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Urs 2023 : झंडा चढ़ाने की रस्म के साथ कल से होगी उर्स की अनौपचारिक शुरुआत, जानें क्या है परंपरा - झंडे की गुप्त खासियत

सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 811वें उर्स की अनौपचारिक शुरुआत बुधवार को असर की नमाज के बाद झंडे की रस्म से होगी. बुलंद दरवाजे पर भीलवाड़ा के गौरी परिवार की ओर से लाए गए झंडे को चढ़ाया जाएगा.

Ajmer Dargah Urs 2023
Ajmer Dargah Urs 2023
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Published : Jan 17, 2023, 10:01 PM IST

झंडा चढ़ाने की रस्म...

अजमेर. ढाई सौ वर्ष से दरगाह में उर्स से पहले झंडा चढ़ाने की रस्म होती रही है. खास बात यह है कि इसके लिए झंडा एक हिन्दू परिवार बनाता आया है. सांप्रदायिक सद्भाव की दुनिया में मिसाल अजमेर दरगाह में यह सदभाव की नजीर है. यह झंडा उर्स के आने का प्रतीक है, लेकिन यूं कहे तो यह सद्भाव का भी झंडा है. सूफी संत ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह हर आम और खास के लिए खुली है. यहां हर मजहब के लोग मन्नतें लेकर गरीब नवाज के दर पर आते हैं.

दरअसल, देश और दुनिया में ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह कौमी एकता की मिसाल है. ख्वाजा गरीब नवाज का 811वां उर्स अब नजदीक ही है. उर्स से पहले दरगाह में झंडे की रस्म अदा की जाएगी. उर्स के आने की सूचना के प्रतीक के रूप में दरगाह परिसर में स्थित सबसे ऊंची इमारत बुलंद दरवाजे पर झंडा 18 जनवरी को चढ़ाया जाएगा. यह झंडा भीलवाड़ा के गौरी परिवार की ओर से हर वर्ष लाया जाता है. खास बात यह है कि इस झंडे का निर्माण एक हिन्दू परिवार करता आया है.

पढ़ें : Ajmer Dargah Urs: ख्वाजा गरीब नवाज के 811वें उर्स की तैयारियां पूरी, कल झंडा चढ़ाने की रस्म अदायगी, जानें क्यों मनाते हैं उर्स

जी हां, अजमेर में रामनगर रोड पर अद्वैत आश्रम के पास ओम प्रकाश वर्मा की टेलर की दुकान है. इससे पहले उनके पिता गणपत दरगाह क्षेत्र में ही लाखन कोटड़ी में टेलर की दुकान लगाया करते थे. उन्होंने बताया कि उनके पिता गणपत ने उनके गुरु लादूराम से झंडा बनाने का काम सीखा था. वर्मा ने बताया कि लादूराम से पहले उनके पिता भीलवाड़ा के गौरी परिवार के लिए झंडा बनाया करते थे. उन्होंने बताया कि सन 1988 से वह खुद गौरी परिवार के लिए झंडा बना रहे हैं.

झंडे की गुप्त खासियत : झंडा बनाने वाले ओम प्रकाश वर्मा बताते हैं कि झंडा बनाना आम बात है. इसे कोई भी जानकार बना सकता है, लेकिन झंडा चढ़ाने की रस्म के लिए बनाए जाने वाला झंडा हमेशा हवा में लहराता रहता है. इसको विशेष पद्धति से तैयार किया जाता है जो उन्होंने अपने पिता गणपत से सीखी थी और पिता गणपत ने अपने गुरु लादूराम से यह विशेष झंडा बनाने का तरीका सिखा था.

यह सद्भाव का भी है झंडा : सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के सालाना उर्स से पहले दरगाह परिसर में स्थित ऊंची इमारत बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ाने की परंपरा है. गौरी परिवार के मुखिया फखरुद्दीन गौरी परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मंगलवार को दरगाह पहुंच चुके हैं. बुधवार को टेलर ओम प्रकाश वर्मा झंडा सौंप देंगे. यही झंडा गौरी परिवार दरगाह गेस्ट हाउस से जुलूस के रूप में बुलंद दरवाजे पर ख्वाजा गरीब नवाज के खादिम की हाजिरी में चढ़ाएगा.

