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Hitendra Garasiya Case : 200 दिन बाद भी दर-दर भटक रहा परिवार, बेटा बोला- मां की तबीयत खराब, लेकिन सरकार नहीं कर रही मदद - High court deadline in Hitendra Garasiya Case)

17 जुलाई, 2021 को रूस में उदयपुर के हितेंद्र गरासिया का निधन हो गया था. तब से उसके परिजन शव भारत लाने के लिए तमाम कोशिशें कर चुके हैं, लेकिन सफलता नहीं मिली है. आलम यह है कि उदयपुर जिले का एक आदिवासी परिवार (Hitendra Garasiya Case) पिछले 200 दिनों से दर-दर भटक रहा है, लेकिन उसकी सुनवाई अब तक नहीं हो पाई है. देखिए ये रिपोर्ट...

Death of Hitendra Garasia in Russia
शव के लिए भटकने को मजबूर हितेंद्र गरासिया का परिवार
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Published : Feb 2, 2022, 4:43 PM IST

Updated : Feb 3, 2022, 10:36 AM IST

उदयपुर. रूस में मृत उदयपुर गोड़वा गांव निवासी हितेंद्र गरासिया का शव अभी तक भारत नहीं आ सका है. इसके लिए एक आदिवासी परिवार हर उस शख्स से मिल रहा है, जिसकी वजह से उनके परिवार के सदस्य का शव रूस में दफनाए गई कब्र से निकाल कर (Death of Hitendra Garasia in Russia) भारत लाया जा सके और मृतक हितेंद्र का सम्मानजनक अंतिम संस्कार उनके गांव में कराया जा सके. इसके लिए परिवार पिछले 6 माह से अधिक समय से संघर्ष कर रहा है.

बुधवार को परिवार के लोगों ने 200 दिन बीत जाने के बाद भी शव को लेकर किसी तरह की कार्रवाई नहीं होने पर कड़ा आक्रोश (Hitendra Garasia Family Expressing Outrage in New Delhi) जताया है. परिवार ने नई दिल्ली विदेश मंत्री के निवास पर आंख और मुंह पर काली पट्टी बांधकर विरोध-प्रदर्शन भी किया. रूस से भारत शव लाने के लिए परिवार ने न सिर्फ भारत सरकार को इस पूरे मामले को लेकर अवगत कराया, बल्कि राष्ट्रपति भवन, भारतीय दूतावास, राजस्थान हाईकोर्ट में भी इस पूरे मामले की सुनवाई चल रही है.

200 दिन बाद भी दर-दर भटक रहा परिवार

पढ़ें : Hitendra Garasiya Case : कोर्ट ने सरकार से कहा-जो भी करना है जल्द करें, 14 फरवरी तक भारत लाएं हितेन्द्र का शव

पढ़ें : Hitendra Garasiya Case : रूस में शव दफनाने के विरोध में राष्ट्रपति से गुहार लगाने पहुंचा हितेंद्र का परिवार

हालांकि, अभी तक हितेंद्र का शव रूस से भारत नहीं लाया जा सका है, जिसके कारण एक आदिवासी परिवार को दिल्ली में दर-दर भटक कर विरोध जाहिर करना पड़ रहा है. विगत दिनों 12 जनवरी को राजस्थान हाईकोर्ट में 3 दिन में शव परिवार के पास लाने की बात कहने वाली भारत सरकार अब रूस में प्रक्रिया विचाराधीन होने की बात कहकर पल्ला झाड़ रही है. ऐसे में हाईकोर्ट ने एक बार फिर 14 फरवरी को (High court deadline in Hitendra Garasiya Case) अगली सुनवाई होगी.

हमारा परिवार बहुत दुखी है...
हितेंद्र गरासिया के पुत्र पीयूष गरासिया ने कहा कि मेरे पापा की रूस में मौत हुए 6 माह से अधिक का समय हो गया है, लेकिन उनका शव भारत नहीं लाए जाने से हमारा परिवार बहुत ज्यादा दुखी है. पीयूष ने दुखी होते हुए कहा कि मम्मी की तबीयत बहुत खराब रहती है, लेकिन फिर भी भारत सरकार (Udaipur Victim Family Alleged Central Government) कोई कार्रवाई नहीं कर रही है.

पढ़ें : Protest On Jantar Mantar: रूस से हितेंद्र गरासिया का शव भारत लाने के लिए जंतर मंतर पर बैठा परिवार, सरकार से गुहार

पढ़ें : Hitendra Garasiya Case : उदयपुर के हितेंद्र गरासिया का शव रूस से भारत लाने के लिए प्रियंका गांधी ने PM मोदी को लिखा पत्र...

