ETV Bharat / state

Health Tips : बच्चा अगर रहता है गुमसुम तो नहीं करें नजरअंदाज, चाइल्डहुड डिप्रेशन का हो सकता है शिकार

बच्चों की खिलखिलाहट हर किसी को खुश कर देती है. अगर बच्चा गुमसुम बना रहे और यही स्थिति लंबे समय तक बरकरार रहे तो चिंता करने की जरूरत है, क्योंकि बच्चा चाइल्डहुड डिप्रेशन का शिकार भी हो सकता है. चाइल्डहुड डिप्रेशन क्या होता है और कैसे बच्चों में इसके लक्षण पहचानें आइए जानते हैं इस खबर में.

Symptoms of Childhood Depression
Symptoms of Childhood Depression
author img

By

Published : May 9, 2023, 8:47 PM IST

Updated : May 9, 2023, 10:05 PM IST

चाइल्डहुड डिप्रेशन को लेकर क्या कहती हैं डॉक्टर..

अजमेर. चंचलता से भरे बच्चे कभी खेलते तो कभी गुमसुम नजर आते हैं. गुमसुम रहने वाले बच्चों की स्थिति को आमतौर पर लोग सामान्य ही मानते हैं, लेकिन अगर इस दौरान बच्चे के व्यवहार में परिवर्तन लंबे समय तक नजर आए तो सतर्क होने की जरूरत है. आपके बच्चे में दिखाई देने वाले ये लक्षण चाइल्डहुड डिप्रेशन के भी हो सकते हैं. चाइल्डहुड डिप्रेशन एक मानसिक रोग है. 6 से 16 वर्ष तक की आयु में चाइल्डहुड डिप्रेशन देखा जा सकता है.

अमूमन लोग मेंटली हेल्थ को नजर अंदाज करते हैं, जिसके कारण समस्या बढ़ जाती है और कई बार इसके दुष्परिणाम भी भुगतने पड़ते हैं. चाइल्डहुड डिप्रेशन में कई बार ऐसा ही देखने को मिलता है, जिसके कारण बाद में पछताने के अलावा कुछ बचता नहीं है. आइए क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट और काउंसलर डॉ. मनीषा गौड़ से चाइल्डहुड डिप्रेशन के बारे में जानते हैं कि इसे कैसे पहचानें और बचाव के क्या हैं उपाय.

पढे़ं. Health Tips: पढ़ाई या खेलकूद से जी चुरा रहा बच्चा तो स्पेसिफिक लर्निंग डिसऑर्डर के हैं संकेत

12 से 14 वर्ष में ज्यादा प्रभावः डॉ. मनीषा गौड़ बताती हैं कि चाइल्डहुड डिप्रेशन 6 वर्ष की आयु के बाद से ही नजर आने लगता है. 12 से 14 वर्ष की आयु में इसका ज्यादा प्रभाव देखने को मिलता है. इस उम्र में हार्मोनल बदलाव भी होते हैं. उन्होंने बताया कि चाइल्डहुड डिप्रेशन का अनुवांशिक, पारिवारिक, सामाजिक कारण भी हो सकता है. उन्होंने बताया कि सबसे पहले द्वितीय विश्व युद्ध के बाद चाइल्डहुड डिप्रेशन के बारे में दुनिया को पता चला था.

युद्ध प्रभावित क्षेत्रों में बच्चों की मानसिक दशा अन्य क्षेत्र के बच्चों की तुलना में असामान्य पाई गई. परिवारिक कलह, घर में नशे का प्रचलन, माता-पिता में झगड़े, बच्चों में पक्षपात जैसे परिवारिक कारण हो सकते हैं. जंग, दंगे, शिक्षण संस्थाओं में जहां बच्चा पढ़ता है, वहां के माहौल, सामाजिक माहौल आदि कारण से भी बच्चा अवसाद में आ जाता है. बच्चे के माता-पिता या ब्लड रिलेशन में कोई अवसाद से ग्रस्त है तो उसका प्रभाव बच्चे पर भी पड़ता है यानी अनुवांशिक कारण भी हो सकता है. उन्होंने बताया कि शिक्षण संस्थाओं के वातावरण का प्रभाव भी बच्चों पर पड़ता है. ऐसे में कई बार ऐसी खबरें सुनने को मिलती हैं कि बच्चे ने अवसाद के कारण आत्महत्या कर ली.

Childhood Depression
जानिए क्या है चाइल्डहुड डिप्रेशन

मेंटल हेल्थ को नहीं करें नजरअंदाज : डॉ. गौड़ बताती हैं कि शारीरिक समस्या दिख जाती है, मसलन यदि किसी के पैर में चोट लगी है तो वह दिख जाती है और उसके दर्द का एहसास भी होता है. यदि किसी का मेंटल हेल्थ कमजोर है तो वह दिखाई नहीं देता है. यही कारण है कि लोग अक्सर मेंटल हेल्थ को नजरअंदाज कर जाते हैं, इसके कारण कई बार गंभीर परिणाम भी भुगतने पड़ते हैं. नजरअंदाज के कारण आगे जाकर समस्या बढ़ती है, अवसाद के शिकार बच्चे कई बार आत्मघाती कदम भी उठा सकते हैं.

