar Mahadev Of Pushkar : यहां शिव ने दिया था जगतपिता ब्रह्मा को भूल सुधार का अवसर!

सीढ़ियों और रोप वे से पहुंचते हैं लोगः रत्नगिरि पहाड़ी पर विराजी माता सावित्री जगत पिता ब्रह्मा की पहली पत्नी (Brahmaji Wife Savitri Mata) हैं. मंदिर तक पैदल पहुंचने के लिए 100 से भी ज्यादा सीढियां हैं. जिससे चढ़कर हजारों श्रदालुओ ने माता सावित्री के दर्शन किए. मंदिर तक पहुंचने का दूसरा मार्ग रोपवे का है. जिसके माध्यम से भी बढ़ी संख्या में श्रद्धालु पहाड़ी पर स्थित माता सावित्री के दर्शन करने पहुंचे. मंदिर पहुंचने के लिए रोपवे की सुविधा होने से दिनभर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के मंदिर पहुंचने का सिलसिला जारी रहा.

मंदिर परिसर से नजर आता है विहंगम दृश्यः मंदिर परिसर में दर्शन और पूजा अर्चना के बाद बड़ी संख्या में लोग पुष्कर के चारों ओर के विहंगम दृश्य का आनंद लेते हैं. पहाड़ी के शिखर से दिखाई देने वाला प्राकृतिक दृश्य श्रद्धालुओं को रोमांचित कर देता है. रत्नगिरि पहाड़ी की तलहटी में परंपरागत मेले का आयोजन हुआ. बच्चों के झूले और रोजमर्रा की चीजों के लिए हटवाड़ा भी लगा. मेले में स्थानीय पुष्कर के अलावा आसपास के गांव से भी बड़ी संख्या में लोग मेले में पहुंचे.

सुरक्षा के लिए तैनात रही पुलिसः सावित्री माता के मेले में हजारों श्रद्धालुओं का आना जाना दिन भर लगा रहा. श्रद्धालुओं के साथ किसी तरह की अपराधिक घटना ना हो, इसके लिए सुबह से ही मंदिर परिसर से लेकर मेला स्थल तक बड़ी संख्या में पुलिस जवानों की तैनाती रही. इस दौरान ग्रामीण सीओ इस्लाम खान, थानाप्रभारी महावीर शर्मा भी लगातार सुरक्षा व्यवस्थाओ का जायजा लेते रहे.

Last Updated : Sep 4, 2022, 10:35 PM IST
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