प्रियंका गांधी ने भी पीएम को लिखा था पत्र...
इस मामले में पीड़ित परिवार ने गत दिनों कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी से मिलकर मदद मांगी थी. जिसके बाद प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर स्वर्गीय हितेंद्र गरासिया की दिवगंत देह का सम्मानजनक दाह संस्कार के लिए परिवार के पास पहुंचाने की मांग की थी. प्रियंका गांधी ने इसे बेहद संवेदनशील मामला बताते हुए प्रधानमंत्री से पीड़ित परिवार की मदद का आग्रह किया था. अब परिवार के लोगों ने बुधवार को फिर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर के निवास के बाहर आंखों पर काली पट्टी बांधकर विरोध जताया और विदेश मंत्री के नाम ज्ञापन दिया.

रोजगार के लिए गए थे रूस...
उदयपुर से लगभग 100 किलोमीटर दूरी पर स्थित खेरवाड़ा तहसील के गोडवा गांव के हितेंद्र गरासिया बीते साल रोजगार के लिए एजेंट के माध्यम से रूस गए थे. हितेंद्र काम के लिए किसी एजेंट को लाखों रुपए देकर रूस गया था. भारतीय दूतावास की ओर से मॉस्को से जयपुर पासपोर्ट ऑफिस को भेजी सूचना के मुताबिक रूस पुलिस को 17 जुलाई 2021 को हितेंद्र का शव मिल गया था. 17 जुलाई को उसकी मौत हो गई. लंबे समय बाद परिवार को भारतीय दूतावास से इसकी सूचना मिली. ऐसे में परिवार के लोग लगातार भारतीय दूतावास से लगातार संपर्क कर रहे थे. भारतीय दूतावास की ओर से मृत्यु का कोई कारण नहीं बताया गया.

चर्मेश शर्मा मदद को आगे आए...
परिवार के काफी जतन करने के बाद भी किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई. ऐसे में बूंदी के कांग्रेस नेता चर्मेश शर्मा पीड़ित परिवार की मदद को आगे आए. उन्होंने राष्ट्रपति सचिवालय, मानवा अधिकार आयोग तक इस मामले को पहुंचाया. हितेंद्र के शव को भारत लाने के लिए दिसंबर में 1 सप्ताह तक नई दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री कार्यालय, विदेश मंत्रालय में ज्ञापन देकर भारत सरकार को पूरे मामले से अवगत कराया गया.

राजस्थान हाईकोर्ट में रिट दायर...
पीड़ित परिवार ने राजस्थान हाईकोर्ट में एक रिट दायर की है. जिस पर हाईकोर्ट ने भारत सरकार को कड़ी फटकार भी लगाई. हाईकोर्ट की ओर से भारत सरकार को हितेंद्र के शव को पीड़ित परिवार के पास पहुंचाने के बार-बार कड़े निर्देश दिए गए. इस बीच कोर्ट ने सुनवाई के दौरान रूसी दूतावास को नोटिस जारी किया था.

शव दफनाने की मिली सूचना...
पीड़ित परिवार की ओर से की जा रही कोशिशों के बीच खबर मिली कि हितेंद्र के शव को दफना दिया गया है. रूस में मृतक का शव 3 दिसंबर 2021 को मॉस्को स्थित एक कब्रिस्तान में दफना दिया गया. रूस सरकार ने हितेंद्र का शव कब्र से बाहर निकाल कर भारत सरकार को देने पर सहमति जताई थी. लेकिन अभी तक शव भारत नहीं आया. इस मामले को लेकर भारत सरकार 14 फरवरी को हाईकोर्ट में अगली सुनवाई में अपना पक्ष रखेगी.

उदयपुर. रूस में मृत उदयपुर गोड़वा गांव निवासी हितेंद्र गरासिया का शव अभी तक भारत नहीं आ सका है. इसके लिए एक आदिवासी परिवार हर उस शख्स से मिल रहा है, जिसकी वजह से उनके परिवार के सदस्य का शव रूस में दफनाए गई कब्र से निकाल कर (Death of Hitendra Garasia in Russia) भारत लाया जा सके और मृतक हितेंद्र का सम्मानजनक अंतिम संस्कार उनके गांव में कराया जा सके. इसके लिए परिवार पिछले 6 माह से अधिक समय से संघर्ष कर रहा है.

बुधवार को परिवार के लोगों ने 200 दिन बीत जाने के बाद भी शव को लेकर किसी तरह की कार्रवाई नहीं होने पर कड़ा आक्रोश (Hitendra Garasia Family Expressing Outrage in New Delhi) जताया है. परिवार ने नई दिल्ली विदेश मंत्री के निवास पर आंख और मुंह पर काली पट्टी बांधकर विरोध-प्रदर्शन भी किया. रूस से भारत शव लाने के लिए परिवार ने न सिर्फ भारत सरकार को इस पूरे मामले को लेकर अवगत कराया, बल्कि राष्ट्रपति भवन, भारतीय दूतावास, राजस्थान हाईकोर्ट में भी इस पूरे मामले की सुनवाई चल रही है.

