अजमेर. प्रदेश में भाजपा की नई सरकार बनी है. नई सरकार के मुखिया भजनलाल शर्मा हैं. इस बार विधानसभा चुनाव में प्रदेश की जनता ने भाजपा को बहुमत के साथ विधानसभा भेजा है. ऐसे में प्रदेश की भजन लाल सरकार से जनता की उम्मीदें भी काफी बढ़ गई हैं. नई सरकार नए फैसले लेने लगी है. जाहिर है अगला चुनाव लोकसभा का भी है. ऐसे में सरकार को अपना रिपोर्ट कार्ड बेहतर रखना होगा. ताकि जनता का रुझान लोकसभा चुनाव में भी भाजपा के साथ बना रहे. यही वजह है कि प्रदेश के साथ अजमेर के लोगों को भी नई सरकार से काफी उम्मीदें हैं. अजमेर की बड़ी समस्याओं में बात करें तो यहां पेयजल सबसे बड़ी और सबसे पुरानी समस्या है. पेयजल का मुद्दा चुनावों में भी काफी गर्म रहता है. लेकिन चुनाव के बाद पेयजल के मुद्दे पर केवल सियासत होती है. धरातल पर लोगों की परेशानी का समाधान नहीं हो पता. इसी तरह से अजमेर में ऐसे कई मुद्दे है जो आमजन से जुड़े हुए हैं. इनमें कई मुद्दे ऐसे हैं जिनके साथ लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं. सड़क, पानी, बिजली, सीवेज, शिक्षा, चिकित्सा के मुद्दे वर्षो से कायम हैं आईए जानते हैं अजमेर से जुड़े मुद्दे और नई सरकार से स्थानीय लोगों की क्या उम्मीदें हैं.
लौटे शिक्षा नगरी का गौरव : धार्मिक पर्यटन नगरी अजमेर कभी शिक्षा की नगरी से पहचान रखती थी. देश से ही नहीं विदेश से पढ़ने के लिए यहां विद्यार्थी आया करते थे. लेकिन वक्त के साथ अजमेर के साथ जुड़ा शिक्षा नगरी का नाम भी धूमिल हो गया. लोगों को उम्मीद है कि नई सरकार अजमेर में शिक्षा की दृष्टि से नए आयाम स्थापित करेगी. ताकि अजमेर का शिक्षा नगरी की पहचान फिर से बन सके.
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24 घंटे के अंतराल में मिले पेयजल सप्लाई : अजमेर की पेयजल समस्या वर्षों पुरानी है. पेयजल को लेकर चुनाव में मुद्दा गरम रहता है लेकिन इसके बाद केवल सियासत होती है. वर्तमान में अजमेर में 76 घंटो में पानी की सप्लाई दी जा रही है. टोंक जिले में अजमेर की प्यास बुझाने के लिए बनास नदी पर बीसलपुर परियोजना है. उसके बाद भी अजमेर के हक का पानी समय पर नहीं मिल पा रहा है. अजमेर की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी समस्या पेयजल है.
सीवरेज में करोड़ों रुपए दफन नही मिला लाभ : अजमेर शहर में 20 वर्षो से सीवरेज की समस्या का समाधान नही निकल पाया है. जबकि आरयूडीपीआई ने शहर ने सीवरेज लाइन डालने की शुरुआत की थी. लगभग 300 करोड़ जमीन में दफन होने के बाद भी अजमेर के लोगों को सीवरेज का कोई फायदा नही मिल रहा. जबकि अब स्मार्ट सिटी के तहत सीवरेज मिसिंग लाइन को दुरुस्त करने का काम जारी है. सीवरेज के तहत शहर में दो ट्रीटमेन्ट प्लांट बनाए गए लेकिन उनका भी उपयोग नही हो पा रहा है. पुष्कर में सीवरेज का पानी पवित्र झील में जाता है, इससे लोगों की धार्मिक भावनाएं भी आहत होती हैं, जबकि पुष्कर करोड़ों हिंदुओं का पवित्र धार्मिक स्थल है.
शहर में पानी की निकासी का पुख्ता इंतजाम हो : अजमेर शहर एक अच्छी बारिश नहीं झेल पता है, बारिश के दिनों में अजमेर के हाल बेहाल हो जाते हैं. कई क्षेत्रों में कॉलोनियों में पानी भर जाता है, मकानों और दुकानों में पानी भर जाता है. लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. इसके अलावा आनासागर का ओवरफुल पानी एस्केप चैनल के माध्यम से छोड़ा जाता है. यह पानी भी शहर की कई बस्तियों में भर जाता है. ऐसे में पानी की निकासी भी अजमेर की एक बड़ी समस्या है.