पढ़ें. Health Tips: खिलौना दिखाने और बोलने पर भी अगर बच्चा न दे प्रतिक्रिया तो हो सकता है इस बीमारी का खतरा...

डॉ. मनीषा गौड़ बताती है कि चाइल्डहुड डिप्रेशन पर भारत में सन 2019 जुलाई में इंडियन जनरल ऑफ सायकेट्री ( एसीबीआई ) की स्टडीज की गई. इसके मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में 1.6 से 5.84 प्रतिशत और अरबन क्षेत्र में 0.8 से 29.4 प्रतिशत बच्चों में चाइल्डहुड डिप्रेशन पाया गया है. वहीं डब्ल्यूएचओ की 17 नवम्बर 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक 10 से 14 वर्ष तक के 1.1 प्रतिशत और 15 से 16 वर्ष तक के बच्चों में 2.8 प्रतिशत बच्चे डिप्रेशन से ग्रसित हैं.

चाइल्डहुड डिप्रेशन के लक्षणः डॉ. गौड़ बताती हैं कि चाइल्डहुड डिप्रेशन के शिकार बच्चों में नींद कम आने की शिकायत होती है या फिर ज्यादा नींद आती है. इसी तरह भूख भी कम लगती है. कई बार डिप्रेशन के शिकार बच्चे भूख नहीं होने के बावजूद खाने की इच्छा रखते हैं. ऐसे बच्चे अकेले और गुमसुम रहते हैं. चाइल्डहुड डिप्रेशन के शिकार बच्चों का मन उदास और शरीर में थकान रहती है. इनके सिर दर्द होने के साथ नींद में भी दिक्कत होने लगती है. ऐसे बच्चों को रोने का मन करता है, उन्हें जीवन व्यर्थ लगने लगता है. वर्क लेस और हॉप लेस फीलिंग होती है. मन में ग्लानि का भाव रहता है. बच्चे में चिड़चिड़ापन नजर आता है.

Symptoms of Childhood Depression
जानिए क्या है चाइल्डहुड डिप्रेशन के लक्षण

डॉ. गौड़ बताती है कि अभिभावक और शिक्षकों को चाहिए कि वह बच्चे में अवसाद को पहचानें. उन्होंने बताया कि यदि किसी बच्चे में व्यवहार में परिवर्तन दिखता है और वह लंबे समय तक नजर आता है तो यह चाइल्डहुड डिप्रेशन भी हो सकता है. ऐसे बच्चों को डांटने की बजाए उनसे बात करनी चाहिए. उनकी समस्याओं को सुनना चाहिए, साथ ही ऐसे बच्चों को ग्रुप एक्टिविटी में शामिल करना चाहिए. इसके बाद भी यह लक्षण प्रतीत हो रहे हैं तो मनोरोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए.

चाइल्डहुड डिप्रेशन को लेकर क्या कहती हैं डॉक्टर..

अजमेर. चंचलता से भरे बच्चे कभी खेलते तो कभी गुमसुम नजर आते हैं. गुमसुम रहने वाले बच्चों की स्थिति को आमतौर पर लोग सामान्य ही मानते हैं, लेकिन अगर इस दौरान बच्चे के व्यवहार में परिवर्तन लंबे समय तक नजर आए तो सतर्क होने की जरूरत है. आपके बच्चे में दिखाई देने वाले ये लक्षण चाइल्डहुड डिप्रेशन के भी हो सकते हैं. चाइल्डहुड डिप्रेशन एक मानसिक रोग है. 6 से 16 वर्ष तक की आयु में चाइल्डहुड डिप्रेशन देखा जा सकता है.

अमूमन लोग मेंटली हेल्थ को नजर अंदाज करते हैं, जिसके कारण समस्या बढ़ जाती है और कई बार इसके दुष्परिणाम भी भुगतने पड़ते हैं. चाइल्डहुड डिप्रेशन में कई बार ऐसा ही देखने को मिलता है, जिसके कारण बाद में पछताने के अलावा कुछ बचता नहीं है. आइए क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट और काउंसलर डॉ. मनीषा गौड़ से चाइल्डहुड डिप्रेशन के बारे में जानते हैं कि इसे कैसे पहचानें और बचाव के क्या हैं उपाय.

पढे़ं. Health Tips: पढ़ाई या खेलकूद से जी चुरा रहा बच्चा तो स्पेसिफिक लर्निंग डिसऑर्डर के हैं संकेत

12 से 14 वर्ष में ज्यादा प्रभावः डॉ. मनीषा गौड़ बताती हैं कि चाइल्डहुड डिप्रेशन 6 वर्ष की आयु के बाद से ही नजर आने लगता है. 12 से 14 वर्ष की आयु में इसका ज्यादा प्रभाव देखने को मिलता है. इस उम्र में हार्मोनल बदलाव भी होते हैं. उन्होंने बताया कि चाइल्डहुड डिप्रेशन का अनुवांशिक, पारिवारिक, सामाजिक कारण भी हो सकता है. उन्होंने बताया कि सबसे पहले द्वितीय विश्व युद्ध के बाद चाइल्डहुड डिप्रेशन के बारे में दुनिया को पता चला था.

