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अजमेर : बाल विवाह रोकथाम के सरकारी दावों की खुली पोल...प्रशासन नहीं लगा पा रहा लगाम

अजमेर में बाल विवाह की रोकथाम के लिए सरकारी दावों की पोल खुलती नजर आ रही है. अक्षय तृतीया के अबूझ सावें पर काफी संख्या में बाल विवाह हुए है. इसका स्पष्ट उदाहरण देखने को मिला खोड़ा गणेश मंदिर में जहां विवाह के बाद की रस्म को निभाने के लिए कई मासूम धोख लगाने आए. इससे साफ जाहिर है बाल विवाह निषेध कानून सिर्फ औपचारिकता बन कर रह गया है.

खोड़ा गणेश मंदिर में धोख लगाने आए मासूम जोडे़
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Published : May 9, 2019, 1:46 PM IST

अजमेर. जिले में बाल विवाह रोकने के लिए सरकारी स्तर पर सख्ती के बावजूद सभी दावों की पोल खुल गई है. कलेक्टर-एसपी से लेकर तमाम अधिकारी बाल विवाह की रोकथाम के लिए निर्देश देते रहे हैं, बाल विवाह रोकने का ढिंढोरा पीटा जाता रहा है, लेकिन धरातल पर बाल विवाह रोकने के दावे फेल होते दिख रहे है. बाल विवाह जोड़े विवाह के बाद मान्यता अनुसार प्रसिद्ध खोड़ा गणेश के दर्शन के लिए आए, तब इस बात का खुलासा हुआ कि जिले में बाल विवाह रोक पाने में प्रशासन नाकामयाब रहा है.

मंदिर में धोक लगाने आए मासूम जोड़े

मंदिर की दीवारों पर स्लोगन महज औपचारिकता

बुधवार को ईटीवी भारत की टीम ने बाल विवाह रोकने के दावों की हकीकत जानने के लिए किशनगढ़ के खोड़ा गणेश मंदिर पहुंची. वैवाहिक जीवन की खुशहाली के लिये कई मासूम जोड़े खोड़ा गणेश की चौखट पर धोक लगाते नज़र आये. हालांकि इस दौरान पुलिस की गैरमौजूदगी के साथ ही मंदिर में दीवारों पर बाल विवाह अपराध के स्लोगन ने जता दिया की बाल विवाह रोकने के दावे महज औपचारिकता पूरी कर रहे हैं.

आज तक कोई मामला दर्ज नहीं

बता दें की बाल विवाह करने, करवाने या प्रोत्साहन देने वाले व्यक्ति जिसके अंतर्गत पंडित, नाई, बाराती व बैंड बाजे वाले, हलवाई, टैंट वाले, या ऐसा व्यक्ति जिसकी जानकारी के बावजूद भी बाल विवाह करवाया जा रहा है दोषी होंगे, जबकि इसके तहत न तो आज तक कोई मामला दर्ज हुआ और न ही किसी को सजा मिली है. कानून महज औपचारिकता के लिए ही बना हुआ है.

एक दिन पहले बैठक क्या औपचारिकता थी

हर साल आखातीज पर होने वाले बाल-विवाह को रोकने के लिए पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठकें होती हैं, हवा-हवाई आदेशों की बातें कर इतिश्री कर देते हैं, जबकि हकीकत में बाल विवाह रोकने के प्रयास तक नहीं होते. वजह यह है किसी के घर में घुसकर बाल विवाह रुकवाने की हिम्मत प्रशासन और पुलिस की भी नहीं हो रही है. कई बार तो पुलिस और प्रशासन की ओर से शिकायतकर्ताओं के नाम भी बता दिए जाते हैं, इससे शिकायतकर्ता की मुश्किलें बढ़ जाती हैं.

कितने बाल विवाह रुकवाए, रिकॉर्ड ही नहीं

सवाल यह है कि पिछले 4-5 वर्षों में प्रशासन और पुलिस ने कितने बाल विवाह रुकवाए हैं, इसका कोई रिकॉर्ड तक नहीं है. ईटीवी भारत की टीम ने जब इसकी सूचना चाही तो अधिकारी भी गोलमाल जबाव देते रहे. संबंधित विभाग से संपर्क किया तो सामने आया कि ऐसी कोई सूचना का संधारण भी नहीं किया जा रहा है.

यह है कानून: दो साल तक हो सकती है जेल

1 नवंबर, 2007 को बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 लागू हुआ. सरकार ने शादी के लिए 18 वर्ष की उम्र लड़की और 21 वर्ष की उम्र लड़के के लिए निर्धारित कर रखी है. इससे कम उम्र में विवाह करने पर बाल विवाह की श्रेणी में माना जाता है. इसके लिए 2 वर्ष तक की जेल और एक लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान है. यह गैर जमानती अपराध है.

