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Special: अब भारत में भी खूब हो रहा कीवी फल का उत्पादन, श्रीगंगानगर में 50 फीसदी से ज्यादा घटे दाम

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Published : Dec 20, 2020, 12:56 PM IST

ईरान के अलावा हिमाचल और उतराखंड के कुमाऊं के पर्वतीय इलाकों से भी कीवी की आपूर्ति शुरू हो गई है. ऐसे में भारत में भी कीवी फल का खूब उत्पादन होने से इसका उत्पादन खूब हो रहा है. इससे इसका भाव पिछले साल की तुलना में 50 फीसदी से कम है.

Sriganganagar News, कीवी फल, Sell of Kiwi
श्रीगंगानगर में घटे कीवी के दाम

श्रीगंगानगर. कीवी फल के शौकीनों के लिए अच्छी खबर है. अभी तक विदेशों से आने वाले कीवी फल का उत्पादन अब भारत में होने से इसकी उपलब्धता आसान होने लगी है. बता दें कि न्यूजीलैंड का कीवी ही बाजार में आ रहा था. न्यूजीलैंड की कीवी 400 रुपये किलो होने के कारण इसका आनंद कुछ विशेष वर्ग के लोग ही ले पा रहे थे. लेकिन, अब ईरान के अलावा हिमाचल और उतराखंड के कुमाऊं के पर्वतीय इलाकों से भी कीवी की आपूर्ति शुरू हो गई है. इसका भाव 100-150 रुपये किलो है. देखने में यह न्यूजीलैंड की कीवी जैसी ही लग रही है.

श्रीगंगानगर में घटे कीवी के दाम

न्यूजीलैंड की कीवी का एक पीस करीब 40 रुपये में खरीदा जाता रहा है. वहीं, भारत में कीवी का उत्पादन उन लोगों के लिए फायदेमंद रहेगा, जो महंगा फल होने के कारण खरीद नहीं सकते. नैनीताल के ज्योलीकोट और अल्मोडा इलाके में कीवी की फसल बड़ी मात्रा में होने लगी है. वहां थोक में ये 70 से 80 रुपये किलो में मिल जाती है.

पढ़ें: Special: जैसलमेर के लोंगेवाला में 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध की कहानी, सुनिए नायक भैरो सिंह राठौड़ की जुबानी...

गौरतलब है कि देसी की तुलना में विदेशी फल अधिकांश महंगे ही बिकते हैं. कई फल तो ऐसे हैं, जिनके किलोग्राम का भाव ही दुकानदार कभी ग्राहक को नहीं बताता. ये विदेशी फल किलोग्राम की बजाय प्रति नग के भाव से बेचा जाता है. इसलिए फलों की दुकान पर डिब्बों में बड़े करीने से सजा कर महंगे दामों पर बिकता है. लेकिन, इन दिनों डिब्बों में बिकने वाला कीवी फल रेहड़ियो पर बेचा जा रहा है. इसके भाव भी पिछले साल की तुलना में 50 फीसदी से कम है. ऐसे में कीवी का लुत्फ लेने की इजाजत आमजन की जेब भी देने लगी है.

माना जाता है कि डेंगू रोगियों के लिए कीवी खाना लाभदायक है. इस बार श्रीगंगानगर शहर में डेंगू के भी कई रोगी हैं. इस कारण भी कीवी की अच्छी खासी खपत हो रही है. फल विक्रेताओं की मानें तो दाम कम होने की वजह से आम आदमी भी कीवी की खरीदकर इसका आनंद उठा रहा है. अभी जितना दाम पहले कीवी के कभी नहीं रहा है.

पढ़ें: अलवर: छात्राओं से अश्लील हरकत मामले में आरोपी शिक्षक को 15 दिन की जेल

कोरोना महामारी के बीच इस साल खासकर हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर शहर में डेंगू के रोगियों की तरफ चिकित्सा विभाग का ज्यादा ध्यान नहीं गया तो मरीजों ने कीवी खाकर सेहत को सही रखा है. मौसमी बीमारियों और डेंगू के कारण कीवि की खपत अधिक हो रही है. इसे डेंगू पीड़ित के लिए लाभदायक माना जाता है.

कम हुआ कीवी का दाम

फल विक्रेताओं के अनुसार ज्यादातर कीवी की आपूर्ति यूरोपीय महाद्वीप के देशों से होती है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसमें बदलाव हुआ है. अब ईरान से भी कीवी की आपूर्ति होने लगी है. पहले आपूर्ति करने वाले देशों की तुलना में ईरान नजदीक है. इस कारण भी भाव में कमी आ रही है. इसके अलावा कोरोना संकट के चलते भी कई देशों में मांग के अनुरूप आपूर्ति नहीं हो सकी है. ऐसे में जहां आसानी से आपूर्ति हो रही थी, वहां अधिक माल सप्लाई किया गया. इन सबके चलते कीवी का बाजार भाव सस्ता है. पिछले साल 25 से 35 प्रति पीस के हिसाब से कीवी की बिक्री हुई थी. इस साल 7 से 15 रुपये प्रति नग के भाव से विक्रय की जा रही है. रेहड़ियों पर ढेरी लगाकर 7 से 15 रुपये प्रति नग के भाव से कीवी विक्रय की जा रही है.