युद्ध प्रभावित क्षेत्रों में बच्चों की मानसिक दशा अन्य क्षेत्र के बच्चों की तुलना में असामान्य पाई गई. परिवारिक कलह, घर में नशे का प्रचलन, माता-पिता में झगड़े, बच्चों में पक्षपात जैसे परिवारिक कारण हो सकते हैं. जंग, दंगे, शिक्षण संस्थाओं में जहां बच्चा पढ़ता है, वहां के माहौल, सामाजिक माहौल आदि कारण से भी बच्चा अवसाद में आ जाता है. बच्चे के माता-पिता या ब्लड रिलेशन में कोई अवसाद से ग्रस्त है तो उसका प्रभाव बच्चे पर भी पड़ता है यानी अनुवांशिक कारण भी हो सकता है. उन्होंने बताया कि शिक्षण संस्थाओं के वातावरण का प्रभाव भी बच्चों पर पड़ता है. ऐसे में कई बार ऐसी खबरें सुनने को मिलती हैं कि बच्चे ने अवसाद के कारण आत्महत्या कर ली.

Childhood Depression
जानिए क्या है चाइल्डहुड डिप्रेशन

मेंटल हेल्थ को नहीं करें नजरअंदाज : डॉ. गौड़ बताती हैं कि शारीरिक समस्या दिख जाती है, मसलन यदि किसी के पैर में चोट लगी है तो वह दिख जाती है और उसके दर्द का एहसास भी होता है. यदि किसी का मेंटल हेल्थ कमजोर है तो वह दिखाई नहीं देता है. यही कारण है कि लोग अक्सर मेंटल हेल्थ को नजरअंदाज कर जाते हैं, इसके कारण कई बार गंभीर परिणाम भी भुगतने पड़ते हैं. नजरअंदाज के कारण आगे जाकर समस्या बढ़ती है, अवसाद के शिकार बच्चे कई बार आत्मघाती कदम भी उठा सकते हैं.

पढ़ें. Health Tips: खिलौना दिखाने और बोलने पर भी अगर बच्चा न दे प्रतिक्रिया तो हो सकता है इस बीमारी का खतरा...

डॉ. मनीषा गौड़ बताती है कि चाइल्डहुड डिप्रेशन पर भारत में सन 2019 जुलाई में इंडियन जनरल ऑफ सायकेट्री ( एसीबीआई ) की स्टडीज की गई. इसके मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में 1.6 से 5.84 प्रतिशत और अरबन क्षेत्र में 0.8 से 29.4 प्रतिशत बच्चों में चाइल्डहुड डिप्रेशन पाया गया है. वहीं डब्ल्यूएचओ की 17 नवम्बर 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक 10 से 14 वर्ष तक के 1.1 प्रतिशत और 15 से 16 वर्ष तक के बच्चों में 2.8 प्रतिशत बच्चे डिप्रेशन से ग्रसित हैं.

चाइल्डहुड डिप्रेशन के लक्षणः डॉ. गौड़ बताती हैं कि चाइल्डहुड डिप्रेशन के शिकार बच्चों में नींद कम आने की शिकायत होती है या फिर ज्यादा नींद आती है. इसी तरह भूख भी कम लगती है. कई बार डिप्रेशन के शिकार बच्चे भूख नहीं होने के बावजूद खाने की इच्छा रखते हैं. ऐसे बच्चे अकेले और गुमसुम रहते हैं. चाइल्डहुड डिप्रेशन के शिकार बच्चों का मन उदास और शरीर में थकान रहती है. इनके सिर दर्द होने के साथ नींद में भी दिक्कत होने लगती है. ऐसे बच्चों को रोने का मन करता है, उन्हें जीवन व्यर्थ लगने लगता है. वर्क लेस और हॉप लेस फीलिंग होती है. मन में ग्लानि का भाव रहता है. बच्चे में चिड़चिड़ापन नजर आता है.

Symptoms of Childhood Depression
जानिए क्या है चाइल्डहुड डिप्रेशन के लक्षण

डॉ. गौड़ बताती है कि अभिभावक और शिक्षकों को चाहिए कि वह बच्चे में अवसाद को पहचानें. उन्होंने बताया कि यदि किसी बच्चे में व्यवहार में परिवर्तन दिखता है और वह लंबे समय तक नजर आता है तो यह चाइल्डहुड डिप्रेशन भी हो सकता है. ऐसे बच्चों को डांटने की बजाए उनसे बात करनी चाहिए. उनकी समस्याओं को सुनना चाहिए, साथ ही ऐसे बच्चों को ग्रुप एक्टिविटी में शामिल करना चाहिए. इसके बाद भी यह लक्षण प्रतीत हो रहे हैं तो मनोरोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए.

Last Updated : May 9, 2023, 10:05 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.