ETV Bharat / city

SPECIAL : नई शिक्षा नीति की रियायत का राजस्थान के नौनिहाल नहीं उठा पाएंगे लाभ, ये है बड़ी वजह

केंद्र सरकार ने दशकों से चलती आ रही शिक्षा नीति में बदलाव करने की मंजूरी दे दी है. नई शिक्षा नीति के तहत कक्षा 5वीं तक स्थानीय भाषा में शिक्षा देने का प्रावधान रखा गया था, लेकिन राजस्थान में कोई भी भाषा ऐसी नहीं जो पूरे प्रदेश में बोली जाए. ऐसे में प्रदेश के नौनिहाल इसका फायदा नहीं उठा पाएंगे.

New education policy will not be applicable in Rajasthan,  New Education Policy 2020
ननिहालों को नहीं मिलेगा लाभ
author img

By

Published : Aug 30, 2020, 4:22 PM IST

उदयपुर. राजस्थानी भाषा को मान्यता नहीं मिलना अब राजस्थान के नौनिहालों के लिए परेशानी का कारण बन गया है. केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में नई शिक्षा नीति के तहत कक्षा पांचवीं तक स्थानीय भाषा में शिक्षा देने का प्रावधान रखा गया था, लेकिन राजस्थान में कोई भी भाषा ऐसी नहीं जो पूरे प्रदेश में बोली जाए. इसी के कारण अब तक केंद्र ने भी राजस्थान की किसी भाषा को मान्यता नहीं दी है. ऐसे में राजस्थान के बच्चे केंद्र सरकार की ओर से जारी की गई नई शिक्षा नीति का फायदा नहीं उठा पाएंगे.

केंद्र की मोदी सरकार की ओर से हाल ही में देश की शिक्षा नीति को 34 साल बाद बदला गया था. इस शिक्षा नीति में कई मूलभूत परिवर्तन किए गए, जिससे शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के साथ ही हर गांव-ढाणी स्तर तक शिक्षा पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन इस शिक्षा नीति में एक प्रावधान स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए भी रखा गया था, जिसके तहत कक्षा 5 तक बच्चा अपने प्रदेश की भाषा में ही पढ़ाई कर पाएगा.

राजस्थान के ननिहालों को नहीं मिलेगा लाभ

राजस्थान के बच्चों के लिए परेशानी

इस नियम के तहत राजस्थान में भी बच्चों को यह लाभ मिलना था, लेकिन राजस्थानी भाषा को मान्यता नहीं मिलना राजस्थान के बच्चों के लिए अब परेशानी का कारण बन गया है. बता दें कि नई शिक्षा नीति के तहत राजस्थान के बच्चे भी कक्षा 5वीं तक स्थानीय भाषा में पढ़ाई कर सकते हैं, लेकिन राजस्थान की अब तक कोई भी स्थानीय भाषा ऐसी नहीं बन पाई है जिसे मान्यता प्राप्त हो.

पढ़ें- सबसे आसान भाषा में समझें नई शिक्षा नीति का पूरा गणित, जानें कैसे होगा लागू, क्या होंगे बदलाव?

प्रदेश के हर जिले और संभाग की अलग भाषा है. ऐसे में राजस्थान के बच्चों को केंद्र सरकार की ओर से दी गई इस रियायत का लाभ नहीं मिल पाएगा. शिक्षाविद गिरिराज सिंह चौहान का कहना है कि राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए अब फिर से प्रयास शुरू होने चाहिए ताकि राजस्थान के नौनिहालों को केंद्र सरकार की ओर से जारी की गई शिक्षा नीति का लाभ मिल पाए.

New education policy will not be applicable in Rajasthan,  New Education Policy 2020
शिक्षा नीति की मुख्य बड़ी बातें

प्रदेश के बच्चों को उठाना पड़ेगा खामियाजा: संजय लोढा

वहीं, प्रोफेसर संजय लोढ़ा का मानना है कि राजस्थान की भाषा को लेकर चल रही पुरानी खींचतान का खामियाजा अब प्रदेश के बच्चों को उठाना पड़ेगा. ऐसे में अब सरकार की ओर से राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए केंद्र तक फिर से आवाज बुलंद करनी होगी.

