उदयपुर. वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर आपदा बनकर टूटी है. हर गुजरते दिन के साथ प्रदेश में हजारों की संख्या में नए संक्रमित व्यक्ति सामने आ रहे हैं, जिसे लेकर प्रदेश सरकार ने 3 मई तक जन अनुशासन पखवाड़ा मनाने की घोषणा की है. सरकार ने नई गाइडलाइन जारी करते हुए कई प्रतिबंध लगाए हैं. इन प्रतिबंधों से एक बार फिर छोटे व्यवसाइयों के ऊपर ग्रहण लग गया है, जो अपने दिन भर की कमाई पर गुजारा चलाते हैं.
ईटीवी भारत की टीम ने भी यह जानने की कोशिश की कि पिछले साल आई इस महामारी के कारण लगे लॉकडाउन की वजह से जो स्थिति उत्पन्न हुई थी, जिसमें निम्न और मध्यम वर्ग के दुकानदारों को जिन हालातों से गुजरना पड़ा था, क्या वहीं स्थिति आज है. इसे जानने के लिए हमारी टीम प्रदेश के उदयपुर पहुंची, जहां सरकार ने जन अनुशासन पखवाड़े के तहत कई व्यवसाय बंद किए हैं, जिसके कारण कई लोगों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है.
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ईटीवी भारत राजस्थान की टीम ने फास्ट फूड विक्रेता, कपड़े विक्रेता, चाय बनाने वाले, ऑटो चलाने वाले, मोची, छोटे दुकानदारों से बातचीत की. इसके साथ ही सरकार की गाइड लाइन में इनके व्यवसाय को बंद करने के बाद क्या स्थिति उत्पन्न हुई इसके बारे में जानकारी ली. हमारी मुलाकात शहर शहर में सड़क पर कॉस्मेटिक सामान का ठेले पर बिक्री करने वाले रोहित से हुई.
रोहित ने बताया कि इस कोरोना की वजह से पिछले साल का हिसाब तो अभी तक बराबर नहीं हो पाया. सुबह ठेला लेकर निकलते हैं, लेकिन नाममात्र की बिक्री होती है, जिससे परिवार का भरण पोषण करना भी बड़ा मुश्किल हो रहा है. यही स्थिति चाय बनाने वाले लोगों की है, जो चाय बनाकर लोगों का सिर दर्द दूर करते हैं, लेकिन सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के कारण उनके व्यवसाय ही पूरी तरह से बंद हैं, जिससे उनके आजीविका पर गहरा संकट मंडराने लगा है. फास्ट फूड विक्रेताओं ने बातचीत में बताया कि सरकार को कोई हल निकालना चाहिए, जिससे कुछ समय के लिए हमारी दुकानें भी खुली रहें, आजीविका चलाने में जूझना ना पड़े. सरकार को सभी लोगों के लिए एक समान गाइडलाइन बनानी चाहिए.
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वहीं, छोटे कपड़ा व्यापारियों का कहना था कि यही सीजन है, जिसमें खरीदारी होती है. पिछले साल कोरोना के कारण पूरी तरह से व्यापार बंद रहा, लेकिन इस बार सीजन आते ही सरकार ने जो आदेश निकाला है, उससे पूरे व्यवसाय की कमर टूटती हुई दिखाई दे रही है. कुल मिलाकर देखा जाए तो कोविड-19 संक्रमण के कारण स्वयं का रोजगार चलाने वाले लोगों के सामने पहाड़ टूट पड़ा है और उनके सामने रोजी रोटी का संकट गहराने लगा है.