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अजमेर सेंट्रल जेल से महिला बंदियों ने ली विदाई...आंखों से छलके आंसू

अजमेर जिला सेंट्रल में शिफ्टिंग के दौरान महिला कैदियों ने विदाई ली. उन्होंने कोरोना काल में लगाए गए पौधों की देखरेख का जिम्मा भारी मन से किसी और को सौंपा.

Ajmer news, Ajmer Central Jail
अजमेर जिला सेंट्रल में शिफ्टिंग
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Published : Dec 18, 2020, 8:04 PM IST

अजमेर. कहते हैं कि जब किसी से लगाव हो जाता है और उसे किसी कारणवश छोड़ना पड़ता है तो वह आसान नहीं होता. इन रुखसत के पलों में आंख से आंसू छलक पड़ते हैं. ऐसा ही कुछ नजारा शुक्रवार को अजमेर की सेंट्रल जेल में देखने को मिला.

अजमेर जिला जेल से शिफ्टिंग के दौरान छलकी बंदियों की आंखे

बता दें कि अजमेर जेल से महिला कैदियों को जोधपुर जेल शिफ्ट किया जा रहा था. इन महिला बंदियों ने अपने द्वारा तैयार किए गए कोरोना गार्डन में लगाए खुद के पौधों को भी स्थानीय महिला बंदियों के सुपुर्द किया और उन्हें इसकी देखरेख की जिम्मेदारी भी दी. जेल प्रबंधन ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान महिला सौ से अधिक बंदियों को अजमेर के महिला बंदी गृह में शिफ्ट कर दिया गया था. जिससे कि कोरोना का संक्रमण नहीं फैले और उन्हें सुरक्षित रखा जा सके.

कंटीली झाड़ियों की जगह उगाए पेड़...

कोरोना गार्डन महिला बंदियों को काम में लगाने के लिए जेल की खाली पड़ी का भूमि पर कोरोना गार्डन विकसित किया था और सभी ने अपने अपने नाम के पौधे भी लगाए थे. जिससे उनका गहरा लगाव हो गया और सभी उनकी देखरेख बच्चों की तरह करने लगे.

अब जेल डीजी के आदेश पर कोटा की बीस और जोधपुर की अस्सी महिला बंदियों को उनकी जेलों के लिए रोडवेज की बसों से रवाना किया गया. गृह वापसी की खुशी लेकिन रुखसत नहीं आसान है. महिला बंदियों ने भी कहा कि वह यहां से रुखसत ले रही है तो उन्हें गृह वापसी को लेकर उत्साह है लेकिन अजमेर के महिला बंदी गृह की यादें और उनके लगाए पौधों के कारण उनकी आंखें नम है. अपनी स्थानीय साथियों को ही यह सुपुर्द किए हैं. जिससे कि उनके लगाए पौधे पेड़ बन सके.

अजमेर. कहते हैं कि जब किसी से लगाव हो जाता है और उसे किसी कारणवश छोड़ना पड़ता है तो वह आसान नहीं होता. इन रुखसत के पलों में आंख से आंसू छलक पड़ते हैं. ऐसा ही कुछ नजारा शुक्रवार को अजमेर की सेंट्रल जेल में देखने को मिला.

अजमेर जिला जेल से शिफ्टिंग के दौरान छलकी बंदियों की आंखे

बता दें कि अजमेर जेल से महिला कैदियों को जोधपुर जेल शिफ्ट किया जा रहा था. इन महिला बंदियों ने अपने द्वारा तैयार किए गए कोरोना गार्डन में लगाए खुद के पौधों को भी स्थानीय महिला बंदियों के सुपुर्द किया और उन्हें इसकी देखरेख की जिम्मेदारी भी दी. जेल प्रबंधन ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान महिला सौ से अधिक बंदियों को अजमेर के महिला बंदी गृह में शिफ्ट कर दिया गया था. जिससे कि कोरोना का संक्रमण नहीं फैले और उन्हें सुरक्षित रखा जा सके.

कंटीली झाड़ियों की जगह उगाए पेड़...

कोरोना गार्डन महिला बंदियों को काम में लगाने के लिए जेल की खाली पड़ी का भूमि पर कोरोना गार्डन विकसित किया था और सभी ने अपने अपने नाम के पौधे भी लगाए थे. जिससे उनका गहरा लगाव हो गया और सभी उनकी देखरेख बच्चों की तरह करने लगे.

अब जेल डीजी के आदेश पर कोटा की बीस और जोधपुर की अस्सी महिला बंदियों को उनकी जेलों के लिए रोडवेज की बसों से रवाना किया गया. गृह वापसी की खुशी लेकिन रुखसत नहीं आसान है. महिला बंदियों ने भी कहा कि वह यहां से रुखसत ले रही है तो उन्हें गृह वापसी को लेकर उत्साह है लेकिन अजमेर के महिला बंदी गृह की यादें और उनके लगाए पौधों के कारण उनकी आंखें नम है. अपनी स्थानीय साथियों को ही यह सुपुर्द किए हैं. जिससे कि उनके लगाए पौधे पेड़ बन सके.

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