श्रीगंगानगर. 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध में मिली ऐतिहासिक जीत का स्वर्णिम वर्ष जश्न मनाया जा रहा है. 16 दिसंबर को दिल्ली से रवाना हुई स्वर्णिम विजय ज्योति मशाल श्रीगंगानगर जिले के श्रीकरणपुर सीमा क्षेत्र में पहुंची. 1971 के भारत-पाक के युद्ध में भारत की शानदार जीत के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर श्रीगंगानगर मिलिट्री स्टेशन में स्वर्णिम विजय दिवस वर्ष मनाया जा रहा है. इसी से प्रेरित स्वर्णिम विजय ज्योति जो कि 16 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया विजय भारत अभियान श्रीकरणपुर पहुंचा.
इस विजय ज्योति के ऑफिसर कमांडिंग सुदर्शन चक्र डिवीजन ने युद्ध वीरों को पुष्पांजलि अर्पित की. इस मौके पर स्कूली बच्चे, एनसीसी कैडेटस महिलाएं बच्चे व पुरुष कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों के अंदर एक असीम राष्ट्रीय भावना का अनुमोदन हुआ जो आने वाली नई पीढ़ी के लिए मातृ भूमि की सेवा की प्रेरणा का काम भी करेगा एवं उन बहादुर सैनिकों की याद दिलाएगा, जिन्होंने देश के लिए 1971 में अपना सर्वोच्च न्यौछावर कर दिया था.
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स्वर्णिम विजय ज्योति मशाल का स्वागत श्रीकरणपुर व्यापार मंडल में करने के बाद शहीद स्मारक पहुंची. स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित किया गया. शहीद स्मारक पर देश भक्ति के कार्यक्रम आयोजित होने के साथ ही विजय ज्योति मशाल भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बसे नग्गी गांव में स्थित शहीद स्मारक पर लाई गई. यहां कार्यक्रम आयोजित होने के बाद श्रीकरणपुर के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में सेना द्वारा युद्ध में इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों व साजो सामान का प्रदर्शन आमजन के लिए किया गया. इस अवसर पर सेना का बैंड वादन सहित कई कार्यक्रम आयोजित किए गए. इस मौके पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम में चित्रकला प्रतियोगिता के विजेता बच्चों को सम्मानित किया गया.
युद्ध समाप्ति के बाद भी पाकिस्तानी सेना ने की थी नापाक हरकत
1971 की भारत-पाक जंग यूं तो 16 दिसंबर को पाकिस्तान सेना के समपर्ण के साथ खत्म हो गई थी, लेकिन पाकिस्तान अपनी हरकतों से कभी बाज नहीं आया. तभी युद्ध विराम के बाद भी पाकिस्तान ने राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के नग्गी बॉर्डर पर 26 दिसंबर की रात्रि को अचानक घुसपैठ करके कब्जा कर लिया. रात के सन्नाटे को चीरती हवा के बीच राजस्थान में पाक बॉर्डर पर आती टैंक चलने की घर्र-घर्र आवाज यह भारतीय जवानों को इस बात का आभास कराने के लिए काफी था कि दुश्मन ने आंख उठाने की हिमाकत की है.
युद्ध विराम के बाद पाकिस्तान सेना ने 26 दिसंबर की रात्रि को भारतीय सीमा में घुसपैठ कर श्रीगंगानगर जिले के नग्गी पर कब्जा कर श्रीकरणपुर कस्बे को हथियाना चाहते थे, लेकिन भारतीय सेना के वीरों ने इस युद्ध में पाकिस्तान को ऐसी मौत दी कि उन्हें उल्टे पांव दौड़ने को मजबूर होना पड़ा. भारतीय सेना के जवानों ने शहादत देकर पाकिस्तान की सेना को यहां से भागने पर मजबूर करते हुए भारत मां की रक्षा की.
युद्ध में भारत की सेना के तीन अधिकारियों सहित 21 जवान शहीद हो गए थे. उन्हीं 21 जवानों की शहादत को याद रखने के लिए युद्ध स्थल पर स्मारक का निर्माण किया गया है. इस युद्ध में मिले जख्म को देखकर पाकिस्तान भारतीय सीमा की तरफ हिमाकत करने की कोशिश नहीं कर पाता है. ऐसे में सलाम है उन वीरों को जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर करते हुए शहीद हो गए. शायद तभी उनके किस्से कहानियां आज न जाने कितने लोगों को सुनने के लिए मिल रहे हैं.