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6 माह के संघर्ष के बाद हितेंद्र गरासिया का शव पहुंचा भारत, औपचारिकताएं पूरी कर पार्थिव देह के साथ दिल्ली से उदयपुर रवाना हुए परिजन - Udaipur latest news

रोजगार के लिए रूस गए हितेंद्र गरासिया की मौत के बाद उनके परिजन 6 माह से संघर्ष कर रहे थे. रविवार को काफी प्रयास के बाद उनके हितेंद्र का पार्थिव शरीर भारत (Hitendra Garasiya body finally reached India) पहुंच गया. औपचारिकताएं पूरी करने के बाद शव दोपहर करीब सवा तीन बजे परिजनों को सौंप दिया गया. अब उनके पार्थिव शरीर को उदयपुर लाया जा रहा है.

Hitendra Garasiya body finally reached India
हितेंद्र गरासिया का शव पहुंचा भारत
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Published : Feb 6, 2022, 7:06 PM IST

Updated : Feb 6, 2022, 8:18 PM IST

उदयपुर. जिले के गोड़वा गांव के निवासी हितेंद्र गरासिया का पार्थिव शरीर 6 महीने के लंबे संघर्ष के बाद आज भारत (Hitendra Garasiya body finally reached India) पहुंचा. रविवार को हितेंद्र का शव फ्लाइट से दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचा इसके बाद करीब 4 घंटे तक कई तरह की औपचारिकताएं पूरी की गईं. इसके लिए गरासिया का परिवार समेत विदेश मंत्रालय राजस्थान सरकार के अधिकारी एयरपोर्ट पर मौजूद रहे.

गरासिया के पार्थिक देह को लेने के लिए पत्नी आशा, पुत्र पीयूष, चाचा और कांग्रेस नेता चर्मेश शर्मा पहुंचे. राजस्थान सरकार के असिस्टेंट कमिश्नर विमल शर्मा ने विदेश मंत्रालय के अधिकारियों की उपस्थिति में गरासिया के पार्थिव देह की सुपुर्दगी की प्रक्रिया पूरी की गई जिसके बाद उनका शव उदयपुर के लिए रवाना किया गया.

पढ़ें. उदयपुर: 100 दिन से बेटे के अंतिम संस्कार का इंतजार, रूस में गई जान...NHRC ने लगाई विदेश मंत्रालय को फटकार

रोजगार के लिए गए थे रूस...
उदयपुर से लगभग 100 किलोमीटर दूरी पर स्थित खेरवाड़ा तहसील के गोडवा गांव के हितेंद्र गरासिया बीते साल रोजगार के लिए एजेंट के माध्यम से रूस गए थे. हितेंद्र काम के लिए किसी एजेंट को लाखों रुपए देकर रूस गया था. भारतीय दूतावास की ओर से मॉस्को से जयपुर पासपोर्ट ऑफिस को भेजी सूचना के मुताबिक रूस पुलिस को 17 जुलाई 2021 को हितेंद्र का शव मिल गया था. 17 जुलाई को उसकी मौत हो गई. लंबे समय बाद परिवार को भारतीय दूतावास से इसकी सूचना मिली. ऐसे में परिवार के लोग लगातार भारतीय दूतावास से लगातार संपर्क कर रहे थे. भारतीय दूतावास की ओर से मृत्यु का कोई कारण नहीं बताया गया था.

पढ़ें. Hitendra Garasiya Case : हितेंद्र गरासिया का शव भारत आने तक नंगे पैर संघर्ष करने की घोषणा

चर्मेश शर्मा मदद को आगे आए...
परिवार के काफी जतन करने के बाद भी किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई. ऐसे में बूंदी के कांग्रेस नेता चर्मेश शर्मा पीड़ित परिवार की मदद को आगे आए. उन्होंने राष्ट्रपति सचिवालय, मानवा अधिकार आयोग तक इस मामले को पहुंचाया. हितेंद्र के शव को भारत लाने के लिए दिसंबर में 1 सप्ताह तक नई दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री कार्यालय, विदेश मंत्रालय में ज्ञापन देकर भारत सरकार को पूरे मामले से अवगत कराया गया.