मेवाड़ में लंबे समय तक शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने वाले लेखक और शिक्षाविद डॉ. कुंजन आचार्य का कहना है कि राजस्थानी भाषा को मान्यता नहीं मिलना हमारे लिए एक परेशानी वाला कारण है. उनका कहना है कि राजस्थान में मेवाड़, मारवाड़ और प्रदेश में जगह-जगह अलग भाषा बोली जाती है. हर जगह सरकार की ओर से उन्हें भाषाओं को जोड़ते हुए फिर से राजस्थानी भाषा के लिए केंद्र सरकार तक आवाज बुलंद करनी चाहिए ताकि राजस्थान के बच्चों को नई शिक्षा नीति के तहत जारी किया गया लाभ मिल पाए.

पढ़ें- 'नई शिक्षा नीति' को लेकर उदयपुर के शिक्षाविदों का सुझाव, कहा- बिना English नहीं चलेगा काम

34 साल पुरानी थी शिक्षा नीति

बता दें कि आज तक हमारे देश में जिस शिक्षा नीति के तहत पढ़ रहे हैं वो करीब 34 साल पुरानी है. साल 1986 में राजीव गांधी सरकार के दौरान लागू की गई थी और उसके बाद 1992 में इसमें थोड़ा बदलाव किया गया था. अब 1992 के बाद एजुकेशन पॉलिसी में बदलाव करने के लिए मंजूरी दी गई है. सरकार ने इस बदलाव को 5+3+3+4 फार्मूला के आधार पर किया है.

New education policy will not be applicable in Rajasthan,  New Education Policy 2020
5+3+3+4 फार्मूला यहां समझें

प्रीपेटरी स्टेज में बच्चे क्षेत्रीय भाषा में लेंगे शिक्षा

अब जोर इस पर दिया जाएगा कि कम से कम पांचवीं क्लास तक बच्चों को उनकी मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाया जा सके. किसी भी विद्यार्थी पर कोई भी भाषा नहीं थोपी जाएगी. स्कूल में आने की उम्र से पहले भी बच्चों को क्या सिखाया जाए, ये भी पैरेंट्स को बताया जाएगा.

क्या है 5+3+3+4 फार्मूला ?

नई शिक्षा नीति के तहत स्कूली शिक्षा में बड़ा बदलाव करते हुए 10+2 के फॉर्मेट को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है. अभी तक हमारे देश में स्कूली पाठ्यक्रम 10+2 के हिसाब से चलता रहा है लेकिन अब ये 5+ 3+ 3+ 4 के हिसाब से होगा. इसका मतलब है कि अब स्कूली शिक्षा को 3-8, 8-11, 11-14, और 14-18 उम्र के बच्चों के लिए विभाजित किया गया है. इसमें प्राइमरी से दूसरी कक्षा तक एक हिस्सा, फिर तीसरी से पांचवीं तक दूसरा हिस्सा, छठी से आठवीं तक तीसरा हिस्सा और नौंवी से 12वीं तक आखिरी हिस्सा होगा.

उदयपुर. राजस्थानी भाषा को मान्यता नहीं मिलना अब राजस्थान के नौनिहालों के लिए परेशानी का कारण बन गया है. केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में नई शिक्षा नीति के तहत कक्षा पांचवीं तक स्थानीय भाषा में शिक्षा देने का प्रावधान रखा गया था, लेकिन राजस्थान में कोई भी भाषा ऐसी नहीं जो पूरे प्रदेश में बोली जाए. इसी के कारण अब तक केंद्र ने भी राजस्थान की किसी भाषा को मान्यता नहीं दी है. ऐसे में राजस्थान के बच्चे केंद्र सरकार की ओर से जारी की गई नई शिक्षा नीति का फायदा नहीं उठा पाएंगे.

केंद्र की मोदी सरकार की ओर से हाल ही में देश की शिक्षा नीति को 34 साल बाद बदला गया था. इस शिक्षा नीति में कई मूलभूत परिवर्तन किए गए, जिससे शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के साथ ही हर गांव-ढाणी स्तर तक शिक्षा पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन इस शिक्षा नीति में एक प्रावधान स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए भी रखा गया था, जिसके तहत कक्षा 5 तक बच्चा अपने प्रदेश की भाषा में ही पढ़ाई कर पाएगा.

राजस्थान के ननिहालों को नहीं मिलेगा लाभ

राजस्थान के बच्चों के लिए परेशानी

इस नियम के तहत राजस्थान में भी बच्चों को यह लाभ मिलना था, लेकिन राजस्थानी भाषा को मान्यता नहीं मिलना राजस्थान के बच्चों के लिए अब परेशानी का कारण बन गया है. बता दें कि नई शिक्षा नीति के तहत राजस्थान के बच्चे भी कक्षा 5वीं तक स्थानीय भाषा में पढ़ाई कर सकते हैं, लेकिन राजस्थान की अब तक कोई भी स्थानीय भाषा ऐसी नहीं बन पाई है जिसे मान्यता प्राप्त हो.

