अजमेर. इनडोर स्टेडियम की नींव रखने वाला अपने ही शहर में भुलाया जा चुका है. मंगलवार को मूलचंद चौहान की जयंती थी. लेकिन इनडोर स्टेडियम में लगी प्रतिमा से धूल की परत तक नहीं हटाई गई. गौरतलब है कि मूलचंद चौहान का जीवन खेल को समर्पित रहा है.
विशेषकर टेबल टेनिस खेल को देश में पहचान दिलाने और देश में अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को तैयार कर उन्हें ओलंपिक में अवसर देने का योगदान उनके नाम रहा है. मूलचंद चौहान ओलंपिक संघ के उपाध्यक्ष सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं. उनके योगदान के लिए अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ की ओर से सन 2003 में ओलंपिक ऑर्डर से उन्हें सम्मानित किया जा चुका है.
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चौहान ने अपने शहर अजमेर में भी खेलों को बढ़ावा देने के लिए इनडोर स्टेडियम की नींव रखी. सन् 2009 में उनके निधन के बाद इनडोर स्टेडियम का नाम उनके नाम से ही जाना जाता रहा है. अफसोस की बात यह है कि इंडोर स्टेडियम का फायदा उठाने वाले और उनके नाम से अपना जीवन संवारने वाले लोग आज उनकी जयंती तक भूल गए हैं. इनडोर स्टेडियम में लगी उनकी प्रतिमा पर जमी धूल की परत तक आज नहीं हटाई गई है. प्रतिमा के आसपास के मकड़ी के जाले लगे हुए है.
लेकिन उनके वक्त के एक साथी रणजीत मलिक को उनकी जयंती याद रही और देर शाम वे सभी प्रतिमा को श्रद्धा सुमन अर्पित करने पहुंचे. उसके बाद वहां उपस्थित लोगों ने प्रतिमा के आसपास फैली गंदगी को हटाया. मलिक बताते हैं कि टेबल टेनिस खेल को देश में पहचान दिलाने में मूलचंद चौहान का योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण रहा है.