दौसा: मेहंदीपुर बालाजी के डैडान बसेड़ी में वन विभाग द्वारा आरडीएफ योजना में वर्ष 2023-24 में किए गए कार्यों का भुगतान फर्जी साइन कर 20 लाख रुपए से अधिक राशि बिल उठाने का मामला सामने आया है. मामले में नाहरखोहरा बीट प्रभारी वनकर्मी महेंद्र बैरवा की ओर से वन विभाग के उच्चाधिकारियों को लिखित में शिकायत देकर मामले की जांच करवाने की और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है. वहीं सिकराय रेंज के अधिकारियों द्वारा फर्जी बिल उठाने का मामला सामने आते ही अधिकारियों के भी कान खड़े हो गए है. दौसा डीएफओ संजय भादू का कहना है कि मामला अभी जानकारी में आया है. मामले की जांच कर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
क्या है पूरा मामला: नाहरखोहरा बीट के प्रभारी महेंद्र बैरवा ने बताया कि मैं आरडीएफ योजना के अंतर्गत किए गए कार्य का कार्य प्रभारी भी हूं. मेरी देखरेख में बसेड़ी गांव में प्लांटेशन का कार्य कराया गया था. जिसका भुगतान मेहंदीपुर बालाजी वन नाके के फॉरेस्टर ने मुझे जानकारी दिए बिना ही उठा लिया गया. उन्होंने बताया कि जिस बिल के द्वारा भुगतान उठाया गया है, उसमें मेरे फर्जी साइन किए गए हैं. उन्होंने बताया कि फॉरेस्टर द्वारा पहला भुगतान बिल नंबर 17 एमवीए नंबर 1321 का बिल 1 लाख 31902 रुपए का भुगतान 10 फरवरी, 2023 को मेरे फर्जी साइन कर उठा लिया गया. जिसकी मुझे भनक तक नहीं लगने दी गई.
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दूसरा बिल 19 लाख का उठाया: वनकर्मी महेंद्र ने बताया कि पहला बिल उठाने के बाद उक्त अधिकारियों ने मेरे फर्जी साइन से दूसरा बिल भी पास करवा लिया. जिसमें बिल नंबर 18 में 18 लाख 94980 रुपए की राशि का बिल बना लिया. वहीं मेरे फर्जी साइन कर दोनों बिलों को मिलाकर करीब 20 लाख रुपए से अधिक राशि का बिल उठाकर राशि का गबन कर लिया. पीड़ित वनकर्मी ने बताया कि मामले की शिकायत कई बार उच्चाधिकारियों से कर चुका. लेकिन बालाजी वन नाके के फॉरेस्टर के प्रभावशाली होने के कारण अधिकारी शिकायत की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहे.
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फॉरेस्टर और तत्कालीन रेंजर पर लगाया गबन का आरोप: पीड़ित वनकर्मी ने बताया कि आरडीएफ योजना के अंतर्गत किए गए प्लांटेशन का बिल स्थानीय फॉरेस्टर और रेंजर द्वारा बनाया जाता है. ऐसे में उस समय सिकराय में तत्कालीन रेंजर चंद्रप्रकाश मीना थे. वहीं बालाजी वन नाके के फॉरेस्टर बालाजी कार्यसमिति अध्यक्ष थे. ऐसे में करीब 2 माह पूर्व जब एमवी चेक की, तो मुझे मेरे फर्जी साइन से बिल उठाने के मामले की जानकारी लगी. इसके बाद मैंने मामले से उच्चाधिकारियों को अवगत करवाया.
वहीं पीड़ित वनकर्मी ने बताया कि भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा विभाग से प्लांटेशन की एवज में 20 लाख रुपए से अधिक राशि का बिल उठा लिया. जबकि धरातल पर मात्र 10 से 12 लाख रुपए का कार्य ही हुआ है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि बिना किसी कार्यों की जांच किए अधिकारियों ने इतनी बड़ी राशि का बिल उठा लिया. जिसके चलते गबन की राशि के मामले में सिकराय रेंज सहित जिले के अन्य अधिकारियों के भी इस मामले से जुड़े होने से इनकार नहीं किया जा सकता. हालांकि इस मामले में उप वनसंरक्षक संजय भादू का कहना है कि मामले की जानकारी मिलने के बाद मामले में जांच कमेटी का गठन किया जाएगा. ऐसे में जो भी दोषी होगा. उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.