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सांपला में अन्नकूट महोत्सव के दौरान मेले का आयोजन, भगवान के विमान के नीचे से नहीं निकली गो माता, अकाल के संकेत

सांपला में अन्नकूट महोत्सव के दौरान गाय मेले का आयोजन किया जाता है. इस मेले की मान्यता है कि भगवान के विमान के नीचे से अगर गो माता निकलती है तो अच्छी बरसात और खेती-बाड़ी को फायदा होता है.

Cow fair in kekri, sapla Cow fair
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Published : Oct 28, 2019, 10:53 PM IST

केकड़ी(अजमेर). जिले के केकड़ी कस्बे के सांपला में दीपोत्सव के दूसरे दिन अन्नकूट महोत्सव के दौरान गाय मेले का आयोजन किया गया. मेले को देखने के लिए कई जिलों से श्रद्धालु आए. इस मेले में मान्यता है कि भगवान के विमान के नीचे से अगर गो माता निकलती है तो जमाना अच्छा आता है, अच्छी बरसात और खेती-बाड़ी को फायदा होता है. अगर गौ विमान के नीचे से नहीं निकलती है तो जमाना खराब होता है. अकाल के हालात हो जाता है.

सांपला में अन्नकूट महोत्सव के दौरान मेले का आयोजन

597 वर्ष पुरानी पंरपरा का निर्वहन
इस बार सोमवार को मेले के दौरान विमान के नीचे से गो के नहीं निकलने से मेले में शामिल होने आए 50 हजार से अधिक श्रद्धालुओं को मायूस होना पड़ा. सांपला का गाय मेला प्रदेश में अपनी अलग पहचाने बनाए हुए है. गांव का 597 वर्ष पुराना द्वारिकाधीश गोपालजी महाराज का यह गाय मेला अपने आप में इतिहास समेटे हुए है. किंवदंतियों के अनुसार दामोदरदास महाराज भगवान कृष्ण के भक्त थे. उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर संवत 1474 में द्वारका से श्री गोपालजी महाराज गांव के बाहर से निकलने वाले रेवड़ में चित्त कबरे बैल की पैठ पर सवार होकर मूर्तियों के रूप में सांपला आकर दर्शन दिए. तभी से यह मेला भरा जा रहा है.

पढ़ें- भरतपुर: ब्रज में खास तरीके से की जाती है गोवर्धन की पूजा

विमान के नीचे से गायों के नहीं निकलने से श्रद्धालुओं में निराश
मंदिर पुजारियों ने बताया कि मंदिर के पुजारियों को विधि विधान से हवन कराकर पंचामृत व यज्ञोपवीत धारण कराई जाती है. हवन के बाद मंदिर के सभी पुजारी भगवान द्वारिकाधीश गोपालाजी महाराज की सवारी के साथ मंदिर से रवाना हुई. जो गांव के मुख्य बाजार से होती हुई रावला चौक पहुंची. जहां राजपूत समाज के भक्तों ने झांकी के दर्शन किए. फिर सवारी कीर्ति स्तंभ पहुंची. जहां प्रदेशभर से आए श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़ पड़े. मेला ग्राउंड में सैकड़ों गायों के झुंड के बीच चांदी के ठिकरे से गायों के बीच घुमाया गया. विमान के नीचे से गायों के नहीं निकलने से श्रद्धालुओं में निराश का भाव छा गया.

विमान के नीचे से निकलकर भक्तों ने लिया भगवान से आशीर्वाद
शाम को 6 बजे कीर्ति स्तंभ के पास गोपाल महाराज, केशवरायजी, राधिका का विमान मंदिर के महंत ओमप्रकाश शर्मा ने आरती की. बाद में ढोल नगाड़ों के साथ विभिन्न मार्गों से परिक्रमा के बाद भक्त हरका लाखा स्थल को गोपालबाड़ी पहुंची. जहां पुजारियों को जाट समुदाय की ओर से जलपान करवाया गया. इस दौरान प्रदेशभर से आए श्रद्धालुओं ने विमान के नीचे से निकलकर भगवान से आशीर्वाद लिया. विमान मुख्य मंदिर पहुंचा. जहां मंदिर के पुजारी ने आरती कर अन्नकूट का भोग लगाया गया.