इस दौरान हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहेंगे. बताया जाता है कि बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ने के साथ ही उर्स की अनौपचारिक शुरुआत भी हो जाती है. झंडा उर्स के नजदीक आने का सूचक माना जाता है. उर्स के मौके पर विभिन्न मजहब के लोग दरगाह आते हैं. यह झंडा सद्भाव का भी प्रतीक है. झंडे को बनाने वाला हिंदू है और चढ़ाने वाला मुस्लिम है. सांप्रदायिक सद्भाव की यह एक बड़ी नजीर है.

झंडा चढ़ाने की रस्म...

अजमेर. ढाई सौ वर्ष से दरगाह में उर्स से पहले झंडा चढ़ाने की रस्म होती रही है. खास बात यह है कि इसके लिए झंडा एक हिन्दू परिवार बनाता आया है. सांप्रदायिक सद्भाव की दुनिया में मिसाल अजमेर दरगाह में यह सदभाव की नजीर है. यह झंडा उर्स के आने का प्रतीक है, लेकिन यूं कहे तो यह सद्भाव का भी झंडा है. सूफी संत ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह हर आम और खास के लिए खुली है. यहां हर मजहब के लोग मन्नतें लेकर गरीब नवाज के दर पर आते हैं.

दरअसल, देश और दुनिया में ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह कौमी एकता की मिसाल है. ख्वाजा गरीब नवाज का 811वां उर्स अब नजदीक ही है. उर्स से पहले दरगाह में झंडे की रस्म अदा की जाएगी. उर्स के आने की सूचना के प्रतीक के रूप में दरगाह परिसर में स्थित सबसे ऊंची इमारत बुलंद दरवाजे पर झंडा 18 जनवरी को चढ़ाया जाएगा. यह झंडा भीलवाड़ा के गौरी परिवार की ओर से हर वर्ष लाया जाता है. खास बात यह है कि इस झंडे का निर्माण एक हिन्दू परिवार करता आया है.

पढ़ें : Ajmer Dargah Urs: ख्वाजा गरीब नवाज के 811वें उर्स की तैयारियां पूरी, कल झंडा चढ़ाने की रस्म अदायगी, जानें क्यों मनाते हैं उर्स

जी हां, अजमेर में रामनगर रोड पर अद्वैत आश्रम के पास ओम प्रकाश वर्मा की टेलर की दुकान है. इससे पहले उनके पिता गणपत दरगाह क्षेत्र में ही लाखन कोटड़ी में टेलर की दुकान लगाया करते थे. उन्होंने बताया कि उनके पिता गणपत ने उनके गुरु लादूराम से झंडा बनाने का काम सीखा था. वर्मा ने बताया कि लादूराम से पहले उनके पिता भीलवाड़ा के गौरी परिवार के लिए झंडा बनाया करते थे. उन्होंने बताया कि सन 1988 से वह खुद गौरी परिवार के लिए झंडा बना रहे हैं.

झंडे की गुप्त खासियत : झंडा बनाने वाले ओम प्रकाश वर्मा बताते हैं कि झंडा बनाना आम बात है. इसे कोई भी जानकार बना सकता है, लेकिन झंडा चढ़ाने की रस्म के लिए बनाए जाने वाला झंडा हमेशा हवा में लहराता रहता है. इसको विशेष पद्धति से तैयार किया जाता है जो उन्होंने अपने पिता गणपत से सीखी थी और पिता गणपत ने अपने गुरु लादूराम से यह विशेष झंडा बनाने का तरीका सिखा था.

यह सद्भाव का भी है झंडा : सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के सालाना उर्स से पहले दरगाह परिसर में स्थित ऊंची इमारत बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ाने की परंपरा है. गौरी परिवार के मुखिया फखरुद्दीन गौरी परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मंगलवार को दरगाह पहुंच चुके हैं. बुधवार को टेलर ओम प्रकाश वर्मा झंडा सौंप देंगे. यही झंडा गौरी परिवार दरगाह गेस्ट हाउस से जुलूस के रूप में बुलंद दरवाजे पर ख्वाजा गरीब नवाज के खादिम की हाजिरी में चढ़ाएगा.

इस दौरान हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहेंगे. बताया जाता है कि बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ने के साथ ही उर्स की अनौपचारिक शुरुआत भी हो जाती है. झंडा उर्स के नजदीक आने का सूचक माना जाता है. उर्स के मौके पर विभिन्न मजहब के लोग दरगाह आते हैं. यह झंडा सद्भाव का भी प्रतीक है. झंडे को बनाने वाला हिंदू है और चढ़ाने वाला मुस्लिम है. सांप्रदायिक सद्भाव की यह एक बड़ी नजीर है.

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