श्रीगंगानगर. कृषि अनुसंधान केंद्र श्रीगंगानगर के वैज्ञानिकों ने किसानों को चने का बेहतर पैदावार दिलाने के लिए, लंबे अनुसंधान के बाद उन्नत किस्म के बीज तैयार किए हैं. चने का ये बीज किसानों के लिए केंद्र में तैयार किया गया है, ताकि किसान प्रमाणित बीज का इस्तेमाल करके पैदावार बढ़ा सकें.
बता दें कि अनुसंधान केंद्र पर 12 साल में 11 किस्म के चने के बीज तैयार किए गए हैं. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि एआरएस श्रीगंगानगर द्वारा विकसित चना किस्मों का लाभ प्रदेश के साथ-साथ देश के दूसरे राज्यों के किसानों को भी मिलेगा. इस केंद्र के ओर से विकसित 7 चना किस्मों को आईसीएआर द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर और 4 किस्मों को प्रदेश के किसानों के लिए अधिसूचित किया गया है.
कृषि वैज्ञानिकों ने नव विकसित चना किस्म को केशव 'जीएनजी 2261' नाम दिेया है. खास बात ये कि ये पहला चना किस्म है जिसका नामकरण स्वामी केशवानंदन के नाम पर हुआ है. इस किस्म की पहचान राजस्थान के लिए हुई है. इसकी अधिसूचना जारी होने के बाद एआरएस के ओर से प्रदेश के किसानों को बीज उपलब्ध कराया जाएगा.
चने की सात किस्म राष्ट्रीय स्तर पर अधिसूचित
किसी एक अनुसंधान केंद्र द्वारा विकसित 7 किस्में राष्ट्रीय स्तर पर अधिसूचित होना भी प्रदेश के लिए गर्व का विषय है। इस केंद्र के द्वारा विकसित चना किस्म गणगौर, मरुधर, त्रिवेणी मीरा, तीज और अवध को आईसीएआर में राष्ट्रीय स्तर पर अधिसूचित किया हुआ है. वहीं गौरी, संगम और जीएनजी-1292 राज्य स्तर पर अधिसूचित किया है. इस क्रम में अब केशव जीएनजी 2261 भी शामिल हो चुकी है.नई चना किस्मों के विकास से प्रदेश में चने के औसत उत्पादकता में भी वृद्धि देखने को मिली है.
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दो सिंचाई ही काफी
कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो चने की केशव किस्म को ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं है. यह किस्म दो सिंचाई में पककर तैयार हो जाती है साथ ही यह देर से बुवाई के लिए उपयुक्त है. कपास और ग्वार की कटाई के बाद किसान इस किस्म की बुवाई कर सकते हैं. यदि किसान समय पर केशव किस्म की बुवाई करता है तो उत्पादन ज्यादा मिलेगा. वैसे 15 नवंबर के बाद बुवाई करने पर प्रति क्विंटल 22 से 23 क्विंटल उत्पादन किसान को मिलेगा.