अजमेर. अगर आपको भी लंबे समय से हल्का बुखार बना हुआ है तो उसे हल्के में न लें, तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें. यह टाइफाइड के लक्षण भी हो सकते हैं. टाइफाइड एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज समय पर नहीं मिला तो यह जानलेवा भी हो सकती है. आयुर्वेद विभाग में वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. घनश्याम जोशी से जानते हैं टायफायड रोग और उससे बचाव के लिए हेल्थ टिप्स.
अजमेर आयुर्वेद विभाग में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. घनश्याम जोशी बताते हैं कि टाइफाइड रोग दूषित भोजन और पानी के सेवन से होता है. इसमें रोगी को लगातार बुखार बना रहता है. समय पर इलाज लेना आवश्यक है. ऐसा नहीं करने पर यह रोग जानलेवा भी साबित हो सकता है. आयुर्वेद में टाइफाइड को आंतरिक ज्वर या जीर्ण ज्वर कहते हैं. लंबे समय से बुखार लगातार बने रहने के बावजूद भी रोगी इलाज नहीं करवाता है तो रोगी की आंतों में कीटाणु उत्पन्न हो जाते हैं. इस कारण रोगी की आंतों में भोजन नहीं पच पाता है.
डॉ. जोशी बताते हैं कि आंतरिक ज्वर से पीड़ित व्यक्ति को पूर्ण विश्राम की अति आवश्यकता रहती है. यानी रोगी को ज्यादातर समय बेड पर ही बिताना होता है. उन्होंने बताया कि आयुर्वेद में टाइफाइड (आंतरिक ज्वर का इलाज) कारगर है. लक्षण की पहचान कर आयुर्वेद में टाइफाइड का इलाज किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि परहेज और नियमित दवा के सेवन से रोगी 3 सप्ताह में पूर्णतः ठीक हो जाता है. डॉ. जोशी बताते हैं कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के अनुसार उपचार लेने पर रोगी को कमजोरी महसूस नहीं होती है. वहीं, रोगी के ठीक होने के उपरांत दोबारा टाइफाइड बीमारी के होने की संभावना भी नहीं रहती.
टाइफाइड (आंतरिक ज्वर) के लक्षण : डॉ. जोशी बताते हैं कि रोगी को लंबे समय से हल्का बुखार बना रहता है. रोगी को भूख नहीं लगती है. इस कारण शारीरिक कमजोरी होने लगती है, शरीर से बदबू आने लगती है. रोगी को खाद्य पदार्थों से भी बदबू आने लगती है. रोगी का मुंह का स्वाद कड़वा और फीका हो जाता है. रोगी की जीभ सफेद हो जाती है. रोगी को यह लक्षण प्रतीत हो तो वह तुरंत चिकित्सक से संपर्क कर इलाज लें.
पढे़ं. Hair fall control tips: बाल झड़ने की समस्या से हैं परेशान, तो डॉक्टर से जानिए हेयर केयर टिप्स
टाइफाइड से बचाव : डॉ जोशी बताते हैं कि आयुर्वेद में टाइफाइड के रोगी को बाजरे का खिचड़ा, मोठ की सब्जी, अंजीर, चीकू और सेब का सेवन करने से लाभ मिलता है. रोगी को स्नान नहीं करना चाहिए. सामान्य जल में कपड़ा निचोड़कर उससे शरीर को साफ कर दूसरे कपड़े पहनने चाहिए. उन्होंने बताया कि आयुर्वेद के अनुसार आवश्यक है कि रोगी में बुखार बना रहना चाहिए, त्वरित बुखार टूटने से रोगी को परेशानी होती है और रोग ठीक होने में भी वक्त लगता है.
टाइफाइड होने पर यह रखें परहेज : डॉ जोशी ने बताया कि आयुर्वेद में उपचार के साथ-साथ परहेज भी आवश्यक है. टाइफाइड होने पर रोगी को घरिष्ठ (चिकनाई युक्त) भोजन नहीं देना चाहिए. इससे रोगी को भोजन पचाने में दिक्कत आती है. घरिष्ठ भोजन के सेवन से कई बार रोगी को दस्त की परेशानी भी हो जाती है. इसके अलावा रोगी को खट्टा खाने से भी परहेज करना चाहिए. उन्होंने बताया कि रोगी को चिकित्सक के परामर्श से ही दवा लेनी चाहिए. ऐसा नहीं करने पर रोगी की परेशानी और भी बढ़ने की संभावना रहती है.