अजमेर. एनडीपीएस एक्ट प्रकरण में अभियुक्त को गिरफ्तार नहीं कर उसे फायदा पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार दिव्या मित्तल को एसओजी ने अपर जिला एवं सेशन न्यायालय कोर्ट संख्या 1 में पेश किया गया. दिव्या मित्तल 3 दिन के पीसी रिमांड पर थीं. कोर्ट ने दिव्या मित्तल को 18 अप्रैल तक न्यायिक अभिरक्षा में भेजा है.
अजमेर एसओजी की निलंबित एडिशनल एसपी दिव्या मित्तल चार दिन पहले हाईकोर्ट से जमानत लेकर अजमेर केंद्रीय कारागार से बाहर आई थीं. अब चार दिन बाद दिव्या मित्तल को वापस जेल जाना पड़ा है. दरअसल एसओजी ने दिव्या मित्तल को एनडीपीएस एक्ट मामले में 4 दिन पहले अजमेर केंद्रीय कारागार के बाहर से गिरफ्तार किया था. अगले दिन दिव्या को एसओजी ने कोर्ट में पेश किया था. जहां से उसे 3 दिन के पीसी रिमांड पर एसओजी को सौंपा था. दिव्या मित्तल से 3 दिन एसओजी ने एनडीपीएस के तीन मुकदमों के संबंध में पूछताछ की है.
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एसओजी के एडिशनल एसपी कमल सिंह ने बताया कि अजमेर की अपर जिला एवं सेशन न्यायालय की कोर्ट संख्या 1 ने दिव्या मित्तल को 18 अप्रैल तक न्यायिक अभिरक्षा में भेजा है. यानी दिव्या मित्तल को 18 अप्रैल तक जेल में रहना पड़ेगा. हालांकि दिव्या मित्तल की ओर से कोर्ट में जमानत अर्जी लगाई गई है. जमानत अर्जी पर कोर्ट में कल 5 अप्रैल को सुनवाई है. एनडीपीएस एक्ट के विशेष न्यायालय में विशिष्ट लोक अभियोजक राजेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि दिव्या मित्तल ने अभियुक्त को एक प्रकरण में गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन दूसरे प्रकरण में स्वीकृति मिलने के बाद भी मुख्य अभियुक्त को गिरफ्तार नहीं किया. दिव्या मित्तल पर अभियुक्त को बचाने का आरोप है.
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यह था मामलाः 2 करोड़ रुपए के घूस प्रकरण में दिव्या मित्तल को 16 जनवरी को जयपुर एसीबी ने गिरफ्तार किया था. दिव्या मित्तल पर आरोप था कि रामगंज थाने में दो और अलवर गेट थाने में एक एनडीपीएस एक्ट के मुकदमे में वह अनुसंधान अधिकारी थीं. अजमेर एसओजी की एडिशनल एसपी रहते हुए वह मुकदमे की तीनों फाइल पर अनुसंधान कर रही थीं. मुकदमे में मुख्य अभियुक्त का नाम मुकदमे से हटाने की एवज में दलाल पुलिस के बर्खास्त सिपाही सुमित कुमार से उसने परिवादी से 2 करोड़ रुपए घूस मांगी थी.
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परिवादी ने एसीबी को मामले की शकायत की थी. मामले के सत्यापन में दिव्या मित्तल और दलाल की रिकॉर्डिंग और अन्य तथ्य एसीबी के पास थे, लेकिन मामले में भनक लगने पर दलाल सुमित कुमार उदयपुर से फरार हो गया. बता दें कि परिवादी को दिव्या मित्तल ने दलाल सुमित कुमार के पास सौदा करने के लिए उदयपुर भेजा था. इस प्रकरण में दिव्या मित्तल 100 दिन से अधिक समय तक न्यायिक अभिरक्षा में रहीं.
हाईकोर्ट से दिव्या मित्तल की जमानत होने के उपरांत तुरंत ही जेल के बाहर से ही एसओजी ने एनडीपीएस एक्ट के मामले में गिरफ्तार किया था. दिव्या मित्तल एनडीपीएस प्रकरण के जिन 3 मुकदमों का अनुसंधान कर रही थीं, उन तीन फाइलों का अनुसंधान अब जोधपुर में एसओजी के एडिशनल एसपी कमल सिंह तंवर कर रहे हैं. तंवर की जांच में सामने आया की अभियुक्त सुनील नंदवानी को फायदा पहुंचाने के लिए उसे दिव्या मित्तल ने गिरफ्तार नहीं किया. जबकि दिव्या मित्तल के पास उसे गिरफ्तार करने की स्वीकृति थी.