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आजादी के बाद पहली बार अजमेर में नहीं निकला ईद मिलादुन्नबी का जुलूस

अजमेर में पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के यौमे पैदाइश का पर्व ईद मिलादुन्नबी शुक्रवार को हर्षोल्लास से मनाया गया. कोविड-19 के चलते पहली बार शहर में इस मौके पर जुलूस नहीं निकला गया है.

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अजमेर में पहली बार नहीं निकला ईद मिलादुन्नबी का जुलूस
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Published : Oct 30, 2020, 5:10 PM IST

अजमेर. शहर में मुस्लिम समुदाय ने पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब की पैदाइश की खुशी शानो शौकत के साथ ईद मिलादुन्नबी मनाया. कोविड-19 के चलते आजादी के बाद यह पहला अवसर है जब ईद मिलादुन्नबी पर जुलूस नहीं निकाला गया है. इस बार लोगों ने घरों में ही नियाज दिला कर तबर्रुक तक्सीम किया है. वहीं दरगाह क्षेत्र में अकीदत मंदों ने अपने स्तर पर ही लंगर के आयोजन किए.

अजमेर में पहली बार नहीं निकला ईद मिलादुन्नबी का जुलूस

ईद मिलादुन्नबी के अवसर पर दरगाह और उसके आसपास के क्षेत्रों में विशेष सजावट की गई है. बताया जाता है कि इस्लाम के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब की विलादत इस्लामी संवत के रबी उल अव्वल महीने की 12 तारीख को हुई थी. जिसके बाद हर साल इस दिन को ईद मिलादुन्नबी के रूप में मनाया जाता है. साथ ही लोग इस दिन नए कपड़े पहनते हैं और कपड़ों पर इत्र लगाया जाता है.

पढ़ें: नागौर कलेक्टर का ट्वीट बना चर्चा का विषय, समुदाय विशेष पर साधा निशाना

आजादी के बाद यह पहला अवसर है जब कोविड-19 के चलते लोगों ने ईद मिलादुन्नबी पर जुलूस नहीं निकाला. लोगों ने घर पर ही रह कर अपनों के साथ खुशियां मनाई. सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में अकीदत मंदों का आना-जाना जियारत के लिए लगा रहा. इस अवसर पर दरगाह में पारंपरिक रस्में भी अदा की गई.

साथ ही दरगाह में नो मास्क नो एंट्री की पालना की गई. वहीं अकीदत मनाने सोशल डिस्टेंसिंग के साथ दरगाह जियारत की गई. जिसमें लोगों ने देश और दुनिया से अमन चैन खुशहाली के साथ ही कोरोना महामारी के खत्म होने की भी दुआ मांगी.

अजमेर. शहर में मुस्लिम समुदाय ने पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब की पैदाइश की खुशी शानो शौकत के साथ ईद मिलादुन्नबी मनाया. कोविड-19 के चलते आजादी के बाद यह पहला अवसर है जब ईद मिलादुन्नबी पर जुलूस नहीं निकाला गया है. इस बार लोगों ने घरों में ही नियाज दिला कर तबर्रुक तक्सीम किया है. वहीं दरगाह क्षेत्र में अकीदत मंदों ने अपने स्तर पर ही लंगर के आयोजन किए.

अजमेर में पहली बार नहीं निकला ईद मिलादुन्नबी का जुलूस

ईद मिलादुन्नबी के अवसर पर दरगाह और उसके आसपास के क्षेत्रों में विशेष सजावट की गई है. बताया जाता है कि इस्लाम के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब की विलादत इस्लामी संवत के रबी उल अव्वल महीने की 12 तारीख को हुई थी. जिसके बाद हर साल इस दिन को ईद मिलादुन्नबी के रूप में मनाया जाता है. साथ ही लोग इस दिन नए कपड़े पहनते हैं और कपड़ों पर इत्र लगाया जाता है.

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आजादी के बाद यह पहला अवसर है जब कोविड-19 के चलते लोगों ने ईद मिलादुन्नबी पर जुलूस नहीं निकाला. लोगों ने घर पर ही रह कर अपनों के साथ खुशियां मनाई. सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में अकीदत मंदों का आना-जाना जियारत के लिए लगा रहा. इस अवसर पर दरगाह में पारंपरिक रस्में भी अदा की गई.

साथ ही दरगाह में नो मास्क नो एंट्री की पालना की गई. वहीं अकीदत मनाने सोशल डिस्टेंसिंग के साथ दरगाह जियारत की गई. जिसमें लोगों ने देश और दुनिया से अमन चैन खुशहाली के साथ ही कोरोना महामारी के खत्म होने की भी दुआ मांगी.

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