उदयपुर. देश दुनिया में अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर झीलों की नगरी उदयपुर में हर साल लाखों की संख्या में टूरिस्ट घूमने के लिए आते हैं. लेक सिटी उदयपुर की खूबसूरती में चार-चांद लगाती है. ऐतिहासिक सहेलियों की बाड़ी जो पर्यटकों की पसंदीदा जगह (Saheliyon ki Bari Favorite Place Of Tourists) है. लेकिन इन दिनों सहेलियों की बाड़ी में पर्यटकों को समस्या से जूझना पड़ रहा है क्योंकि लंबे समय से बाड़ी में कलागन बंद पड़ा हुआ है. ऐसे में देश-विदेश से आने वाले पर्यटक इसके अंदर मौजूद प्राचीन पेंटिंग को नहीं देख पा रहे. जिसे लेकर पर्यटकों नाराजगी भी जाहिर कर रहे हैं.
बाड़ी में फव्वारे बनाई गई पुतलियां, क्षत्रिय और आकर्षण उद्यान लोगों को अपनी और आकर्षित करता है. लेकिन फव्वारे से निकलकर जहां-तहां बहते पानी और क्षतिग्रस्त भागों को देखकर पर्यटक नाखुश नजर आते हैं. वही पिछले 2 सालों से बंद पड़े (Kalgan Painting Closed For Last 2 Years) कलागन के भी ताले लगे हुए है. ईटीवी भारत की टीम ने भी शुक्रवार को सहेलियों की बाड़ी का दौरा किया तो यहां बड़ी संख्या में देशी-विदेशी सैलानी घूमने इसे निहारने के लिए पहुंचे थे. दिल्ली से उदयपुर घूमने आए एक कपल ने बताया कि उदयपुर बेहद खूबसूरत शहरों में से एक है. लेकिन यह सहेलियों की बाड़ी में कलागन बंद होने के कारण इसके अंदर रखी हुई पेंटिंग और अन्य गतिविधियां नहीं देख पा रहे.
पिछले 2 साल से बंद : गाइड हनुमान सिंह राणावत ने बताया कि पिछले 2 सालों से कलागन बंद (Kalgan Painting Closed For Last 2 Years In Saheliyon ki Bari) है. इसमें पेंटिंग, मिनिएचर आर्ट, टेराकोटा जो मिट्टी से बनी हुई है इसके साथ ही छोटा शिवलिंग पुल स्थित है. प्राचीन कालीन पेंटिंग जिसमें मुख्य रुप से सहेलियों की बाड़ी में होने वाले गतिविधियों के चित्र रखे गए हैं. लेकिन वर्तमान में बंद होने के कारण पर्यटक इसे नहीं देख पा रहे. वर्तमान में बजट के अभाव में इसकी देख भाल नहीं की जा रही है. ऐसे में उदयपुर जिला कलेक्टर ने कलागन और पेंटिंग की मरम्मत वॉइस की सार संभाल के लिए बजट उपलब्ध कराते हुए संबंध विभाग से जानकारी मांगी है.
सहेलियों की बाड़ी का इतिहास : सहेलियों की बाड़ी शहर के बीचों बीच स्थित है. इसका निर्माण महाराणा संग्राम सिंह द्वितीय ने 1710 से 1734 के बीच में करवाया था. यहां मुख्य रूप से पांच फाउंटेन है. जिसका अलग-अलग नाम है. यहां अलग-अलग गतिविधियां होती थी. जो सिर्फ महिलाओं के लिए होती थी. सहेलियों की बाड़ी में प्रवेश करते ही स्वागत कुंवारा इसके बाद बिन बादल बरसात फुव्वारा, सावन भादो फव्वारा, कमल तलाई फव्वारा, इसके साथ ही रासलीला फव्वारा, वही कलागन वर्तमान में बंद है.
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विगत दिनों उदयपुर जिला कलेक्टर ताराचंद मीणा ने सहेलियों की बाड़ी का निरीक्षण किया था. इस दौरान यहां की कमियों को देख विभागीय अधिकारियों को तत्काल हालात सुधारने के निर्देश दिए थे. हवाई निरीक्षण के दौरान मीणा ने यहां पर बंद पड़े कलागन के बारे में जानकारी ली और इसे खुलवा कर देखा था. उन्हें यहां पर प्रदर्शित की गई दुर्लभ और बहुमूल्य पेंटिंग को भी देखा था. इनके खराब हालत पर चिंता भी जाहिर की थी. इसका संचालन आरएसी ईआरटी की जिम्मेदारी है. कलेक्टर ने इसके निर्देशक प्रियंका जोधावत से जानकारी ली तो बताया कि पूर्व में यहां पर विज्ञान केंद्र संचालित था और बाद में इसमें से विज्ञान उपकरण हटाकर सहेलियों की बाड़ी थीम पर पेंटिंग लगवाई गई थी.