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कोरोना के इलाज के नाम पर अस्पतालों में लूट का खेल! पार्षदों ने कलेक्टर निवास का किया घेराव

कोरोना के इलाज के नाम पर धांधली का आरोप लगाते हुए पार्षदों ने कलेक्टर निवास का घेराव किया. पार्षदों ने जिला कलेक्टर महावीर प्रसाद वर्मा को ज्ञापन सौंपकर 2 दिन में व्यवस्था सुधार की मांग की.

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कोरोना के इलाज के नाम पर धांधली का आरोप लगाते हुए पार्षदों ने कलेक्टर निवास का घेराव किया.
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Published : Nov 17, 2020, 12:36 PM IST

श्रीगंगानगर. कोरोना के इलाज के नाम पर धांधली का आरोप लगाते हुए पार्षदों ने कलेक्टर निवास का घेराव किया. पार्षदों ने जिला कलेक्टर महावीर प्रसाद वर्मा को ज्ञापन सौंपकर 2 दिन में व्यवस्था सुधार की मांग की. ज्ञापन में आरोप है कि कोरोना मरीजों का सरकारी अस्पताल में उचित इलाज नहीं किया जा रहा है. सरकारी अस्पताल के कर्मचारी मरीजों को प्राइवेट कोविड-19 में जाने की सलाह देते हैं. पार्षदों ने आरोप लगाया कि निजी अस्पताल में लाखों रुपये के बिल बनाकर कोरोना मरीजों को लूटा जा रहा है. आरोप है कि रोगी का बिल सवा लाख रुपये से अधिक बन जाता है तो उसे छुट्टी मिलती है. सरकार द्वारा तय शुल्क से भी 5 गुना अधिक की वसूली की जा रही है.

पार्षदों ने जिला कलेक्टर महावीर प्रसाद वर्मा को ज्ञापन सौंपकर 2 दिन में व्यवस्था सुधार की मांग की.

यह भी पढ़ें: अजमेर में शादी समारोह में हादसा, कॉफी मशीन फटने से 5 लोग घायल

हालांकि, पार्षदों में कुछ ऐसे पार्षद भी थे, जो खुद कोरोना से संक्रमित होने के बाद सरकारी अस्पताल में भर्ती होकर इलाज के बाद ठीक होकर घर लौट आए. इन पार्षदों को सरकारी अस्पताल में कोविड-19 अस्पताल में अच्छा इलाज मिला. आक्रोशित पार्षदों ने आरोप लगाया कि जब से जन सेवा अस्पताल को कोरोना पॉजिटिव का इलाज शुरू करने की अनुमति दी गई है. उसके बाद लगातार इस प्रकार की शिकायतें मिल रही है. आरोप है कि जनसेवा अस्पताल में भर्ती होने वाले कोरोना रोगियों से जबरदस्ती वसूली की जाती है. जबकि, सरकार की गाइडलाइंस के मुताबिक पॉजिटिव रोगियों से नाम मात्र की फीस के साथ सस्ता इलाज किया जाना जरूरी है. ऐसे में निजी अस्पतालों को दी गई छूट पर रोक लगाई जाए.

श्रीगंगानगर. कोरोना के इलाज के नाम पर धांधली का आरोप लगाते हुए पार्षदों ने कलेक्टर निवास का घेराव किया. पार्षदों ने जिला कलेक्टर महावीर प्रसाद वर्मा को ज्ञापन सौंपकर 2 दिन में व्यवस्था सुधार की मांग की. ज्ञापन में आरोप है कि कोरोना मरीजों का सरकारी अस्पताल में उचित इलाज नहीं किया जा रहा है. सरकारी अस्पताल के कर्मचारी मरीजों को प्राइवेट कोविड-19 में जाने की सलाह देते हैं. पार्षदों ने आरोप लगाया कि निजी अस्पताल में लाखों रुपये के बिल बनाकर कोरोना मरीजों को लूटा जा रहा है. आरोप है कि रोगी का बिल सवा लाख रुपये से अधिक बन जाता है तो उसे छुट्टी मिलती है. सरकार द्वारा तय शुल्क से भी 5 गुना अधिक की वसूली की जा रही है.

पार्षदों ने जिला कलेक्टर महावीर प्रसाद वर्मा को ज्ञापन सौंपकर 2 दिन में व्यवस्था सुधार की मांग की.

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हालांकि, पार्षदों में कुछ ऐसे पार्षद भी थे, जो खुद कोरोना से संक्रमित होने के बाद सरकारी अस्पताल में भर्ती होकर इलाज के बाद ठीक होकर घर लौट आए. इन पार्षदों को सरकारी अस्पताल में कोविड-19 अस्पताल में अच्छा इलाज मिला. आक्रोशित पार्षदों ने आरोप लगाया कि जब से जन सेवा अस्पताल को कोरोना पॉजिटिव का इलाज शुरू करने की अनुमति दी गई है. उसके बाद लगातार इस प्रकार की शिकायतें मिल रही है. आरोप है कि जनसेवा अस्पताल में भर्ती होने वाले कोरोना रोगियों से जबरदस्ती वसूली की जाती है. जबकि, सरकार की गाइडलाइंस के मुताबिक पॉजिटिव रोगियों से नाम मात्र की फीस के साथ सस्ता इलाज किया जाना जरूरी है. ऐसे में निजी अस्पतालों को दी गई छूट पर रोक लगाई जाए.

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