ईटीवी भारत हमेशा से ही सामजिक सरोकार निभाता आ रहा है. उसी दिशा में सरकारी तंत्र की आंखे खोलने के लिए ईटीवी भारत ने इसका खुलासा किया है. सवाल यह उठता है कि जब जिले में बाल विवाह नही हुए तो प्रसिद्ध खोड़ा गणेश मंदिर में मान्यता अनुसार इतने मासूम जोड़े ढोक लगाने कैसे पहुंच गए.

अजमेर. जिले में बाल विवाह रोकने के लिए सरकारी स्तर पर सख्ती के बावजूद सभी दावों की पोल खुल गई है. कलेक्टर-एसपी से लेकर तमाम अधिकारी बाल विवाह की रोकथाम के लिए निर्देश देते रहे हैं, बाल विवाह रोकने का ढिंढोरा पीटा जाता रहा है, लेकिन धरातल पर बाल विवाह रोकने के दावे फेल होते दिख रहे है. बाल विवाह जोड़े विवाह के बाद मान्यता अनुसार प्रसिद्ध खोड़ा गणेश के दर्शन के लिए आए, तब इस बात का खुलासा हुआ कि जिले में बाल विवाह रोक पाने में प्रशासन नाकामयाब रहा है.

मंदिर में धोक लगाने आए मासूम जोड़े

मंदिर की दीवारों पर स्लोगन महज औपचारिकता

बुधवार को ईटीवी भारत की टीम ने बाल विवाह रोकने के दावों की हकीकत जानने के लिए किशनगढ़ के खोड़ा गणेश मंदिर पहुंची. वैवाहिक जीवन की खुशहाली के लिये कई मासूम जोड़े खोड़ा गणेश की चौखट पर धोक लगाते नज़र आये. हालांकि इस दौरान पुलिस की गैरमौजूदगी के साथ ही मंदिर में दीवारों पर बाल विवाह अपराध के स्लोगन ने जता दिया की बाल विवाह रोकने के दावे महज औपचारिकता पूरी कर रहे हैं.

आज तक कोई मामला दर्ज नहीं

बता दें की बाल विवाह करने, करवाने या प्रोत्साहन देने वाले व्यक्ति जिसके अंतर्गत पंडित, नाई, बाराती व बैंड बाजे वाले, हलवाई, टैंट वाले, या ऐसा व्यक्ति जिसकी जानकारी के बावजूद भी बाल विवाह करवाया जा रहा है दोषी होंगे, जबकि इसके तहत न तो आज तक कोई मामला दर्ज हुआ और न ही किसी को सजा मिली है. कानून महज औपचारिकता के लिए ही बना हुआ है.

एक दिन पहले बैठक क्या औपचारिकता थी

हर साल आखातीज पर होने वाले बाल-विवाह को रोकने के लिए पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठकें होती हैं, हवा-हवाई आदेशों की बातें कर इतिश्री कर देते हैं, जबकि हकीकत में बाल विवाह रोकने के प्रयास तक नहीं होते. वजह यह है किसी के घर में घुसकर बाल विवाह रुकवाने की हिम्मत प्रशासन और पुलिस की भी नहीं हो रही है. कई बार तो पुलिस और प्रशासन की ओर से शिकायतकर्ताओं के नाम भी बता दिए जाते हैं, इससे शिकायतकर्ता की मुश्किलें बढ़ जाती हैं.

कितने बाल विवाह रुकवाए, रिकॉर्ड ही नहीं

सवाल यह है कि पिछले 4-5 वर्षों में प्रशासन और पुलिस ने कितने बाल विवाह रुकवाए हैं, इसका कोई रिकॉर्ड तक नहीं है. ईटीवी भारत की टीम ने जब इसकी सूचना चाही तो अधिकारी भी गोलमाल जबाव देते रहे. संबंधित विभाग से संपर्क किया तो सामने आया कि ऐसी कोई सूचना का संधारण भी नहीं किया जा रहा है.

यह है कानून: दो साल तक हो सकती है जेल

1 नवंबर, 2007 को बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 लागू हुआ. सरकार ने शादी के लिए 18 वर्ष की उम्र लड़की और 21 वर्ष की उम्र लड़के के लिए निर्धारित कर रखी है. इससे कम उम्र में विवाह करने पर बाल विवाह की श्रेणी में माना जाता है. इसके लिए 2 वर्ष तक की जेल और एक लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान है. यह गैर जमानती अपराध है.

ईटीवी भारत हमेशा से ही सामजिक सरोकार निभाता आ रहा है. उसी दिशा में सरकारी तंत्र की आंखे खोलने के लिए ईटीवी भारत ने इसका खुलासा किया है. सवाल यह उठता है कि जब जिले में बाल विवाह नही हुए तो प्रसिद्ध खोड़ा गणेश मंदिर में मान्यता अनुसार इतने मासूम जोड़े ढोक लगाने कैसे पहुंच गए.

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