नई दिल्ली में नहीं हो पाई पहचान की प्रक्रिया

नई दिल्ली में हितेंद्र गरासिया के शव के पहचान की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी. विदेश मंत्रालय की ओर से उपस्थित अधिकारियों ने पैकिंग का हवाला देते हुए दिवंगत देह को खोलकर देखने नहीं दिया. अब जयपुर या उदयपुर में मेडिकल टीम की उपस्थिति में शव के पहचान की प्रक्रिया पूरी की जाएगी. हितेंद्र गरासिया की दिवंगत देह को एंबुलेंस में लेकर बूंदी के कांग्रेस नेता चर्मेश शर्मा परिजनों के साथ नई दिल्ली से उदयपुर के लिए रवाना हो गए.

उदयपुर. जिले के गोड़वा गांव के निवासी हितेंद्र गरासिया का पार्थिव शरीर 6 महीने के लंबे संघर्ष के बाद आज भारत (Hitendra Garasiya body finally reached India) पहुंचा. रविवार को हितेंद्र का शव फ्लाइट से दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचा इसके बाद करीब 4 घंटे तक कई तरह की औपचारिकताएं पूरी की गईं. इसके लिए गरासिया का परिवार समेत विदेश मंत्रालय राजस्थान सरकार के अधिकारी एयरपोर्ट पर मौजूद रहे.

गरासिया के पार्थिक देह को लेने के लिए पत्नी आशा, पुत्र पीयूष, चाचा और कांग्रेस नेता चर्मेश शर्मा पहुंचे. राजस्थान सरकार के असिस्टेंट कमिश्नर विमल शर्मा ने विदेश मंत्रालय के अधिकारियों की उपस्थिति में गरासिया के पार्थिव देह की सुपुर्दगी की प्रक्रिया पूरी की गई जिसके बाद उनका शव उदयपुर के लिए रवाना किया गया.

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रोजगार के लिए गए थे रूस...
उदयपुर से लगभग 100 किलोमीटर दूरी पर स्थित खेरवाड़ा तहसील के गोडवा गांव के हितेंद्र गरासिया बीते साल रोजगार के लिए एजेंट के माध्यम से रूस गए थे. हितेंद्र काम के लिए किसी एजेंट को लाखों रुपए देकर रूस गया था. भारतीय दूतावास की ओर से मॉस्को से जयपुर पासपोर्ट ऑफिस को भेजी सूचना के मुताबिक रूस पुलिस को 17 जुलाई 2021 को हितेंद्र का शव मिल गया था. 17 जुलाई को उसकी मौत हो गई. लंबे समय बाद परिवार को भारतीय दूतावास से इसकी सूचना मिली. ऐसे में परिवार के लोग लगातार भारतीय दूतावास से लगातार संपर्क कर रहे थे. भारतीय दूतावास की ओर से मृत्यु का कोई कारण नहीं बताया गया था.

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चर्मेश शर्मा मदद को आगे आए...
परिवार के काफी जतन करने के बाद भी किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई. ऐसे में बूंदी के कांग्रेस नेता चर्मेश शर्मा पीड़ित परिवार की मदद को आगे आए. उन्होंने राष्ट्रपति सचिवालय, मानवा अधिकार आयोग तक इस मामले को पहुंचाया. हितेंद्र के शव को भारत लाने के लिए दिसंबर में 1 सप्ताह तक नई दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री कार्यालय, विदेश मंत्रालय में ज्ञापन देकर भारत सरकार को पूरे मामले से अवगत कराया गया.

नई दिल्ली में नहीं हो पाई पहचान की प्रक्रिया

नई दिल्ली में हितेंद्र गरासिया के शव के पहचान की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी. विदेश मंत्रालय की ओर से उपस्थित अधिकारियों ने पैकिंग का हवाला देते हुए दिवंगत देह को खोलकर देखने नहीं दिया. अब जयपुर या उदयपुर में मेडिकल टीम की उपस्थिति में शव के पहचान की प्रक्रिया पूरी की जाएगी. हितेंद्र गरासिया की दिवंगत देह को एंबुलेंस में लेकर बूंदी के कांग्रेस नेता चर्मेश शर्मा परिजनों के साथ नई दिल्ली से उदयपुर के लिए रवाना हो गए.

Last Updated : Feb 6, 2022, 8:18 PM IST

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