200 दिन बाद भी दर-दर भटक रहा परिवार

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हालांकि, अभी तक हितेंद्र का शव रूस से भारत नहीं लाया जा सका है, जिसके कारण एक आदिवासी परिवार को दिल्ली में दर-दर भटक कर विरोध जाहिर करना पड़ रहा है. विगत दिनों 12 जनवरी को राजस्थान हाईकोर्ट में 3 दिन में शव परिवार के पास लाने की बात कहने वाली भारत सरकार अब रूस में प्रक्रिया विचाराधीन होने की बात कहकर पल्ला झाड़ रही है. ऐसे में हाईकोर्ट ने एक बार फिर 14 फरवरी को (High court deadline in Hitendra Garasiya Case) अगली सुनवाई होगी.

हमारा परिवार बहुत दुखी है...
हितेंद्र गरासिया के पुत्र पीयूष गरासिया ने कहा कि मेरे पापा की रूस में मौत हुए 6 माह से अधिक का समय हो गया है, लेकिन उनका शव भारत नहीं लाए जाने से हमारा परिवार बहुत ज्यादा दुखी है. पीयूष ने दुखी होते हुए कहा कि मम्मी की तबीयत बहुत खराब रहती है, लेकिन फिर भी भारत सरकार (Udaipur Victim Family Alleged Central Government) कोई कार्रवाई नहीं कर रही है.

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प्रियंका गांधी ने भी पीएम को लिखा था पत्र...
इस मामले में पीड़ित परिवार ने गत दिनों कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी से मिलकर मदद मांगी थी. जिसके बाद प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर स्वर्गीय हितेंद्र गरासिया की दिवगंत देह का सम्मानजनक दाह संस्कार के लिए परिवार के पास पहुंचाने की मांग की थी. प्रियंका गांधी ने इसे बेहद संवेदनशील मामला बताते हुए प्रधानमंत्री से पीड़ित परिवार की मदद का आग्रह किया था. अब परिवार के लोगों ने बुधवार को फिर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर के निवास के बाहर आंखों पर काली पट्टी बांधकर विरोध जताया और विदेश मंत्री के नाम ज्ञापन दिया.

रोजगार के लिए गए थे रूस...
उदयपुर से लगभग 100 किलोमीटर दूरी पर स्थित खेरवाड़ा तहसील के गोडवा गांव के हितेंद्र गरासिया बीते साल रोजगार के लिए एजेंट के माध्यम से रूस गए थे. हितेंद्र काम के लिए किसी एजेंट को लाखों रुपए देकर रूस गया था. भारतीय दूतावास की ओर से मॉस्को से जयपुर पासपोर्ट ऑफिस को भेजी सूचना के मुताबिक रूस पुलिस को 17 जुलाई 2021 को हितेंद्र का शव मिल गया था. 17 जुलाई को उसकी मौत हो गई. लंबे समय बाद परिवार को भारतीय दूतावास से इसकी सूचना मिली. ऐसे में परिवार के लोग लगातार भारतीय दूतावास से लगातार संपर्क कर रहे थे. भारतीय दूतावास की ओर से मृत्यु का कोई कारण नहीं बताया गया.

चर्मेश शर्मा मदद को आगे आए...
परिवार के काफी जतन करने के बाद भी किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई. ऐसे में बूंदी के कांग्रेस नेता चर्मेश शर्मा पीड़ित परिवार की मदद को आगे आए. उन्होंने राष्ट्रपति सचिवालय, मानवा अधिकार आयोग तक इस मामले को पहुंचाया. हितेंद्र के शव को भारत लाने के लिए दिसंबर में 1 सप्ताह तक नई दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री कार्यालय, विदेश मंत्रालय में ज्ञापन देकर भारत सरकार को पूरे मामले से अवगत कराया गया.

राजस्थान हाईकोर्ट में रिट दायर...
पीड़ित परिवार ने राजस्थान हाईकोर्ट में एक रिट दायर की है. जिस पर हाईकोर्ट ने भारत सरकार को कड़ी फटकार भी लगाई. हाईकोर्ट की ओर से भारत सरकार को हितेंद्र के शव को पीड़ित परिवार के पास पहुंचाने के बार-बार कड़े निर्देश दिए गए. इस बीच कोर्ट ने सुनवाई के दौरान रूसी दूतावास को नोटिस जारी किया था.

शव दफनाने की मिली सूचना...
पीड़ित परिवार की ओर से की जा रही कोशिशों के बीच खबर मिली कि हितेंद्र के शव को दफना दिया गया है. रूस में मृतक का शव 3 दिसंबर 2021 को मॉस्को स्थित एक कब्रिस्तान में दफना दिया गया. रूस सरकार ने हितेंद्र का शव कब्र से बाहर निकाल कर भारत सरकार को देने पर सहमति जताई थी. लेकिन अभी तक शव भारत नहीं आया. इस मामले को लेकर भारत सरकार 14 फरवरी को हाईकोर्ट में अगली सुनवाई में अपना पक्ष रखेगी.

Last Updated : Feb 3, 2022, 10:36 AM IST
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