ETV Bharat / state

Ajmer Urs 2023: बड़े कुल की रस्म अदायगी के साथ संपन्न हुआ 811वां उर्स, मांगी अमन-चैन की दुआ

बड़े कुल की रस्म के साथ बुधवार को गरीब नवाज के सालाना उर्स का समापन (Garib Nawaz 811th Urs) हो गया. इस दौरान खादिमों के साथ ही जायरीनों ने भी अपने परिवार की सलामती और खुशहाली के लिए दुआ मांगी.

Ajmer Urs 2023
Ajmer Urs 2023
author img

By

Published : Feb 1, 2023, 1:26 PM IST

अजमेर. सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के सालाना उर्स मेला बड़े कुल की रस्म के साथ संपन्न हो गया. दरगाह में बड़े कुल की रस्म पर अकीदतमंदों ने केवड़े और गुलाब जल से दरगाह की दीवारों को धोया. जिससे दरगाह परिसर महक उठा तो वहीं जायरीनों ने दरगाह में हाजिरी लगाकर अपने और अपने परिवार की सलामती और खुशहाली की दुआ मांगी. इस दौरान दरगाह में मुल्क में अमन-चैन, भाईचारे और मोहब्बत के लिए भी दुआएं मांगी गई.

ख्वाजा गरीब नवाज के सालाना उर्स पर परंपरागत रस्मे निभाई जाती है. इन सब रसुमात में सबसे आखरी रस्म बड़े कुल की रस्म होती है. इस रस्म के बाद से ही दरगाह में आम दिनों की तरह व्यवस्थाएं शुरू हो जाती है. बुधवार को दरगाह में बड़े कुल की रस्म के लिए बड़ी संख्या में जायरीन मौजूद रहे. यूं तो जायरीनों ने मंगलवार रात से ही दरगाह की दीवारों को गुलाब जल और केवड़े से धोना शुरू कर दिया था.

जिसका सिलसिला बुधवार सुबह के दौरान भी देखने को मिला. यहां सुबह से ही दरगाह में जायरीनों ने दरगाह की दीवारों को धोना शुरू कर दिया था. बताया जाता है कि ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स का समापन विधिवत रूप से रजब की 6 तारीख को छोटे कुल की रस्म के साथ हो जाता है. 9 रजब की तारीख को दरगाह में बड़े कुल की रस्म अदा की जाती है. इस रसुमात को गुसल की रस्म भी कहा जाता है.

इसे भी पढ़ें - 811th Urs 2023: पाकिस्तान से अजमेर पहुंचे 240 जायरीन, हुजूर से मांगेंगे दोनों मुल्कों की बेहतरी की दुआ

ये होती है बड़े कुल की रस्म - दरगाह में खादिमों की संस्था अंजुमन कमेटी के पूर्व सचिव वाहिद अंगाराशाह ने बताया कि कुल की रस्म के तहत दरगाह के खादिम आस्ताने में इत्र और गुलाब जल से मजार शरीफ को गुसल देते हैं. इसके बाद परिसर के अहाते को गुलाब जल और केवड़ा से धोया जाता है. वहीं, सूफीयत से जुड़े लोग आस्ताने के बाहर के क्षेत्र को केवड़ा और गुलाब जल से धोते हैं. उन्हें देखकर जायरीन भी केवड़ा और गुलाब जल से दरगाह को धोना शुरू कर देते हैं.

सालों से कुल की रस्म के दौरान यही रसुमात होती आई है. जायरीन अपने साथ दरगाह की दीवार पर लगने वाले गुलाब जल और केवड़े के पानी को बोतलों में भरकर लाते हैं. उन्होंने बताया कि 9 रजब को मजार शरीफ को आखरी गुसल दिया जाता है. इस रस्म को कुल की रस्म कहते हैं. इस रसुमात के तहत मजार शरीफ को गुसल दिया जाता है. अब अगला गुसल मजार शरीफ को रजब के चांद की पहले तारीख को दिया जाएगा, जो अगले साल आएगा.

कुल की रस्म के साथ ही संपन्न हुआ उर्स - खादिम सैयद जहूर चिश्ती ने कहा कि कुल की रस्म उर्स की आखरी रस्म होती है. इस रस्म के बाद से ही उर्स मेला सम्पन्न हो जाता है और जायरीन अपने घरों को लौटने लगते हैं. उन्होंने बताया कि कुल की रस्म के दौरान खादिम दरगाह आने वाले हर जायरीन के लिए दुआएं करते हैं. ताकि वो और उनका परिवार सलामत और खुशहाल रहे.

1500 से 2000 लीटर के लगभग गुलाब जल और केवड़े की होती है खपत - छोटे कुल की रस्म और बड़े कुल की रस्म में गुलाब जल और केवड़े के पानी की खपत काफी बढ़ जाती है. दरगाह के भीतर और बाहर के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में चादर, फूल और गुलाब जल, इत्र और केवड़े के जल को बेचने की 100 से अधिक दुकाने हैं. वर्ष में इनके यहां उतनी खरीदारी नहीं होती है, जितनी उर्स के दौरान होती है. उर्स में 1500 से 2000 लीटर से अधिक गुलाब जल और केवड़े की खपत हुई है.

