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उदयपुर में 301 बीएसएनएल कर्मचारियों ने ली स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति

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Published : Jan 31, 2020, 11:18 PM IST

उदयपुर में भारतीय संचार निगम लिमिटेड के 301 कर्मचारियों ने शुक्रवार को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली. बता दें कि यह सभी कर्मचारी 50 साल से अधिक आयु के थे, जिसमें डीजीएम से लेकर क्लर्क तक के कर्मचारी शामिल थे. इन सभी को 10 साल के वेतन के साथ 25 प्रतिशत अधिक बोनस भी दिया जाएगा.

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बीएसएनएल कर्मचारियों ने ली स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति

उदयपुर. जिले के इतिहास में शुक्रवार को पहली बार ऐसा हुआ जब एक ही विभाग के 301 कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेनी पड़ी. हाल ही में केंद्र सरकार की ओर से एक आदेश जारी किया गया था. इस आदेश के तहत बीएसएनएल में काम करने वाले 50 साल से अधिक आयु के कर्मचारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले सकते थे, उन्हें ऐसा करने पर अपनी तनखा के साथ ही 25 प्रतिशत अधिक वेतन दिया जाएगा.

बीएसएनएल कर्मचारियों ने ली स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति

ऐसे में उदयपुर में जहां 301 कर्मचारियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली तो वहीं पूरे राजस्थान में यह आंकड़ा 3763 का है. केंद्र सरकार के इस फैसले से जहां प्रदेश के कई अधिकारी और कर्मचारी खुश नजर आए तो वहीं कई ने इसे केंद्र सरकार की एक भूल करार दिया और बीएसएनएल को निजीकरण की ओर धकेलने की कोशिश भी बताया.

पढ़ें- उदयपुरः CAA के समर्थन में भाजपा कार्यकर्ताओं ने मोदी सरकार को भेजी 50 फीट की चिट्ठी

वहीं, कुछ कर्मचारियों का कहना था कि बीएसएनएल पर केंद्र सरकार अगर यह ध्यान पहले देती तो आज बीएसएनएल की स्थिति इतनी दयनीय नहीं होती और कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति जैसे फैसले नहीं लेने पड़ते. बता दें कि बीएसएनएल कर्मचारियों को पिछले 3 महीने से वेतन भी नहीं दिया जा रहा था, जबकि मेंटेनेंस के तौर पर भी सरकार फंड जारी नहीं कर रही थी.

ऐसे में केंद्र सरकार का यह फैसला कई सवाल खड़े करता है तो वहीं केंद्र सरकार की ओर से अब बीएसएनएल के 50 साल की आयु से अधिक कर्मचारियों के तौर पर ठेका प्रथा शुरू की जाएगी और बाहरी व्यक्ति संविदा पर काम कर बीएसएनएल की बागडोर संभालेंगे. इस फैसले को जहां बीएसएनल के पूर्व कर्मचारी एक लापरवाही करार दे रहे हैं. वहीं, कुछ का कहना है कि जो काम हम लोगों ने सालों तक किया, अब नए लोगों को उस काम को सीखने में ही सालों का वक्त लग जाएगा.

उदयपुर. जिले के इतिहास में शुक्रवार को पहली बार ऐसा हुआ जब एक ही विभाग के 301 कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेनी पड़ी. हाल ही में केंद्र सरकार की ओर से एक आदेश जारी किया गया था. इस आदेश के तहत बीएसएनएल में काम करने वाले 50 साल से अधिक आयु के कर्मचारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले सकते थे, उन्हें ऐसा करने पर अपनी तनखा के साथ ही 25 प्रतिशत अधिक वेतन दिया जाएगा.

बीएसएनएल कर्मचारियों ने ली स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति

ऐसे में उदयपुर में जहां 301 कर्मचारियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली तो वहीं पूरे राजस्थान में यह आंकड़ा 3763 का है. केंद्र सरकार के इस फैसले से जहां प्रदेश के कई अधिकारी और कर्मचारी खुश नजर आए तो वहीं कई ने इसे केंद्र सरकार की एक भूल करार दिया और बीएसएनएल को निजीकरण की ओर धकेलने की कोशिश भी बताया.

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वहीं, कुछ कर्मचारियों का कहना था कि बीएसएनएल पर केंद्र सरकार अगर यह ध्यान पहले देती तो आज बीएसएनएल की स्थिति इतनी दयनीय नहीं होती और कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति जैसे फैसले नहीं लेने पड़ते. बता दें कि बीएसएनएल कर्मचारियों को पिछले 3 महीने से वेतन भी नहीं दिया जा रहा था, जबकि मेंटेनेंस के तौर पर भी सरकार फंड जारी नहीं कर रही थी.

