अजमेर. करवा चौथ के अवसर व्रत रखने वाली सुहागिनों को गुरुवार शाम चांद निकलने का बेसब्री से इंतजार था. महिलाएं पूजन थाली सजाकर सभी चंद्रमा के निकलने के लिए प्रार्थनाएं कर रही थीं. लंबे इंतजार के बाद चांद के दीदार हो ही गए. सुबह से ही महिलाओं ने करवा चौथ की तैयारियां शुरू कर दी थी. महिलाओं द्वारा हाथों में मेहंदी लगा कर और शृंगार कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना की.
करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिलाओं ने बताया कि उन्होंने सुबह से ही करवा चौथ की तैयारियां शुरू कर दी थी. उन्होंने वह व्रत रखकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना की. शाम को जब चांद नजर आया तो पूजन के बाद छलनी में से अपने पति को देखते हुए उन्होंने व्रत खोला और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए करवा चौथ का व्रत खोला. ईटीवी भारत से बातचीत में महिलाओं ने बताया कि इस व्रत को रखने से उन्हें खुशी के साथ-साथ अपने पति का प्यार मिलता है और वह हर साल करवा चौथ के व्रत का इंतजार भी करती है.
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वहीं कई मुस्लिम महिलाओं द्वारा भी यह व्रत रखा गया. बातचीत में शमा खान ने कहा कि यह व्रत बेहद खास है. जिसका सभी को इंतजार रहता है और हर कोई महिला अपने पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए इस व्रत को रखती है. बताया जाता है कि चंद्र दर्शन शुभ माना गया है. चंद्रमा आयु यश और समृद्धि का भी प्रतीक है. वहीं ज्योतिषाचार्य के अनुसार चंद्रमा अपनी उच्च राशि में है. करवा चौथ पर शिव परिवार की पूजा करने का विधान है, लेकिन मुख्य रूप से गणपति की ही पूजा होती है. विघ्नहर्ता गणेशजी को चतुर्थी का अधिपति देव माना गया है
फ्रांस की लितिशा ने भी रखा व्रत
पुष्कर (अजमेर). तीर्थनगरी पुष्कर में करवा चौथ का पर्व उमंग और उल्लास के साथ मनाया गया. सुहागिनों सहित नवविवाहिताओं ने निर्जला व्रत रख पति की दीर्घायु सहित सुख-समृद्धि की कामनाएं की. इन सबके बीच सात समुद्र पार से आई विदेशी पर्यटका लितिशा ने पूरे पारंपरिक अंदाज में करवा चौथ का पर्व मनाया.
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दरअसल, फ्रांस मूल की लितिशा 13 साल पहले पुष्कर के दीपक से शादी कर चुकी हैं और उसे भारतीय परंपराओं और संस्कृति से भी बड़ा लगाव है. इसी के चलते लितिशा शादी से अब तक हर साल अपने पति दीपक के लिए करवा चौथ का व्रत रखती है. वहीं कस्बे में सुहागिन महिलाओं ने भगवान शिव और मां गौरी की पूजा अर्चना कर पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए व्रत रखा और रात को चंद्र दर्शन कर व्रत खोला. रात में जैसे ही चांद नजर आया. सुहागिनों ने छलनी में से चंद्र के दर्शन किए. इसके बाद पतियों ने अपनी पत्नियों को जल पिलाकर उनका उपवास खुलवाया और उन्हें उपहार भेंट किए.