अजमेर. हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति पर्व का विशेष महत्व माना गया है. तीर्थ स्थान पर स्नान करने और स्नान-दान का इस दिन विशेष पुण्य मिलता है. जिले की ब्रह्मा नगरी पुष्कर को यहां के बड़े तीर्थ स्थलों में गिना जाता है. 15 जनवरी को मकर संक्रांति (Makar Sankranti on 15 January) के दिन बड़ी संख्या में लोग स्नान कर पूजन-अर्चन करने के साथ ही दान कर पुण्य लाभ लेते हैं. देश-विदेश से भी यहां आकर श्रद्धालु स्नान और दर्शन करने के साथ पितरों के मोक्ष प्राप्ति के लिए पूजन करते हैं. सुबह सूर्य उदय के साथ ही यहां स्नानार्थियों की भीड़ उमड़ने लगती है. इस बार भी काफी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की संभावना है जिसके तहत प्रशासन (Pushkar will be crowded in Makar Sankranti) की ओर से काफी व्यवस्थाएं की गई हैं.
हिंदू धर्म तीर्थ गुरु पुष्कर का बड़ा धार्मिक महत्व है. ब्रह्मा की इस नगरी में हर रोज हजारों तीर्थयात्री आते हैं. मकर संक्रांति पर काफी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पुष्कर पहुंचते हैं. इस बार मकर संक्रांति 14 जनवरी को नहीं बल्कि 15 जनवरी को मनाई जाएगी. पुष्कर में ज्योतिष एवं तीर्थ पुरोहित पंडित कैलाश शर्मा बताते हैं कि 14 जनवरी माघ कृष्णा सप्तमी शनिवार को रात्रि में 8 बजकर 43 मिनट में भगवान सूर्यनारायण मकर राशि में प्रवेश करेंगे.
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शास्त्रों के मुताबिक 15 जनवरी की सुबह सूर्य उदय के बाद से ही दान-पुण्य, हवन-पूजन, स्नान आदि शुरू हो जाएगा. उन्होंने बताया कि ज्योतिष खगोलीय ज्ञान के अनुसार इस दिन काफी अच्छा योग बना है और 15 जनवरी को रविवार है. भगवान सूर्यनारायण का दिन भी रविवार होता है. ऐसे में इस बार मकर संक्रांति विशेष फल देने वाली है.
मकर संक्रांति पर यह करें दान
ज्योतिष एवं तीर्थ पुरोहित पंडित कैलाश नाथ शर्मा बताते हैं कि मकर संक्रांति पर काले तिल और काले उड़द, खिचड़ी, तेल या तेल से बने पकवान का दान पुण्य करना सर्वश्रेष्ठ है. उन्होंने बताया कि तीर्थों में गंगा स्नान सर्वश्रेष्ठ माना गया है. शास्त्रों में गंगा सागर में स्नान करने का बड़ा पुण्य माना गया है. पंडित शर्मा बताते हैं कि तीर्थ गुरु पुष्कर में आकर यहां पवित्र सरोवर में स्नान कर पूजा कर परिक्रमा करना उसके बाद दान पुण्य करने का फल अक्षय गुना मिलता है.
सूर्य पिता और शनि पुत्र हैं: पंडित शर्मा बताते हैं कि भगवान सूर्यनारायण पिता हैं और भगवान शनि पुत्र हैं. शनि यमराज के भाई हैं. उन्होंने बताया कि शास्त्रों के मुताबिक 1 माह तक भगवान शनि अपने पिता सूर्य नारायण के साथ रहते हैं. इसलिए इस पर्व का उत्सव मनाया जाता है.
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इन ज्योतिष उपायों से मिलता है लाभ
ज्योतिष एवं तीर्थ गुरु कैलाश नाथ शर्मा बताते हैं कि जिनकी जन्मपत्री में कर्म और भाग्य पत्री में सूर्य नीच राशि में बैठे हैं या अस्त हैं, ऐसे लोगों को मकर संक्रांति के दिन सूर्य की आराधना करनी चाहिए. सूर्य भगवान के दर्शन और पूजन कर दान पुण्य करना चाहिए. उन्होंने बताया कि जिन की जन्मकुंडली में शनि सही स्थान पर नहीं है या नीच स्थान पर बैठे हैं, ऐसे व्यक्ति की कुंडली में अंतर्दशा या महादशा चल रही है. उन लोगों को काले उड़द, काले तेल, तेल के मीठे पकवान या काली वस्तुओं का दान करने से अक्षय गुना फल मिलता है. ऐसा करने से शनि भगवान का आशीर्वाद उन्हें प्राप्त होता है. शास्त्रों में लिखा है कि मकर संक्रांति के दिन धर्मराज के नाम से दान पुण्य करते हैं तो निश्चित ही स्वर्ग की प्राप्ति होती है. अपने पितरों के निमित्त तीर्थ स्थान पर जाकर पिंडदान या तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. उन्होंने बताया कि भगवान सूर्य और शनि को प्रसन्न करने का यह सर्वश्रेष्ठ दिन है.
15 जनवरी से शुरू होंगे मांगलिक कार्य
पंडित कैलाश शर्मा ने बताया कि मकर संक्रांति का पर्व वर्ष में एक बार आता है. देवताओं की आराधना का यह श्रेष्ठ समय होता है. उन्होंने बताया कि भगवान सूर्यनारायण के मकर राशि में प्रवेश करने के बाद से ही 15 जनवरी से विवाह एवं अन्य मांगलिक कार्य शुरू होंगे.
तीर्थ पुरोहित पंडित सुभाष पाराशर ने बताया कि पुष्कर के पवित्र सरोवर में मकर संक्रांति के अवसर पर स्नान करने से रोग एवं दोष का नाश होता है. परिवार में सुख और शांति आती है. उन्होंने बताया कि मकर संक्रांति के दिन तिल, तेल से बने बड़े, ऊनी वस्त्र के दान का विशेष महत्व है. ऐसा करने से व्यक्ति और उसके परिवार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.