ऐसे में केंद्र सरकार का यह फैसला कई सवाल खड़े करता है तो वहीं केंद्र सरकार की ओर से अब बीएसएनएल के 50 साल की आयु से अधिक कर्मचारियों के तौर पर ठेका प्रथा शुरू की जाएगी और बाहरी व्यक्ति संविदा पर काम कर बीएसएनएल की बागडोर संभालेंगे. इस फैसले को जहां बीएसएनल के पूर्व कर्मचारी एक लापरवाही करार दे रहे हैं. वहीं, कुछ का कहना है कि जो काम हम लोगों ने सालों तक किया, अब नए लोगों को उस काम को सीखने में ही सालों का वक्त लग जाएगा.

Intro:उदयपुर में शुक्रवार को भारतीय संचार निगम लिमिटेड के 301 कर्मचारियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली आपको बता दें कि यह सभी कर्मचारी 50 वर्ष से अधिक आयु के थे जिसमें डीजीएम से लेकर क्लर्क तक के कर्मचारी शामिल थे इन सभी को 10 वर्ष के वेतन के साथ 25% अधिक बोनस भी दिया जाएगा बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में एक आदेश जारी किया गया था इस आदेश के तहत बीएसएनएल की वित्तीय स्थिति और बाजार में गिरती साख को लेकर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति पर इस शर्त को लागू किया गया था वहीं आज सेवानिवृत्ति लेने पर कुछ अधिकारी कर्मचारियों ने इसे केंद्र सरकार की भूल करार दिया और अन्य टेलीकॉम कंपनियों को लाभ देने के लिए सरकार के फैसले को लाने की भी बात कही


Body:उदयपुर के इतिहास में आज पहली बार ऐसा हुआ जब एक ही विभाग के 301 कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेनी पड़ी आपको बता दें हम बात कर रहे हैं भारतीय संचार निगम लिमिटेड की जी हां उदयपुर में शुक्रवार को भारतीय संचार निगम के 301 कर्मचारियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली आपको बता दें कि हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा एक आदेश जारी किया गया था इस आदेश के तहत बीएसएनएल में काम करने वाले 50 वर्ष से अधिक आयु के कर्मचारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले सकते थे उन्हें ऐसा करने पर अपनी तनखा के साथी 25% अधिक वेतन दिया जाएगा ऐसे में उदयपुर जिले में जहां 301 कर्मचारियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली तो वहीं पूरे राजस्थान में यह आंकड़ा 3763 है केंद्र सरकार के इस फैसले से जहां प्रदेश के कई अधिकारी कर्मचारी खुश नजर आए तो वहीं कई ने इसे केंद्र सरकार की एक भूल करार दिया और बीएसएनएल को निजी करण की और धकेलने की कोशिश भी बताया वहीं कुछ कर्मचारियों का कहना था कि बीएसएनएल पर केंद्र सरकार अगर यह ध्यान पहले देती तो आज बीएसएनएल की स्थिति इतनी दयनीय नहीं होती और कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति जैसे फैसले नहीं लेने पड़ते
बता दे कि बीएसएनएल कर्मचारियों को पिछले 3 महीने से वेतन भी नहीं दिया जा रहा था जबकि मेंटेनेंस के तौर पर भी सरकार फंड जारी नहीं कर रही थी ऐसे में केंद्र सरकार का यह फैसला कई सवाल खड़े करता है तो वही केंद्र सरकार द्वारा अब बीएसएनएल के 50 वर्ष की आयु से अधिक कर्मचारियों के तौर पर ठेका प्रथा शुरू की जाएगी और बाहरी व्यक्ति संविदा पर काम कर बीएसएनएल की बागडोर संभालेंगे इस फैसले को जहां बीएसएनल के पूर्व कर्मचारी एक लापरवाही करार दे रहे हैं जबकि कुछ का कहना है कि जो काम हम लोगों ने सालों तक किया अब नए लोगों को उस काम को सीखने में ही सालों का वक्त लग जाएगा


Conclusion:कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि भारतीय संचार निगम लिमिटेड पर लागू किया गया केंद्र सरकार का यह फैसला जहां निजी करण को बल देता है तो वहीं कई आम भारतीय नागरिकों की आशा को भी खत्म करता है

बाइट रवि शंकर जोशी सेवानिवृत्त कर्मचारी
बाइट मांगीलाल कुमार सेवानिवृत्त कर्मचारी

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