उदयपुर. जिले के इतिहास में शुक्रवार को पहली बार ऐसा हुआ जब एक ही विभाग के 301 कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेनी पड़ी. हाल ही में केंद्र सरकार की ओर से एक आदेश जारी किया गया था. इस आदेश के तहत बीएसएनएल में काम करने वाले 50 साल से अधिक आयु के कर्मचारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले सकते थे, उन्हें ऐसा करने पर अपनी तनखा के साथ ही 25 प्रतिशत अधिक वेतन दिया जाएगा.
ऐसे में उदयपुर में जहां 301 कर्मचारियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली तो वहीं पूरे राजस्थान में यह आंकड़ा 3763 का है. केंद्र सरकार के इस फैसले से जहां प्रदेश के कई अधिकारी और कर्मचारी खुश नजर आए तो वहीं कई ने इसे केंद्र सरकार की एक भूल करार दिया और बीएसएनएल को निजीकरण की ओर धकेलने की कोशिश भी बताया.
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वहीं, कुछ कर्मचारियों का कहना था कि बीएसएनएल पर केंद्र सरकार अगर यह ध्यान पहले देती तो आज बीएसएनएल की स्थिति इतनी दयनीय नहीं होती और कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति जैसे फैसले नहीं लेने पड़ते. बता दें कि बीएसएनएल कर्मचारियों को पिछले 3 महीने से वेतन भी नहीं दिया जा रहा था, जबकि मेंटेनेंस के तौर पर भी सरकार फंड जारी नहीं कर रही थी.
ऐसे में केंद्र सरकार का यह फैसला कई सवाल खड़े करता है तो वहीं केंद्र सरकार की ओर से अब बीएसएनएल के 50 साल की आयु से अधिक कर्मचारियों के तौर पर ठेका प्रथा शुरू की जाएगी और बाहरी व्यक्ति संविदा पर काम कर बीएसएनएल की बागडोर संभालेंगे. इस फैसले को जहां बीएसएनल के पूर्व कर्मचारी एक लापरवाही करार दे रहे हैं. वहीं, कुछ का कहना है कि जो काम हम लोगों ने सालों तक किया, अब नए लोगों को उस काम को सीखने में ही सालों का वक्त लग जाएगा.