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Fathers Day Special: बच्चों को कामयाब बनाकर खुद के सपने पूरे किए...पिता ने दूध बेचकर बेटी को बनाया जज

हर माता पिता की इच्छा होती है कि उसके बच्चे तरक्की करें और इसके लिए वे अपनी खुशियां भी कुर्बान कर देते हैं. मां बच्चों को स्नेह के साथ तो पिता मजबूत स्तंभ की तरह उनके हर सपने को पूरा करने के लिए उनके साथ खड़ा रहता था. उनकी हर जरूरतों को पूरी करने के लिए दिन रात मेहनत करता है और कामयाब इंसान बनाने के लिए हर संभव प्रयत्न करता है. फादर्स डे विशेष (Fathers Day Special) पर आज हम एक ऐसे ही पिता के संघर्ष की कहानी लेकर आए हैं. पढ़ें पूरी खबर...

Fathers Day Special
फादर्स डे स्पेशल
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Published : Jun 19, 2022, 6:04 AM IST

उदयपुर. कहते हैं पिता वह मजबूत ढाल होती है जो न केवल बच्चों बल्कि पूरे परिवार को हर मुसीबत और समस्याओं से बचाती है. अपनी जरूरतों को भूलकर बच्चों और परिवार की आवश्यकताओं और आने वाले कल के लिए अपना आज भूलकर जो दिनरात मेहनत करता है वह पिता ही तो है. हर साल जून के महीने का तीसरा रविवार हम फादर्स डे (Fathers Day Special) के रूप में मनाते हैं. आज ईटीवी भारत आपके सामने एक ऐसी ही पिता की कहानी लेकर आ रहे है जिसने खुद तंगी में रहकर अपने बच्चों को पढ़ा लिखा कर उस मुकाम तक पहुंचाया जिसका सपना उन्होंने बहुत पहले ही देख रखा था.

हम बात कर रहे हैं राजस्थान के उदयपुर शहर के रहने वाले ख्याली लाल शर्मा की है जिन्होंने मुफलिसी में भी हार नहीं मानी और बच्चों को पढ़ाई के लिए प्ररित कर नई उड़ान दी. उदयपुर के प्रतापनगर क्षेत्र के रहने वाले ख्याली लाल शर्मा को बचपन से ही गरीबी और चुनौतियों का सामना करना पड़ा. उनके जीवन के सपने धूमिल से होते गए क्योंकि जिन सपनों को वह बचपन में हासिल करना चाहते थे लेकिन गरीबी और संसाधनों के अभाव के कारण उन्हें पूरा नहीं कर पाए. ऐसे में ख्याली लाल ने ठान लिया कि वह अपने बच्चों के साथ ऐसा नहीं होने देंगे और उन्हे बेहतर शिक्षा देंगे और ऐसा किया भी. आज उनके सपने पूरे होते दिख रहे हैं. उनकी बेटियां और पुत्र उन्हें पूरा कर रहे हैं.

फादर्स डे स्पेशल

पढ़ें. Father's Day 2021: एक ने पिता की कला को बढ़ाने के लिए इंजीनियरिंग छोड़ी, दूसरे ने इंटरनेशनल लेवल पर बढ़ाया मान

बचपन से ही ख्याली लाल अपने पिता के साथ दूध और पशुपालन की व्यवसाय में जुड़ गए थी.कुछ वर्षों बाद ख्याली लाल की शादी हो गई.ख्याली लाल के तीन बेटियां और एक पुत्र हैं.जिस गरीबी के अभाव के कारण ख्याली लाल की पढ़ाई छुट्टी और अन्य सुविधाएं नहीं मिल पाए.ऐसी स्थिति वह अपने बच्चों के सामने नहीं देखना चाहते थे.इसलिए उन्होंने अपनी पत्नी के साथ मिलकर दिन-रात एक कर अपने बच्चों के पढ़ाई में गरीबी बाघा ना बने इसके लिए उन्होंने दिन में 18-18 पशुपालन और दूध व्यवसाय में संघर्ष करना शुरू किया.उनके इस काम में उनकी पुत्रियां और पुत्र भी साथ देते थे.इसके साथ ही उनकी बेटियां पशुओं के बाड़े में बैठकर दिन रात पढ़ाई के साथ पशुपालन और दूध व्यवसाय का काम में पिता का हाथ बटाती थी.