पढ़ें- श्री द्वारकाधीश मंदिर में धूमधाम से मनाया गया गोवर्धन पर्व, 300 सालों से चली आ रही है यह परंपरा

पूजा अर्चना में माना लापरवाही होना
गाय मेले में इस बार भगवान द्वारिकाधीश गोपाल महाराज की सेवा में पूजा अर्चना में लापरवाही होना मानकर सभी पुजारियों के हाथ बांधकर द्वारिकाधीश गोपाल महाराज के भक्त दामोदर दास के पद स्थल पर जाकर क्षमा अर्चना की. फिर गांव द्वारा सवा रुपए चांदी का जमा कराने का दंड दिया.

केकड़ी(अजमेर). जिले के केकड़ी कस्बे के सांपला में दीपोत्सव के दूसरे दिन अन्नकूट महोत्सव के दौरान गाय मेले का आयोजन किया गया. मेले को देखने के लिए कई जिलों से श्रद्धालु आए. इस मेले में मान्यता है कि भगवान के विमान के नीचे से अगर गो माता निकलती है तो जमाना अच्छा आता है, अच्छी बरसात और खेती-बाड़ी को फायदा होता है. अगर गौ विमान के नीचे से नहीं निकलती है तो जमाना खराब होता है. अकाल के हालात हो जाता है.

सांपला में अन्नकूट महोत्सव के दौरान मेले का आयोजन

597 वर्ष पुरानी पंरपरा का निर्वहन
इस बार सोमवार को मेले के दौरान विमान के नीचे से गो के नहीं निकलने से मेले में शामिल होने आए 50 हजार से अधिक श्रद्धालुओं को मायूस होना पड़ा. सांपला का गाय मेला प्रदेश में अपनी अलग पहचाने बनाए हुए है. गांव का 597 वर्ष पुराना द्वारिकाधीश गोपालजी महाराज का यह गाय मेला अपने आप में इतिहास समेटे हुए है. किंवदंतियों के अनुसार दामोदरदास महाराज भगवान कृष्ण के भक्त थे. उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर संवत 1474 में द्वारका से श्री गोपालजी महाराज गांव के बाहर से निकलने वाले रेवड़ में चित्त कबरे बैल की पैठ पर सवार होकर मूर्तियों के रूप में सांपला आकर दर्शन दिए. तभी से यह मेला भरा जा रहा है.

पढ़ें- भरतपुर: ब्रज में खास तरीके से की जाती है गोवर्धन की पूजा

विमान के नीचे से गायों के नहीं निकलने से श्रद्धालुओं में निराश
मंदिर पुजारियों ने बताया कि मंदिर के पुजारियों को विधि विधान से हवन कराकर पंचामृत व यज्ञोपवीत धारण कराई जाती है. हवन के बाद मंदिर के सभी पुजारी भगवान द्वारिकाधीश गोपालाजी महाराज की सवारी के साथ मंदिर से रवाना हुई. जो गांव के मुख्य बाजार से होती हुई रावला चौक पहुंची. जहां राजपूत समाज के भक्तों ने झांकी के दर्शन किए. फिर सवारी कीर्ति स्तंभ पहुंची. जहां प्रदेशभर से आए श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़ पड़े. मेला ग्राउंड में सैकड़ों गायों के झुंड के बीच चांदी के ठिकरे से गायों के बीच घुमाया गया. विमान के नीचे से गायों के नहीं निकलने से श्रद्धालुओं में निराश का भाव छा गया.

विमान के नीचे से निकलकर भक्तों ने लिया भगवान से आशीर्वाद
शाम को 6 बजे कीर्ति स्तंभ के पास गोपाल महाराज, केशवरायजी, राधिका का विमान मंदिर के महंत ओमप्रकाश शर्मा ने आरती की. बाद में ढोल नगाड़ों के साथ विभिन्न मार्गों से परिक्रमा के बाद भक्त हरका लाखा स्थल को गोपालबाड़ी पहुंची. जहां पुजारियों को जाट समुदाय की ओर से जलपान करवाया गया. इस दौरान प्रदेशभर से आए श्रद्धालुओं ने विमान के नीचे से निकलकर भगवान से आशीर्वाद लिया. विमान मुख्य मंदिर पहुंचा. जहां मंदिर के पुजारी ने आरती कर अन्नकूट का भोग लगाया गया.