धार्मिक नगरी होने के कारण अजमेर में हर रोज हजारों लोगों का आना-जाना है. पुष्कर में विश्व का इकलौता जगत पिता ब्रह्मा का मंदिर है. वहीं दूसरी ओर सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह भी है. दोनों धार्मिक स्थलों पर प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. ऐसे में इन दोनों स्थलों पर पर्यटन को बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है. इससे पर्यटकों का ठहराव होगा बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा.
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बदहाल सड़कें एक बड़ी समस्या : अजमेर जिले में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों के हाल बेहाल है. बारिश के बाद सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे बन जाते हैं, वहीं कई जगह सरकारी अव्यवस्था के कारण लोगों को दुर्घटना का शिकार होना पड़ है. अजमेर धार्मिक पर्यटन नगरी होने के साथ-साथ की देश की 100 स्मार्ट सिटी में भी चयनित है. ऐसे में यहां की सड़के शासन-प्रशासन दोनों की ही पोल खोल रही हैं.
रोजगार के खुलें नए आयाम : प्रदेश में बेरोजगारी भी सबसे बड़ा मुद्दा रहा है, इससे अजमेर भी अछूता नहीं है. अजमेर में युवाओं को नई सरकार से रोजगार के नए आयाम स्थापित होने की उम्मीद है. अजमेर में गुलाबबाड़ी और दोहराई फाटक पर रेलवे ओवर ब्रिज ( आरओबी ) 5 वर्षो से अधूरे पड़े हैं. ब्रिज का कार्य केंद्र और राज्य सरकार के बीच उलझा हुआ है. दरअसल नई सरकार से पहले प्रदेश में कांग्रेस सरकार थी, और केंद्र में मोदी सरकार होने के कारण सामंजस्य की कमी के कारण दोनों ही रेलवे ओवर ब्रिज अधूरे पड़े है. अब डबल इंजन की सरकार है, ऐसे में आरओबी का अधूरा काम पूरी होने की उम्मीद है. आरओबी नहीं बनने से 2 लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं.
पूर्वी राजस्थान से जुड़ने का बने सशक्त माध्यम : पूर्वी राजस्थान से पश्चिमी राजस्थान से जुड़ने का सड़क और रेल मार्ग का कोई सशक्त माध्यम नहीं है. वर्षो से अजमेर-कोटा रेल मार्ग की मांग उठ रही है. नसीराबाद से देवली तक राष्ट्रीय राजमार्ग बनाये जाने को लेकर भी मांग कई बार उठी है. हालांकि यह दोनों मुद्दे केंद्रीय सरकार के स्तर के हैं. लेकिन डबल इंजन की सरकार बनने से अब लोगों को इसके पूरे होने की उम्मीद लग रही है.
उज्जैन महाकाल की तर्ज पर जगतपिता ब्रह्मा की नगरी और मंदिर विकसित किये जाने और पुष्कर विकास प्राधिकरण को प्रभावी बनाने की उम्मीद भी लोगों को है, अजमेर में साइंस पार्क बनाए जाने, आनासागर का दायरा बढ़ाने और वेटलैंड पर किए गए निर्माण कार्यों को हटाने की भी उम्मीद है. झील का दायरा घटने से जलस्तर भी काम हो गया है. पहले 16 फीट झील का स्तर था. उसके बाद 13 फिट हुआ और अब 12 फीट तक ही झील में जल स्तर रखा जाता है.
अजमेर में सुरक्षा एवं शांति व्यवस्था को बेहतर बनाने की उम्मीद है. धार्मिक पर्यटन नगरी होने के कारण हजारों लोगों का अजमेर में प्रतिदिन आना-जाना रहता है. लोगों की इस भीड़ में कई असामाजिक तत्व भी आते हैं, जो अपराध करके निकल जाते हैं, या फिर अपराध करके यहां शरण लेते हैं. अजमेर में चोरी नकबजनी की वारदातें काफी होती हैं. स्थानीय लोगों में इसको लेकर चिंता और भय है. ऐसे में अजमेर के लोग नई सरकार से बेहतर पुलिसिंग और पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था कायम होने की उम्मीद कर रहे है.