Fathers Day Special
तबेले में पढ़ती बेटी सोनल

ख्याली लाल शर्मा की हैं तीन बेटियां और एक पुत्र...
ख्याली लाल शर्मा ने बताया कि उन्होंने बचपन में कई चुनौतियां और गरीबी देखी है. ऐसे में उनकी बेटियां ने जो मुकाम हासिल किया है उसपर उन्हें फख्र है. आज उनकी एक बेटी सोनल शर्मा न्यायिक मजिस्ट्रेट के पद पर कार्य कर रही हैं. जबकि दूसरी बेटी लीना शर्मा अकाउंटेंट जनरल डिपार्टमेंट में हिंदी ट्रांसलेटर के पद पर अगरतला में कार्यरत हैं. वहीं तीसरी बेटी किरण शर्मा दिल्ली यूनिवर्सिटी में इंग्लिश ऑनर्स में सेकंड ईयर में पढ़ाई कर रही है. जबकि बेटा हिमांशु शर्मा इंडियन आर्मी के लिए तैयारी कर रहा है.

पढ़ें. फादर्स-डे विशेष : वृद्धाश्रम से भी बूढ़े पिता अपने बेटे-बेटियों को दे रहे हैं 'दुआएं'...

घर-घर जाकर दूध बांटते हैं ख्याली...
इस पशुपालन और दूध के व्यवसाय में उनकी पत्नी और बच्चे भी उनका सहयोग करते हैं. बताते हैं कि उनकी बेटियों ने इन्हीं गाय के बाड़ों में पढ़-लिख कर सफलता हासिल की है. ख्याली ने बताया कि देर रात तक पशुपालन के काम में जुटे रहते हैं. वहीं अलसुबह गायों का दूध निकालना और उन्हें घर-घर जाकर बांटने का काम भी करते हैं. इस काम में पहले उनकी बेटियां भी सहयोग करती थी, लेकिन अब दो बेटियों की जॉब लगने के कारण यह पूरा काम वह और उनकी पत्नी जसवीर संभाल रहे हैं. उन्होंने बताया कि वर्तमान में उनके पास 22 गाय हैं. जिन की देखभाल और उनका पूरा काम वे पति-पत्नी ही करते हैं. ऐसे में किसी बाहरी व्यक्ति को इसलिए नहीं रखते क्योंकि उसे पैसा देने पड़ेंगे. इसलिए इस बचे हुए पैसे को भी अपने बच्चों की पढ़ाई में लगा रहे हैं.

बेटियों ने बंटाया पिता का हाथ
ख्याली के संघर्ष में उनकी बेटियों ने भी खूब हाथ बटाया. बेटी सोनल न्यायिक मजिस्ट्रेट के पद पर कार्यरत हैं. वह भी अधिकांश समय गाय के तबेले में ही काम करती हुए अपनी पढ़ाई किया करती थी. ऐसे में तबेले में ही खाली पीपों की टेबल बनाकर उसपर पढ़ाई किया करती थी. गाय का गोबर उठाना, दूध निकालना और तबेले की साफ-सफाई करने का कार्य भी अपनी अन्य बहनों के साथ मिलजुल कर किया करती थी. उनकी बेटी सोनल, लीना एवं किरण और बेटा हिमांशु जब भी घर आते हैं तो सभी तबेले के काम में मेरा सहयोग करते हैं.

पढ़ें. Fathers Day Special : पापा हैं न, हर मुकाम पा लूंगी...जानिए एक बेटी की बुलंद हौसलों की कहानी

आज भी नहीं छोड़ दूध बांटने का काम
ख्याली ने बताया कि इन गायों की सेवा का ही फल है कि उनके बेटे-बेटियां आज कामयाबी की राह पर हैं. आज भी वह घर-घर जाकर दूध बांटने के साथ लोगों के यहां से बची हुई रोटियां लिया करते हैं. इसके साथ ही गायों के लिए फल और सब्जी भी शहर भर से इकट्ठा करके लाते हैं. उन्होंने बताया कि पिछले 30 सालों से यह कार्य कर रहे हैं.

ख्याली की पत्नी जसवीर कहती हैं कि बेटियों की सफलता देखकर उन्हें गर्व होता है. आज उनकी बेटियां इस मुकाम पर है कि जो पहले हम से बात नहीं करते थे वह बधाई देने आते हैं. जसवीर ने बताया कि जब उनका विवाह हुआ था तो बड़ी कठिनाइयां और चुनौतियां थीं लेकिन उनसे लड़कर हमने दिन रात अपने बच्चों को पढ़ाई में सहयोग किया. इतना ही नहीं, बच्चों को उनकी दिलचस्पी के अनुसार पढ़ने के लिए मौका दिया. कठिन परिस्थितियों में भी बच्चों को बाहर निकल कर पढ़ने के लिए भेजा. उन्होंने कहा कि सभी लोगों को अपने बच्चों को खुद के बल पर आगे बढ़ने का मौका देना चाहिए.