पढ़ें- श्री द्वारकाधीश मंदिर में धूमधाम से मनाया गया गोवर्धन पर्व, 300 सालों से चली आ रही है यह परंपरा

पूजा अर्चना में माना लापरवाही होना
गाय मेले में इस बार भगवान द्वारिकाधीश गोपाल महाराज की सेवा में पूजा अर्चना में लापरवाही होना मानकर सभी पुजारियों के हाथ बांधकर द्वारिकाधीश गोपाल महाराज के भक्त दामोदर दास के पद स्थल पर जाकर क्षमा अर्चना की. फिर गांव द्वारा सवा रुपए चांदी का जमा कराने का दंड दिया.

Intro:केकड़ी के सांपला में नही निकली गाय,अकाल का संकेत,पुजारियों को ग्रामीणों ने किया दंड़ितBody:एंकर-सांपला में दीपोत्सव के दूसरे दिन अन्नकूट महोत्सव के दौरान गाय मेले का आयोजन किया गया। मेले को देखने के लिए कई जिलों से श्रद्धालु आए। इस मेले में मान्यता है कि भगवान के विमान के नीचे से अगर गो माता निकलती है तो जमाना अच्छा आता है, अच्छी बरसात और खेतीबाड़ी को फायदा होता है। अगर गौ विमान के नीचे से नहीं निकलती है तो जमाना खराब होता है। अकाल के हालात हो जाता है। परंतु इस बार सोमवार को मेले के दौरान विमान के नीचे से गौ के नहीं निकलने से मेले में शामिल होने आए 50 हजार से अधिक श्रद्धालुओं को मायूस होना पड़ा। सांपला का गाय मेला प्रदेश में अपनी अलग पहचाने बनाए हुए है। गांव का 597 वर्ष पुराना द्वारिकाधीश गोपालजी महाराज का यह गाय मेला अपने आप में इतिहास समेटे हुए है।किंवदंतियों के अनुसार दामोदरदास महाराज भगवान कृष्ण के भक्त थे। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर संवत 1474 में द्वारा से श्री गोपालजी महाराज गांव के बाहर से निकलने वाले रेवड़ मे चित्त कबरे बैल की पैठ पर सवार होकर मूर्तियों के रूप में सांपला आकर दर्शन दिए तभी से यह मेला भरा जा रहा है।मंदिर पुजारियों ने बताया कि मंदिर के पुजारियों को विधि विधान से हवन कराकर पंचामृत व यज्ञोपवीत धारण कराई जाती है। हवन के बाद मंदिर के सभी पुजारी भगवान द्वारिकाधीश गोपालाजी महाराज की सवारी के साथ मंदिर से रवाना हुई जो गांव के मुख्य बाजार से होती हुई रावला चौक पहुंची जहां राजपूत समाज के भक्तों ने झांकी के दर्शन किए। फिर सवारी कीर्ति स्तंभ पहुंची जहां प्रदेशभर से आए श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़ पड़े।मेला ग्राउंड में सैकड़ों गायों के झुंड के बीच चांदी के ठिकरे से गायों के बीच घुमाया गया। विमान के नीचे से गायों के नहीं निकलने से श्रद्धालुओं में निराश का भाव छा गया। शाम को 6 बजे कीर्ति स्तंभ के पास गोपाल महाराज, केशवरायजी, राधिका का विमान मंदिर के महंत ओमप्रकाश शर्मा ने आरती की। बाद में ढोल नगाड़ों के साथ विभिन्न मार्गों से परिक्रमा के बाद भक्त हरका लाखा स्थल को गोपालबाड़ी पहुंची पुजारियों को जाट समुदाय की ओर से जलपान करवाया गया। इस दौरान प्रदेशभर से आए श्रद्धालुओं ने विमान के नीचे से निकलकर भगवान से आशीर्वाद लिया। विमान मुख्य मंदिर पहुंचा जहां मंदिर के पुजारी ने आरती कर अन्नकूट का भोग लगाया गया।
गाय मेले में इस बार भगवान द्वारिकाधीश गोपाल महाराज की सेवा में पूजा अर्चना में लापरवाही होने को मानकर सभी पुजारियों के हाथ बांधकर द्वारिकाधीश गोपाल महाराज के भक्त दामोदर दास की पद स्थल पर जाकर पुजारियों ने क्षमा अर्चना की व गांव द्वारा सवा रुपए चांदी का जमा कराने का दंड दिया

बाईट1-ओमप्रकाश शर्मा,मंदिर महंत.

बाईट2-श्याम शर्मा,पुजारी

बाईट3-गिरधर गोपाल,समाजसेवीConclusion:
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