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कार्तिक पूर्णिमा महास्नान के साथ पुष्कर मेले का समापन, श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी...

अजमेर का अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेला का सोमवार को पूर्णिमा के महास्नान के साथ समापन हो गया. इस साल कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर करीब 10 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने पुष्कर सरोवर में आस्था की डुबकी लगाई. कोरोना के चलते इस बार ज्यादा श्रद्धालु नहीं पहुंच सके.

Pushkar fair news, Pushkar fair closing
कार्तिक पूर्णिमा महास्नान के साथ पुष्कर मेले का समापन
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Published : Nov 30, 2020, 8:50 PM IST

पुष्कर (अजमेर). अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेले का पूर्णिमा महास्नान के साथ सोमवार को समापन हो गया. कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर हजारों श्रृद्धालुओं ने पवित्र पुष्कर सरोवर में आस्था की डूबकी लगाकर धर्म लाभ प्राप्त किया. कोरोना के चलते कई सालों की तुलना में बहुत ही कम श्रद्धालु पुष्कर पहुंचे.

कार्तिक पूर्णिमा महास्नान के साथ पुष्कर मेले का समापन
Pushkar fair news, Pushkar fair closing
कोरोना के चलते मेले का रंग रहा फीका

जैसे-जैसे पूर्णिमा का समय करीब आया लोगों का हुजूम पुष्कर की तरफ उमड़ने लगा. देर शाम तक करीब 10 हजार से अधिक श्रृद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. पुष्कर सरोवर के मुख्य घाटों पर श्रृद्धालुओं ने देर रात से ही डेरा लगाना शुरू कर दिया था. रात भर भजन कीर्तन और भक्ति के दौर चलते रहे. जैसे ही हिन्दू पंचाग के अनुसार पूर्णिमा का आगमन हुआ, लोगों ने सरोवर मे स्नान कर पुन्य प्राप्त करना शुरू कर दिया.

Pushkar fair news, Pushkar fair closing
श्रद्धालुओं ने पवित्र सरोवर में लगाई डुबकी
Pushkar fair news, Pushkar fair closing
जगतपिता ब्रह्मा के दर्शन के लिए जाते श्रद्धालु

ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के रचियता जगत-पिता ब्रह्मा ने इस पवित्र सरोवर के बीच माता गायत्री के साथ कार्तिक एकादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक यज्ञ किया था. इस यज्ञ के दौरान धरती पर 33 करोड़ देवी-देवता पुष्कर में ही मौजूद रहते हैं. सतयुग काल से ही इन पांच दिनों का खासा महत्व माना जाता है. इन पांच दिनों में पवित्र सरोवर में स्नान करने से पांचों तीर्थों का पुण्य प्राप्त होता है. इसलिए इसे पंचतीर्थ स्नान भी कहा जाता है. इन पांच दिनों में भी पूर्णिमा महास्नान का विशेष महत्व बताया गया है. श्रृद्धालुओं ने पवित्र सरोवर में स्नान करने के बाद पूजा-अर्चना की और पुरोहितों को दान दक्षिणा दी. जगतपिता ब्रह्मा के दर्शन के लिए भी श्रृद्धालुओ की लंबी लंबी कतारें लगी रही.

Pushkar fair news, Pushkar fair closing
कोरोना के चलते कम श्रद्धालु पहुंचे इस साल
Pushkar fair news, Pushkar fair closing
कोरोना के चलते मेले का रंग रहा फीका

इस बार का पुष्कर मेला कई मायनों में ऐतिहासिक रहा. एक ओर जहां पुष्कर पशु मेले में इस वर्ष पशुओं की बिक्री नहीं हो पाई. वहीं दूसरी ओर हर वर्ष धार्मिक मेले में ग्यारस से चतुर्दशी तक चार लाख लोग स्नान करते थे और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर तीन लाख श्रद्धालु सरोवर में आस्था की डुबकी लगाते थे. कोरोना संक्रमण के प्रभाव के चलते इस वर्ष मात्र 10 हजार से अधिक श्रद्धालु पुष्कर पहुंचे.

