हैदराबाद: क्रिकेट इतिहास में जब भी खिलाड़ियों के आगे महान शब्द का प्रयोग होता है तो भारत के इस दिग्गज का नाम भी आता है. 5 फुट 6 इंच लंबाई के लिटिल मास्टर नाम से मशहूर इस भारतीय बल्लेबाज को आज दुनिया सलाम करती है.
10 जुलाई 1949 को मुंबई में जन्मे भारत के धाकड़ बल्लेबाज सुनील गावस्कर आज 70 साल के हो गए है.
महान बल्लेबाज और भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर अपनी शानदार बल्लेबाजी के लिए जाने जाते थे. उनकी बल्लेबाजी में इतनी निरंतरता और सटीकता होती थी कि उनकी गिनती दुनिया के सर्वकालिक महान बल्लेबाजों में होती है. न सिर्फ 70 के दशक की बल्कि क्रिकेट इतिहास में जब भी महान बल्लेबाजों की गिनती होगी उनका भी नाम शामिल किया जाएगा.
टेस्ट में दस जार रन बनाने वाले पहले खिलाड़ी
मार्च, 1987 का दिन सुनील गावस्कर और क्रिकेट इतिहास के लिए बेहद खास है क्योंकि इस दिन उनके बल्ले से टेस्ट क्रिकेट का 10,000वां रन निकला. टेस्ट में 10 हजार रन के आंकड़े को छूने वाले वह पहले क्रिकेटर थे. उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ अपने 124वें टेस्ट मैच में यह उपलब्धि हासिल की थी. लैजेंड सुनील गावस्कर के करियर में टेस्ट और वनडे मिलाकर 35 शतक लगाए है.
सनी ने अपने वनडे करियर में 108 मैचों में महज एक शतक के साथ 35.13 की औसत से 3,092 रन बनाए.
क्रिकेटर नहीं मछुवारे होते गावस्कर
सुनील गावस्कर के चाचा नारायण मौसेरकर न होते तो वे क्रिकेटर नहीं मछुवारे होते. दरअसल, 10 जुलाई 1949 को सुनील गावस्कर का जन्म हुआ था. जन्म के बाद उनके रिश्तेदार और परिजन अस्पताल देखने पहुंचे. गावस्कर के कान के पास छोटा सा छेद है. इसे उनके चाचा मौसेरकर ने देख लिया था.
गावस्कर के चाचा जब अगले दिन फिर अपने नन्हे भतीजे से मिलने आए और उसे गोद में उठाकर खिलाने लगे तो अचानक चौंक गए, हुआ यूं कि उनकी नजर गावस्कर के कान पर पड़ी. बच्चे के कान के पास छोटा छेद नहीं था. यानी ये बच्चा वो नहीं था जिसे वे पहले दिन खिला रहे थे. इसके बाद वे तुरंत हरकत में आए और अस्पताल प्रबंधन को इसकी सूचना दी. प्रबंधन ने पहले तो इसे गलतफहमी बताकर इसे बात को नकार दिया, लेकिन जब चाचा ने बताया कि उन्होंने अच्छी तरह बच्चे के कान के पास छेद देखा था तो अस्पताल स्टाफ सनी को ढूंढने पर राजी हुआ.
इसके थोड़ी ही देर बाद पास वाले कमरे में कान के पास छेद वाला बच्चा मिल गया। मामले की पड़ताल के बाद पता चला कि नर्स की गलती से सनी को एक मछुआरे की पत्नी के पास सुला दिया गया था. जबकि, मछुआरे के बेटे को गावस्कर की मां के पास सुला दिया गया था। सनी के चाचा की सतर्कता ने नर्स की इस गलती को सुधार दिया.