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COVID-19: उदयपुर के इस गांव में सोशल डिस्टेंसिंग की सदियों पुरानी परंपरा

कोरोना संक्रमण के कारण सोशल डिस्टेंसिंग के फार्मूले को मेंटेन करने की नसीहत दी जा रही है. वहीं, उदयपुर का एक गांव ऐसा भी है जहां बरसों पहले से सोशल डिस्टेंसिंग को आधार मानकर ही ग्रामीण अपना जीवन यापन कर रहे हैं.

सोशल डिस्टेंसिंग वाला गांव , Social distancing
सोशल डिस्टेंसिंग की सदियों पुरानी परंपरा
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Published : Apr 17, 2020, 9:01 PM IST

उदयपुर. दुनिया में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है. इसके संक्रमण से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग को ही रामबाण माना जा रहा है. इस कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक आम लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करने की अपील भी कर रहे हैं. लेकिन उदयपुर का एक गांव ऐसा भी है जहां बरसों पहले से सोशल डिस्टेंसिंग को आधार मानकर ही ग्रामीण अपना जीवन यापन कर रहे हैं.

सोशल डिस्टेंसिंग की सदियों पुरानी परंपरा

बता दें कि उदयपुर से लगभग 35 किलोमीटर दूर पाई गांव में बरसों पहले से लोग सोशल डिस्टेंसिंग के आधार पर ही अपना घर बना रहे हैं और इसी के तहत अपना जीवन यापन कर रहे हैं. ऐसे में गांव में सभी घर एक दूसरे से न्यूनतम 30 मीटर और अधिकतम 100 मीटर दूरी पर बने हुए हैं. इस गांव में सोशल डिस्टेंसिंग को पूरी तरह मेंटेन किया जा रहा है.

पढ़ें- रियलिटी चेक: 'खाना तो मिलता है, लेकिन पेट नहीं भरता'...सोशल डिस्टेंसिंग की भी उड़ रहीं धज्जियां

बहुत पहले से चली आ रही यह परंपरा

ग्रामीणों की मानें तो यह परंपरा गांव में बहुत पहले से चली आ रही है. उनका कहना है कि इनके पूर्वजों का मानना था कि दूर रहने से इंसान में प्यार बरकरार रहता है और पारिवारिक कलह नहीं होती. इसी बात को ध्यान में रखते हुए ग्रामीणों ने अपने घर दूर-दूर बना रखे हैं. लेकिन इसका फायदा उन्हें अब जब देश में कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है तब मिल रहा है. ग्रामीणों की मानें तो पूर्वजों के तब की सलाह आज इनके जीवन में रामबाण साबित हो रही है.

बता दें कि उदयपुर के सिर्फ पाई गांव में ही नहीं बल्कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में इसी तरह की परंपरा प्राचीनकाल से चली आ रही है. यहां पर सभी घरों में काफी दूरी रहती है और सोशल डिस्टेंसिंग को पूरी तरह फॉलो किया जाता है. इसी का नतीजा है कि अब तक ग्रामीण अंचल में कोरोना संक्रमण अपने पैर नहीं पसार पाया है.

उदयपुर. दुनिया में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है. इसके संक्रमण से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग को ही रामबाण माना जा रहा है. इस कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक आम लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करने की अपील भी कर रहे हैं. लेकिन उदयपुर का एक गांव ऐसा भी है जहां बरसों पहले से सोशल डिस्टेंसिंग को आधार मानकर ही ग्रामीण अपना जीवन यापन कर रहे हैं.

सोशल डिस्टेंसिंग की सदियों पुरानी परंपरा

बता दें कि उदयपुर से लगभग 35 किलोमीटर दूर पाई गांव में बरसों पहले से लोग सोशल डिस्टेंसिंग के आधार पर ही अपना घर बना रहे हैं और इसी के तहत अपना जीवन यापन कर रहे हैं. ऐसे में गांव में सभी घर एक दूसरे से न्यूनतम 30 मीटर और अधिकतम 100 मीटर दूरी पर बने हुए हैं. इस गांव में सोशल डिस्टेंसिंग को पूरी तरह मेंटेन किया जा रहा है.

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बहुत पहले से चली आ रही यह परंपरा

ग्रामीणों की मानें तो यह परंपरा गांव में बहुत पहले से चली आ रही है. उनका कहना है कि इनके पूर्वजों का मानना था कि दूर रहने से इंसान में प्यार बरकरार रहता है और पारिवारिक कलह नहीं होती. इसी बात को ध्यान में रखते हुए ग्रामीणों ने अपने घर दूर-दूर बना रखे हैं. लेकिन इसका फायदा उन्हें अब जब देश में कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है तब मिल रहा है. ग्रामीणों की मानें तो पूर्वजों के तब की सलाह आज इनके जीवन में रामबाण साबित हो रही है.

बता दें कि उदयपुर के सिर्फ पाई गांव में ही नहीं बल्कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में इसी तरह की परंपरा प्राचीनकाल से चली आ रही है. यहां पर सभी घरों में काफी दूरी रहती है और सोशल डिस्टेंसिंग को पूरी तरह फॉलो किया जाता है. इसी का नतीजा है कि अब तक ग्रामीण अंचल में कोरोना संक्रमण अपने पैर नहीं पसार पाया है.

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