Pushkar fair news, Pushkar fair closing
पिछले साल की अपेक्षा पहुंचे कम श्रद्धालु
Pushkar fair news, Pushkar fair closing
जगतपिता ब्रह्मा के दर्शन के लिए जाते श्रद्धालु

गौरतलब है कि कार्तिक एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक विश्व विख्यात पुष्कर मेला आयोजित किया जाता है. इस वर्ष कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव और प्रशासनिक अपील के चलते मेले के रंग फीके ही रहे.

पुष्कर (अजमेर). अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेले का पूर्णिमा महास्नान के साथ सोमवार को समापन हो गया. कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर हजारों श्रृद्धालुओं ने पवित्र पुष्कर सरोवर में आस्था की डूबकी लगाकर धर्म लाभ प्राप्त किया. कोरोना के चलते कई सालों की तुलना में बहुत ही कम श्रद्धालु पुष्कर पहुंचे.

कार्तिक पूर्णिमा महास्नान के साथ पुष्कर मेले का समापन
Pushkar fair news, Pushkar fair closing
कोरोना के चलते मेले का रंग रहा फीका

जैसे-जैसे पूर्णिमा का समय करीब आया लोगों का हुजूम पुष्कर की तरफ उमड़ने लगा. देर शाम तक करीब 10 हजार से अधिक श्रृद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. पुष्कर सरोवर के मुख्य घाटों पर श्रृद्धालुओं ने देर रात से ही डेरा लगाना शुरू कर दिया था. रात भर भजन कीर्तन और भक्ति के दौर चलते रहे. जैसे ही हिन्दू पंचाग के अनुसार पूर्णिमा का आगमन हुआ, लोगों ने सरोवर मे स्नान कर पुन्य प्राप्त करना शुरू कर दिया.

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श्रद्धालुओं ने पवित्र सरोवर में लगाई डुबकी
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जगतपिता ब्रह्मा के दर्शन के लिए जाते श्रद्धालु

ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के रचियता जगत-पिता ब्रह्मा ने इस पवित्र सरोवर के बीच माता गायत्री के साथ कार्तिक एकादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक यज्ञ किया था. इस यज्ञ के दौरान धरती पर 33 करोड़ देवी-देवता पुष्कर में ही मौजूद रहते हैं. सतयुग काल से ही इन पांच दिनों का खासा महत्व माना जाता है. इन पांच दिनों में पवित्र सरोवर में स्नान करने से पांचों तीर्थों का पुण्य प्राप्त होता है. इसलिए इसे पंचतीर्थ स्नान भी कहा जाता है. इन पांच दिनों में भी पूर्णिमा महास्नान का विशेष महत्व बताया गया है. श्रृद्धालुओं ने पवित्र सरोवर में स्नान करने के बाद पूजा-अर्चना की और पुरोहितों को दान दक्षिणा दी. जगतपिता ब्रह्मा के दर्शन के लिए भी श्रृद्धालुओ की लंबी लंबी कतारें लगी रही.

Pushkar fair news, Pushkar fair closing
कोरोना के चलते कम श्रद्धालु पहुंचे इस साल
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कोरोना के चलते मेले का रंग रहा फीका

इस बार का पुष्कर मेला कई मायनों में ऐतिहासिक रहा. एक ओर जहां पुष्कर पशु मेले में इस वर्ष पशुओं की बिक्री नहीं हो पाई. वहीं दूसरी ओर हर वर्ष धार्मिक मेले में ग्यारस से चतुर्दशी तक चार लाख लोग स्नान करते थे और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर तीन लाख श्रद्धालु सरोवर में आस्था की डुबकी लगाते थे. कोरोना संक्रमण के प्रभाव के चलते इस वर्ष मात्र 10 हजार से अधिक श्रद्धालु पुष्कर पहुंचे.

Pushkar fair news, Pushkar fair closing
पिछले साल की अपेक्षा पहुंचे कम श्रद्धालु
Pushkar fair news, Pushkar fair closing
जगतपिता ब्रह्मा के दर्शन के लिए जाते श्रद्धालु

गौरतलब है कि कार्तिक एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक विश्व विख्यात पुष्कर मेला आयोजित किया जाता है. इस वर्ष कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव और प्रशासनिक अपील के चलते मेले के रंग फीके ही रहे.

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