अजमेर. राजस्थान में बड़े पैमाने पर मोतियाबिंद का महाशिविर लगने वाला है. अजमेर जिले के पुष्कर में गुजरात राजकोट के श्री रणछोड़ दास जी बापू चैरिटेबल अस्पताल ने राजस्थान को मोतियाबिंद मुक्त करने का बीड़ा उठाया है. संस्था की ओर से पुष्कर में 17 दिसंबर 2023 से 17 मार्च 2024 तक 50 हजार मरीजों के ऑपरेशन का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए राजस्थान के समस्त जिलों में संस्था की ओर से केंद्र बनाए जाएंगे. इन सेंटर पर पंजीकृत मरीज को पुष्कर लाया जाएगा और यहां उनके रहने, खाने, पीने और ऑपरेशन की व्यवस्था निशुल्क रहेगी. साथ ही ऑपरेशन के बाद मरीज को संस्था की ओर से राशन, कंबल और साड़ी भी भेंट की जाएगी.
50 हजार ऑपरेशन का टारगेट : संस्था के मैनेजिंग ट्रस्टी प्रवीण भाई वासणी ने बताया कि संस्था की ओर से 50 हजार मरीजों के ऑपरेशन का लक्ष्य रखा गया है. ये ऑपरेशन फेको (phacoemulsification) पद्धति से किया जाएगा. इसमें हर उम्र के मरीज का ऑपरेशन किया जाएगा. मोतियाबिंद के चलते गरीब और जरूरतमंद लोग अपनी आंखों की रोशनी ऑपरेशन के अभाव में खो देते हैं. ऐसे लोगों को आंखों की रोशनी मिले इस उद्देश्य से संस्था की ओर से मोतियाबिंद महाशिविर का आयोजन किया जा रहा है.
यह मिलेगी रोगी को सुविधा : प्रवीण भाई वासणी ने बताया कि शिविर में मरीज का आधुनिक फेको मशीन से किया जाएगा. इसके तहत बिना टांके के ऑपरेशन किया जाता है. साथ ही सॉफ्ट फोल्डेबल लेंस मरीज को लगाया जाएगा. मरीज और उसके परिजन को चाय-नाश्ता, भोजन, कंबल, साड़ी, 2 किलो चावल, आधा किलो मीठी बूंदी, 1 किलो गेहूं का आटा, दवाई, टीपा, काला चश्मा और ऑपरेशन के बाद नम्बर का चश्मा भी मुफ्त में दिया जाएगा. ऑपरेशन के बाद मरीज को 100 रुपए नकद राशि भी दी जाएगी. शिविर में मरीज के रहने की उत्तम व्यवस्था होगी. उन्होंने बताया कि यही ऑपरेशन किसी अन्य अस्पताल में करवाने पर मरीज का खर्च 20 हजार रुपए तक आ जाता.
ऐसे हुई शुरुआत : उन्होंने बताया संत रणछोड़दास बापू के आदेश से संस्था की ओर से मोतियाबिंद से ग्रस्त मरीजों के ऑपरेशन का कार्य अनवरत अस्पताल में जारी रहता है. वसाणी बताते हैं कि वर्षों पहले संत रणछोड़ दास बापू मुंबई गए थे, जहां वह पैदल घूम रहे थे. इस दौरान उन्होंने देखा कि एक बुजुर्ग चलते-चलते ठोकर खाकर जमीन पर गिर गया. उन्होंने बुजुर्ग को उठाया तब बुजुर्ग ने बताया कि उसकी दोनों आंखों में मोतियाबिंद है, इसलिए वह ठीक से देख नहीं पता है. उस दिन से संत रणछोड़ दास बापू ने अपने अनुयायियों को कहा कि मोतियाबिंद ग्रसित मरीज का इलाज जरूर करें. ऐसा करने से उन मरीजों के जीवन में रोशनी फिर से लौट आएगी.