पढ़ें- सबसे आसान भाषा में समझें नई शिक्षा नीति का पूरा गणित, जानें कैसे होगा लागू, क्या होंगे बदलाव?

प्रदेश के हर जिले और संभाग की अलग भाषा है. ऐसे में राजस्थान के बच्चों को केंद्र सरकार की ओर से दी गई इस रियायत का लाभ नहीं मिल पाएगा. शिक्षाविद गिरिराज सिंह चौहान का कहना है कि राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए अब फिर से प्रयास शुरू होने चाहिए ताकि राजस्थान के नौनिहालों को केंद्र सरकार की ओर से जारी की गई शिक्षा नीति का लाभ मिल पाए.

New education policy will not be applicable in Rajasthan,  New Education Policy 2020
शिक्षा नीति की मुख्य बड़ी बातें

प्रदेश के बच्चों को उठाना पड़ेगा खामियाजा: संजय लोढा

वहीं, प्रोफेसर संजय लोढ़ा का मानना है कि राजस्थान की भाषा को लेकर चल रही पुरानी खींचतान का खामियाजा अब प्रदेश के बच्चों को उठाना पड़ेगा. ऐसे में अब सरकार की ओर से राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए केंद्र तक फिर से आवाज बुलंद करनी होगी.

मेवाड़ में लंबे समय तक शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने वाले लेखक और शिक्षाविद डॉ. कुंजन आचार्य का कहना है कि राजस्थानी भाषा को मान्यता नहीं मिलना हमारे लिए एक परेशानी वाला कारण है. उनका कहना है कि राजस्थान में मेवाड़, मारवाड़ और प्रदेश में जगह-जगह अलग भाषा बोली जाती है. हर जगह सरकार की ओर से उन्हें भाषाओं को जोड़ते हुए फिर से राजस्थानी भाषा के लिए केंद्र सरकार तक आवाज बुलंद करनी चाहिए ताकि राजस्थान के बच्चों को नई शिक्षा नीति के तहत जारी किया गया लाभ मिल पाए.

पढ़ें- 'नई शिक्षा नीति' को लेकर उदयपुर के शिक्षाविदों का सुझाव, कहा- बिना English नहीं चलेगा काम

34 साल पुरानी थी शिक्षा नीति

बता दें कि आज तक हमारे देश में जिस शिक्षा नीति के तहत पढ़ रहे हैं वो करीब 34 साल पुरानी है. साल 1986 में राजीव गांधी सरकार के दौरान लागू की गई थी और उसके बाद 1992 में इसमें थोड़ा बदलाव किया गया था. अब 1992 के बाद एजुकेशन पॉलिसी में बदलाव करने के लिए मंजूरी दी गई है. सरकार ने इस बदलाव को 5+3+3+4 फार्मूला के आधार पर किया है.

New education policy will not be applicable in Rajasthan,  New Education Policy 2020
5+3+3+4 फार्मूला यहां समझें

प्रीपेटरी स्टेज में बच्चे क्षेत्रीय भाषा में लेंगे शिक्षा

अब जोर इस पर दिया जाएगा कि कम से कम पांचवीं क्लास तक बच्चों को उनकी मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाया जा सके. किसी भी विद्यार्थी पर कोई भी भाषा नहीं थोपी जाएगी. स्कूल में आने की उम्र से पहले भी बच्चों को क्या सिखाया जाए, ये भी पैरेंट्स को बताया जाएगा.

क्या है 5+3+3+4 फार्मूला ?

नई शिक्षा नीति के तहत स्कूली शिक्षा में बड़ा बदलाव करते हुए 10+2 के फॉर्मेट को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है. अभी तक हमारे देश में स्कूली पाठ्यक्रम 10+2 के हिसाब से चलता रहा है लेकिन अब ये 5+ 3+ 3+ 4 के हिसाब से होगा. इसका मतलब है कि अब स्कूली शिक्षा को 3-8, 8-11, 11-14, और 14-18 उम्र के बच्चों के लिए विभाजित किया गया है. इसमें प्राइमरी से दूसरी कक्षा तक एक हिस्सा, फिर तीसरी से पांचवीं तक दूसरा हिस्सा, छठी से आठवीं तक तीसरा हिस्सा और नौंवी से 12वीं तक आखिरी हिस्सा होगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.