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नौसेना से रिटायर्ड अधिकारी को 26 साल बाद मिला मकान पर कब्जा, जानें

साल 1971 में भारत-पाक युद्ध में शामिल और वीरता पुरस्कार विजेता नौसेना से रिटायर्ड अधिकारी को कोर्ट से न्याय मिला है. वहीं मंगलवार (28 मई) को कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने मकान पर कब्जा दिलवाया.

रिटायर्ड अधिकारी जगदीश सिंह सिकरवाल
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Published : May 28, 2019, 10:15 PM IST

अजमेर. नौसेना से रिटायर्ड एक अधिकारी को 26 साल तक मुकदमा लड़ने के बाद उनका मकान उन्हें वापस मिला. बता दें कि रिटायर्ड अधिकारी जगदीश सिंह सिकरवाल अपनी ही बहन को एक मकान रहने के लिए दिए थे. इस मकान को उनकी बहन खाली नहीं कर रही थी. ऐसे में सिकरवाल ने कोर्ट में मुकदमा दायर किया था. वहीं 26 साल तक मुकदमा लड़ने के बाद अब कोर्ट ने उनको उनके मकान पर कब्जा दिलवाया है.

नौसेना से रिटायर्ड अधिकारी को 26 साल बाद कोर्ट ने दिलवाया उसका घर

परिवादी जगदीश सिंह सिकरवाल ने बताया कि 26 साल पहले उनकी बहन शांति देवी ने कुछ दिनों तक रहने के लिए मकान लिया था. लेकिन लंबा समय बीतने के बाद भी उसने न तो किराया दिया और न ही मकान खाली किया. इसके बाद उन्होंने कोर्ट की शरण ली और लंबे अंतराल तक चले इस मामले में आखिरकार 26 साल बाद उन्हें जीत मिली.

इस जीत के साथ ही न्यायालय ने पुलिस इमदाद के साथ नाजिम राजेश जैन को जयपुर रोड़ स्थित मकान पर भेजा. जहां शांति देवी का बेटा सुनील रहता था. पुलिस और कोर्ट ने उसे तुरंत मकान खाली करने के निर्देश दिए. मकान खाली कराने के बाद मकान की चाबी एक बार फिर नौसेना रिटायर्ड अधिकारी जगदीश सिंह सिकरवाल को सौंपी गई है. वह अपना मकान पाकर अब खुश नजर आए. इस मौके पर उन्होंने सभी को धन्यवाद दिया.

अजमेर. नौसेना से रिटायर्ड एक अधिकारी को 26 साल तक मुकदमा लड़ने के बाद उनका मकान उन्हें वापस मिला. बता दें कि रिटायर्ड अधिकारी जगदीश सिंह सिकरवाल अपनी ही बहन को एक मकान रहने के लिए दिए थे. इस मकान को उनकी बहन खाली नहीं कर रही थी. ऐसे में सिकरवाल ने कोर्ट में मुकदमा दायर किया था. वहीं 26 साल तक मुकदमा लड़ने के बाद अब कोर्ट ने उनको उनके मकान पर कब्जा दिलवाया है.

नौसेना से रिटायर्ड अधिकारी को 26 साल बाद कोर्ट ने दिलवाया उसका घर

परिवादी जगदीश सिंह सिकरवाल ने बताया कि 26 साल पहले उनकी बहन शांति देवी ने कुछ दिनों तक रहने के लिए मकान लिया था. लेकिन लंबा समय बीतने के बाद भी उसने न तो किराया दिया और न ही मकान खाली किया. इसके बाद उन्होंने कोर्ट की शरण ली और लंबे अंतराल तक चले इस मामले में आखिरकार 26 साल बाद उन्हें जीत मिली.

इस जीत के साथ ही न्यायालय ने पुलिस इमदाद के साथ नाजिम राजेश जैन को जयपुर रोड़ स्थित मकान पर भेजा. जहां शांति देवी का बेटा सुनील रहता था. पुलिस और कोर्ट ने उसे तुरंत मकान खाली करने के निर्देश दिए. मकान खाली कराने के बाद मकान की चाबी एक बार फिर नौसेना रिटायर्ड अधिकारी जगदीश सिंह सिकरवाल को सौंपी गई है. वह अपना मकान पाकर अब खुश नजर आए. इस मौके पर उन्होंने सभी को धन्यवाद दिया.

Intro:यह खबर एफटीपी के माध्यम से भेजी गई है

Folder Name-. rj-ajm-court-kabja-1146


अजमेर- 1971 में भारत-पाक युद्ध में शामिल वीरता पुरस्कार विजेता नौ सेना से रिटायर्ड अधिकारी जगदीश सिंह को मिला अपने मकान पर कब्जा

खबर राजस्थान के अजमेर से जहाँ कोर्ट के आदेश पर पुलिस की मदद से खाली जगदीश सिंह का सालो पुराना मकान खाली कराया गया मकान जगदीश सिंह ने अपनी ही बहन को रहने के लिए दिया था लेकिन जगदीश सिंह के मकान पर भांजे बन बैठे मकान के मालिक मंगलवार 28 मई को कोर्ट के आदेश के बाद 26 साल की लड़ाई की जंग जीत कर आज अपने मकान पर जगदीश सिंह को वापस कब्जा दिया गया है


Body:नौसेना मैं रिटायर्ड अधिकारी जगदीश सिंह सिकरवाल को 26 साल बाद कोर्ट से न्याय मिला है सीकर वालों की जयपुर रोड स्थित जमीन पर उसी की बहन ने कब्जा कर लिया था जिसको लेकर सिकरवाल कोर्ट की शरण में चले गए थे इस पर लाखों रुपए खर्च भी किए गए लेकिन आखिरकार उन्हें न्याय मिल गया


परिवादी जगदीश सिंह सिकरवाल ने बताया कि 26 साल पहले उनकी बहन शांति देवी ने कुछ दिनों तक रहने के लिए मकान लिया था लेकिन लंबा समय बीतने के बाद भी उसने ना तो किराया दिया और ना ही मकान को खाली किया


इसके बाद उन्होंने कोर्ट की शरण ली और लंबे अंतराल तक चले इस मामले में आखिरकार 26 साल बाद उन्हें जीत मिली है इस जीत के साथ ही न्यायालय ने पुलिस इमदाद के साथ नाजिम राजेश जैन को जयपुर रोड़ स्तिथ मकान पर भेजा जहां शांति देवी का बेटा सुनील रहता था पुलिस व न्यायालय ने उसे तुरंत मकान खाली करने के निर्देश दिए


Conclusion:मकान खाली कराने के बाद मकान की चाबी एक बार फिर नौसेना रिटायर्ड अधिकारी जगदीश सिंह सिकरवाल को सौंपी गई है वह अपना मकान पाकर आप खुश नजर आ रहे हैं इस मौके पर उन्होंने सभी को धन्यवाद भी दिया

बाइट -जगदीश सिंह सिकरवाल पूर्व नोसेना रिटायर्ड अधिकारी
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