श्रीगंगानगर. 'गुरु बिन ज्ञान नहीं...' ये पंक्ति गुरु के खास महत्व को बताती है. आदिकाल से गुरु का सम्मान किया जाता रहा है. शिक्षा की रोशनी से अंधकार को दूर भगाने वाले शिक्षकों के प्रति अब कितना सम्मान रहा है, शिक्षक दिवस के मौके पर पड़ताल की तो पता चला कि गुरु का सम्मान पहले के मुकाबले कुछ कम हुआ है. इसका एक कारण वर्तमान समय मे शिक्षा का व्यवसायीकरण होना भी सामने आया है.
महंगी शिक्षा के इस युग ने जहां एक ओर शिक्षक के जीवन में बदलाव किया है. वहीं, शिष्यों में भी गुरु के प्रति सम्मान में कमी आ गई है. आधुनिकता के इस दौर ने एक शिक्षक पर असर डालते हुए उसके मानवीय मूल्यों को भी कम किया है.
श्रीगंगानगर के एकमात्र राजकीय विधि महाविद्यालय के शिक्षकों की बात करें तो यहां के शिक्षक अपने विद्यार्थियों के लिए हर समय तैयार रहते हैं. प्राचार्य विश्वनाथ सिंह ने पर्दे के पीछे रहकर पढ़ने वाले गरीब घरों के विद्यार्थियों के लिए जो समर्पण किया है, वो आज के युग में एक मिसाल है.
इन्होंने विधि के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाने वाले कई विद्यार्थियों को नि:शुल्क शिक्षा उपलब्ध करवाकर बड़ा मुकाम हासिल करवाया है. यहां की प्रोफेसर रेखा सोलंकी भी विधि की पढ़ाई करने वाली छात्राओं के लिए सही रास्ता दिखाने के लिए हर समय मदद को तैयार रहती है.
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असिस्टेंट प्रोफसर सुशील रणवा बताते हैं कि शिक्षक उस सड़क को बनता है, जो मुसाफिर को अपनी मंजिल तक पहुंचा देती है. इसी तरह जीवन में शिक्षक एक सड़क की भांति होता है, जो अपने ज्ञान से सरोबार करते हुए व्यक्ति को उसकी मंजिल तक पहुंचाता है. कहा भी जाता है कि बगैर गुरु के ज्ञान अधूरा है. इतिहास में देखें तो एकलव्य और अर्जुन का उदाहरण है. इनके जीवन में शिक्षक का बड़ा स्थान रहा है. साथ ही वो बताते हैं कि वर्तमान युग में गुरु का सम्मान कम हो रहा है.
असिस्टेंट प्रोफसर सुशील रणवा की मानें तो गुरु की महत्ता मां के समान होती है. वो बताते हैं कि उनका सपना है कि समाज में जो शिक्षा से वंचित पिछड़े वर्ग के विद्यार्थी हैं, उनको नि:शुल्क और सच्चे भाव से शिक्षा देकर तैयार किया जाए, जिससे वो समाज के लिए उपयोगी काम कर सकें.
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वहीं, विधि महाविद्यालय के विद्यार्थी बताते हैं कि गुरु का जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है. जीवन में अगर गुरु नहीं होगा तो मन वांछित सफलता प्राप्त नहीं हो सकती. जीवन मां से मिलता है, लेकिन जीवन को जीने की कला सीखाने और सही राह दिखाने का काम गुरु ही होता है. हालांकि विद्यार्थी बताते है कि वर्तमान में शिक्षा का व्यवसायिकरण होने से शिक्षक की महत्ता कम जरूर हुई है, लेकिन शिक्षक का सम्मान हमेशा रहेगा.