अजमेर. सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के सालाना उर्स मेला बड़े कुल की रस्म के साथ संपन्न हो गया. दरगाह में बड़े कुल की रस्म पर अकीदतमंदों ने केवड़े और गुलाब जल से दरगाह की दीवारों को धोया. जिससे दरगाह परिसर महक उठा तो वहीं जायरीनों ने दरगाह में हाजिरी लगाकर अपने और अपने परिवार की सलामती और खुशहाली की दुआ मांगी. इस दौरान दरगाह में मुल्क में अमन-चैन, भाईचारे और मोहब्बत के लिए भी दुआएं मांगी गई.

ख्वाजा गरीब नवाज के सालाना उर्स पर परंपरागत रस्मे निभाई जाती है. इन सब रसुमात में सबसे आखरी रस्म बड़े कुल की रस्म होती है. इस रस्म के बाद से ही दरगाह में आम दिनों की तरह व्यवस्थाएं शुरू हो जाती है. बुधवार को दरगाह में बड़े कुल की रस्म के लिए बड़ी संख्या में जायरीन मौजूद रहे. यूं तो जायरीनों ने मंगलवार रात से ही दरगाह की दीवारों को गुलाब जल और केवड़े से धोना शुरू कर दिया था.

जिसका सिलसिला बुधवार सुबह के दौरान भी देखने को मिला. यहां सुबह से ही दरगाह में जायरीनों ने दरगाह की दीवारों को धोना शुरू कर दिया था. बताया जाता है कि ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स का समापन विधिवत रूप से रजब की 6 तारीख को छोटे कुल की रस्म के साथ हो जाता है. 9 रजब की तारीख को दरगाह में बड़े कुल की रस्म अदा की जाती है. इस रसुमात को गुसल की रस्म भी कहा जाता है.

इसे भी पढ़ें - 811th Urs 2023: पाकिस्तान से अजमेर पहुंचे 240 जायरीन, हुजूर से मांगेंगे दोनों मुल्कों की बेहतरी की दुआ

ये होती है बड़े कुल की रस्म - दरगाह में खादिमों की संस्था अंजुमन कमेटी के पूर्व सचिव वाहिद अंगाराशाह ने बताया कि कुल की रस्म के तहत दरगाह के खादिम आस्ताने में इत्र और गुलाब जल से मजार शरीफ को गुसल देते हैं. इसके बाद परिसर के अहाते को गुलाब जल और केवड़ा से धोया जाता है. वहीं, सूफीयत से जुड़े लोग आस्ताने के बाहर के क्षेत्र को केवड़ा और गुलाब जल से धोते हैं. उन्हें देखकर जायरीन भी केवड़ा और गुलाब जल से दरगाह को धोना शुरू कर देते हैं.

सालों से कुल की रस्म के दौरान यही रसुमात होती आई है. जायरीन अपने साथ दरगाह की दीवार पर लगने वाले गुलाब जल और केवड़े के पानी को बोतलों में भरकर लाते हैं. उन्होंने बताया कि 9 रजब को मजार शरीफ को आखरी गुसल दिया जाता है. इस रस्म को कुल की रस्म कहते हैं. इस रसुमात के तहत मजार शरीफ को गुसल दिया जाता है. अब अगला गुसल मजार शरीफ को रजब के चांद की पहले तारीख को दिया जाएगा, जो अगले साल आएगा.

कुल की रस्म के साथ ही संपन्न हुआ उर्स - खादिम सैयद जहूर चिश्ती ने कहा कि कुल की रस्म उर्स की आखरी रस्म होती है. इस रस्म के बाद से ही उर्स मेला सम्पन्न हो जाता है और जायरीन अपने घरों को लौटने लगते हैं. उन्होंने बताया कि कुल की रस्म के दौरान खादिम दरगाह आने वाले हर जायरीन के लिए दुआएं करते हैं. ताकि वो और उनका परिवार सलामत और खुशहाल रहे.

1500 से 2000 लीटर के लगभग गुलाब जल और केवड़े की होती है खपत - छोटे कुल की रस्म और बड़े कुल की रस्म में गुलाब जल और केवड़े के पानी की खपत काफी बढ़ जाती है. दरगाह के भीतर और बाहर के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में चादर, फूल और गुलाब जल, इत्र और केवड़े के जल को बेचने की 100 से अधिक दुकाने हैं. वर्ष में इनके यहां उतनी खरीदारी नहीं होती है, जितनी उर्स के दौरान होती है. उर्स में 1500 से 2000 लीटर से अधिक गुलाब जल और केवड़े की खपत हुई है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.