वहीं सबसे छोटी बेटी किरण शर्मा ने कहा कि फादर्स डे पर अपने पिता के साथ ही पिता समान सभी बड़ों को शुभकामनाएं और बधाई देना चाहूंगी. मुझे गर्व है कि मुझे ऐसे माता-पिता मिले जिन्होंने कड़े संघर्ष के बाद भी हमें इस मुकाम तक पहुंचाने में अपना सबकुछ न्योछावर किया. उन्होंने कहा कि हमारे पिता ने हमारे जीवन में प्रतिबंधों को त्याग कर हमें खुली छूट दी. हमें पढ़ाई के लिए मोटिवेट करने के साथ आगे बढ़ने के लिए दिन-रात सहयोग भी किया.

उदयपुर. कहते हैं पिता वह मजबूत ढाल होती है जो न केवल बच्चों बल्कि पूरे परिवार को हर मुसीबत और समस्याओं से बचाती है. अपनी जरूरतों को भूलकर बच्चों और परिवार की आवश्यकताओं और आने वाले कल के लिए अपना आज भूलकर जो दिनरात मेहनत करता है वह पिता ही तो है. हर साल जून के महीने का तीसरा रविवार हम फादर्स डे (Fathers Day Special) के रूप में मनाते हैं. आज ईटीवी भारत आपके सामने एक ऐसी ही पिता की कहानी लेकर आ रहे है जिसने खुद तंगी में रहकर अपने बच्चों को पढ़ा लिखा कर उस मुकाम तक पहुंचाया जिसका सपना उन्होंने बहुत पहले ही देख रखा था.

हम बात कर रहे हैं राजस्थान के उदयपुर शहर के रहने वाले ख्याली लाल शर्मा की है जिन्होंने मुफलिसी में भी हार नहीं मानी और बच्चों को पढ़ाई के लिए प्ररित कर नई उड़ान दी. उदयपुर के प्रतापनगर क्षेत्र के रहने वाले ख्याली लाल शर्मा को बचपन से ही गरीबी और चुनौतियों का सामना करना पड़ा. उनके जीवन के सपने धूमिल से होते गए क्योंकि जिन सपनों को वह बचपन में हासिल करना चाहते थे लेकिन गरीबी और संसाधनों के अभाव के कारण उन्हें पूरा नहीं कर पाए. ऐसे में ख्याली लाल ने ठान लिया कि वह अपने बच्चों के साथ ऐसा नहीं होने देंगे और उन्हे बेहतर शिक्षा देंगे और ऐसा किया भी. आज उनके सपने पूरे होते दिख रहे हैं. उनकी बेटियां और पुत्र उन्हें पूरा कर रहे हैं.

फादर्स डे स्पेशल

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बचपन से ही ख्याली लाल अपने पिता के साथ दूध और पशुपालन की व्यवसाय में जुड़ गए थी.कुछ वर्षों बाद ख्याली लाल की शादी हो गई.ख्याली लाल के तीन बेटियां और एक पुत्र हैं.जिस गरीबी के अभाव के कारण ख्याली लाल की पढ़ाई छुट्टी और अन्य सुविधाएं नहीं मिल पाए.ऐसी स्थिति वह अपने बच्चों के सामने नहीं देखना चाहते थे.इसलिए उन्होंने अपनी पत्नी के साथ मिलकर दिन-रात एक कर अपने बच्चों के पढ़ाई में गरीबी बाघा ना बने इसके लिए उन्होंने दिन में 18-18 पशुपालन और दूध व्यवसाय में संघर्ष करना शुरू किया.उनके इस काम में उनकी पुत्रियां और पुत्र भी साथ देते थे.इसके साथ ही उनकी बेटियां पशुओं के बाड़े में बैठकर दिन रात पढ़ाई के साथ पशुपालन और दूध व्यवसाय का काम में पिता का हाथ बटाती थी.

Fathers Day Special
तबेले में पढ़ती बेटी सोनल

ख्याली लाल शर्मा की हैं तीन बेटियां और एक पुत्र...
ख्याली लाल शर्मा ने बताया कि उन्होंने बचपन में कई चुनौतियां और गरीबी देखी है. ऐसे में उनकी बेटियां ने जो मुकाम हासिल किया है उसपर उन्हें फख्र है. आज उनकी एक बेटी सोनल शर्मा न्यायिक मजिस्ट्रेट के पद पर कार्य कर रही हैं. जबकि दूसरी बेटी लीना शर्मा अकाउंटेंट जनरल डिपार्टमेंट में हिंदी ट्रांसलेटर के पद पर अगरतला में कार्यरत हैं. वहीं तीसरी बेटी किरण शर्मा दिल्ली यूनिवर्सिटी में इंग्लिश ऑनर्स में सेकंड ईयर में पढ़ाई कर रही है. जबकि बेटा हिमांशु शर्मा इंडियन आर्मी के लिए तैयारी कर रहा है.