श्रीगंगानगर. कीवी फल के शौकीनों के लिए अच्छी खबर है. अभी तक विदेशों से आने वाले कीवी फल का उत्पादन अब भारत में होने से इसकी उपलब्धता आसान होने लगी है. बता दें कि न्यूजीलैंड का कीवी ही बाजार में आ रहा था. न्यूजीलैंड की कीवी 400 रुपये किलो होने के कारण इसका आनंद कुछ विशेष वर्ग के लोग ही ले पा रहे थे. लेकिन, अब ईरान के अलावा हिमाचल और उतराखंड के कुमाऊं के पर्वतीय इलाकों से भी कीवी की आपूर्ति शुरू हो गई है. इसका भाव 100-150 रुपये किलो है. देखने में यह न्यूजीलैंड की कीवी जैसी ही लग रही है.

श्रीगंगानगर में घटे कीवी के दाम

न्यूजीलैंड की कीवी का एक पीस करीब 40 रुपये में खरीदा जाता रहा है. वहीं, भारत में कीवी का उत्पादन उन लोगों के लिए फायदेमंद रहेगा, जो महंगा फल होने के कारण खरीद नहीं सकते. नैनीताल के ज्योलीकोट और अल्मोडा इलाके में कीवी की फसल बड़ी मात्रा में होने लगी है. वहां थोक में ये 70 से 80 रुपये किलो में मिल जाती है.

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गौरतलब है कि देसी की तुलना में विदेशी फल अधिकांश महंगे ही बिकते हैं. कई फल तो ऐसे हैं, जिनके किलोग्राम का भाव ही दुकानदार कभी ग्राहक को नहीं बताता. ये विदेशी फल किलोग्राम की बजाय प्रति नग के भाव से बेचा जाता है. इसलिए फलों की दुकान पर डिब्बों में बड़े करीने से सजा कर महंगे दामों पर बिकता है. लेकिन, इन दिनों डिब्बों में बिकने वाला कीवी फल रेहड़ियो पर बेचा जा रहा है. इसके भाव भी पिछले साल की तुलना में 50 फीसदी से कम है. ऐसे में कीवी का लुत्फ लेने की इजाजत आमजन की जेब भी देने लगी है.

माना जाता है कि डेंगू रोगियों के लिए कीवी खाना लाभदायक है. इस बार श्रीगंगानगर शहर में डेंगू के भी कई रोगी हैं. इस कारण भी कीवी की अच्छी खासी खपत हो रही है. फल विक्रेताओं की मानें तो दाम कम होने की वजह से आम आदमी भी कीवी की खरीदकर इसका आनंद उठा रहा है. अभी जितना दाम पहले कीवी के कभी नहीं रहा है.

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कोरोना महामारी के बीच इस साल खासकर हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर शहर में डेंगू के रोगियों की तरफ चिकित्सा विभाग का ज्यादा ध्यान नहीं गया तो मरीजों ने कीवी खाकर सेहत को सही रखा है. मौसमी बीमारियों और डेंगू के कारण कीवि की खपत अधिक हो रही है. इसे डेंगू पीड़ित के लिए लाभदायक माना जाता है.

कम हुआ कीवी का दाम

फल विक्रेताओं के अनुसार ज्यादातर कीवी की आपूर्ति यूरोपीय महाद्वीप के देशों से होती है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसमें बदलाव हुआ है. अब ईरान से भी कीवी की आपूर्ति होने लगी है. पहले आपूर्ति करने वाले देशों की तुलना में ईरान नजदीक है. इस कारण भी भाव में कमी आ रही है. इसके अलावा कोरोना संकट के चलते भी कई देशों में मांग के अनुरूप आपूर्ति नहीं हो सकी है. ऐसे में जहां आसानी से आपूर्ति हो रही थी, वहां अधिक माल सप्लाई किया गया. इन सबके चलते कीवी का बाजार भाव सस्ता है. पिछले साल 25 से 35 प्रति पीस के हिसाब से कीवी की बिक्री हुई थी. इस साल 7 से 15 रुपये प्रति नग के भाव से विक्रय की जा रही है. रेहड़ियों पर ढेरी लगाकर 7 से 15 रुपये प्रति नग के भाव से कीवी विक्रय की जा रही है.

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