पढ़ें. फादर्स-डे विशेष : वृद्धाश्रम से भी बूढ़े पिता अपने बेटे-बेटियों को दे रहे हैं 'दुआएं'...

घर-घर जाकर दूध बांटते हैं ख्याली...
इस पशुपालन और दूध के व्यवसाय में उनकी पत्नी और बच्चे भी उनका सहयोग करते हैं. बताते हैं कि उनकी बेटियों ने इन्हीं गाय के बाड़ों में पढ़-लिख कर सफलता हासिल की है. ख्याली ने बताया कि देर रात तक पशुपालन के काम में जुटे रहते हैं. वहीं अलसुबह गायों का दूध निकालना और उन्हें घर-घर जाकर बांटने का काम भी करते हैं. इस काम में पहले उनकी बेटियां भी सहयोग करती थी, लेकिन अब दो बेटियों की जॉब लगने के कारण यह पूरा काम वह और उनकी पत्नी जसवीर संभाल रहे हैं. उन्होंने बताया कि वर्तमान में उनके पास 22 गाय हैं. जिन की देखभाल और उनका पूरा काम वे पति-पत्नी ही करते हैं. ऐसे में किसी बाहरी व्यक्ति को इसलिए नहीं रखते क्योंकि उसे पैसा देने पड़ेंगे. इसलिए इस बचे हुए पैसे को भी अपने बच्चों की पढ़ाई में लगा रहे हैं.

बेटियों ने बंटाया पिता का हाथ
ख्याली के संघर्ष में उनकी बेटियों ने भी खूब हाथ बटाया. बेटी सोनल न्यायिक मजिस्ट्रेट के पद पर कार्यरत हैं. वह भी अधिकांश समय गाय के तबेले में ही काम करती हुए अपनी पढ़ाई किया करती थी. ऐसे में तबेले में ही खाली पीपों की टेबल बनाकर उसपर पढ़ाई किया करती थी. गाय का गोबर उठाना, दूध निकालना और तबेले की साफ-सफाई करने का कार्य भी अपनी अन्य बहनों के साथ मिलजुल कर किया करती थी. उनकी बेटी सोनल, लीना एवं किरण और बेटा हिमांशु जब भी घर आते हैं तो सभी तबेले के काम में मेरा सहयोग करते हैं.

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आज भी नहीं छोड़ दूध बांटने का काम
ख्याली ने बताया कि इन गायों की सेवा का ही फल है कि उनके बेटे-बेटियां आज कामयाबी की राह पर हैं. आज भी वह घर-घर जाकर दूध बांटने के साथ लोगों के यहां से बची हुई रोटियां लिया करते हैं. इसके साथ ही गायों के लिए फल और सब्जी भी शहर भर से इकट्ठा करके लाते हैं. उन्होंने बताया कि पिछले 30 सालों से यह कार्य कर रहे हैं.

ख्याली की पत्नी जसवीर कहती हैं कि बेटियों की सफलता देखकर उन्हें गर्व होता है. आज उनकी बेटियां इस मुकाम पर है कि जो पहले हम से बात नहीं करते थे वह बधाई देने आते हैं. जसवीर ने बताया कि जब उनका विवाह हुआ था तो बड़ी कठिनाइयां और चुनौतियां थीं लेकिन उनसे लड़कर हमने दिन रात अपने बच्चों को पढ़ाई में सहयोग किया. इतना ही नहीं, बच्चों को उनकी दिलचस्पी के अनुसार पढ़ने के लिए मौका दिया. कठिन परिस्थितियों में भी बच्चों को बाहर निकल कर पढ़ने के लिए भेजा. उन्होंने कहा कि सभी लोगों को अपने बच्चों को खुद के बल पर आगे बढ़ने का मौका देना चाहिए.

वहीं सबसे छोटी बेटी किरण शर्मा ने कहा कि फादर्स डे पर अपने पिता के साथ ही पिता समान सभी बड़ों को शुभकामनाएं और बधाई देना चाहूंगी. मुझे गर्व है कि मुझे ऐसे माता-पिता मिले जिन्होंने कड़े संघर्ष के बाद भी हमें इस मुकाम तक पहुंचाने में अपना सबकुछ न्योछावर किया. उन्होंने कहा कि हमारे पिता ने हमारे जीवन में प्रतिबंधों को त्याग कर हमें खुली छूट दी. हमें पढ़ाई के लिए मोटिवेट करने के साथ आगे बढ़ने के लिए दिन-रात सहयोग भी किया.

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