श्रीगंगानगर. पानी की बूंद-बूंद को तरसते उत्तरी राजस्थान के सरहदी जिले श्रीगंगानगर में जब गंग कैनाल आई थी तो लोगों की खुशियों का ठिकाना ना था. साल था 1927, जब बीकानेर के पूर्व महाराजा गंगा सिंह के प्रयासों से ये नहर मरूभूमि में भागिरथी बनकर आई थी. बरसों तक इस नहर ने ना केवल लोगों की प्यास बूझाई बल्कि किसानों को भी खुशहाल बना दिया था. लेकिन आज वही गंग कैनाल लोगों के लिए बीमारियां लेकर आ रही है. ये एक कड़वा सच है, राजस्थान में पंजाब की नदियों से पहुंच रहे काले पानी का. वो काला पानी जो जिन्दगी में जहर घोल रहा है. जो हम नंगी आंखों से देख रहे हैं हालात इससे कई गुणा बदतर हैं.
श्रीगंगानगर की जीवनदायिनी कही जाने वाली गंग नगर में पंजाब की सतलुज नदी से आ रहा दूषित पानी लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है. जिसमें पंजाब की सैकड़ों औद्योगिक फैक्ट्रियों के अपशिष्ट व केमिकल युक्त गंदा पानी डाला जा रहा है. और यही पानी श्रीगंगानगर जिले में नहर के जरिए लोगों तक पहुंच रहा है. जिसे पीने को लोग मजबूर हैं.
बीकानेर के महाराजा गंगासिंह के भागिरथी प्रयासों से गंगनहर को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में लाया गया था. 1927 में लार्ड इरविन ने शिवपुर हैड से इसी गंगनहर में पानी छोड़कर शुभारंभ किया था. 129 किमी लंबी इस नहर की शुरूआत संखा गांव से होती है. जिसकी शाखाएं जिलेभर में 1280 किलोमीटर के दायरे में फैली हैं. इस नहर के आ जाने से जहां लोगों को पीने का पानी मिलने लगा था वहीं किसान भी खुशहाल होने लगे थे. अच्छी फसल होने से श्रीगंगानगर को धान का कटोरा कहा जाने लगा. लेकिन बीते 20 सालों से इस नहर में लगातार फैक्ट्रियों का अपशिष्ट मिलाया जाने लगा है. जिससे अब ये पानी पीने योग्य भी नहीं बचा है.
श्रीगंगानगर जिले में करीब 30 लाख आबादी है. जिले के 9 तहसील और 9 ब्लॉक क्षेत्र हैं जिसमें कुल 336 ग्राम पंचायतें हैं. इस पूरी आबादी का अधिकांश हिस्सा गंग नहर के पानी से ही अपनी प्यास बुझाता है. गंगनहर के आस-पास बसे अनेकों गांव के लोग यही दूषित पानी पी रहे हैं जिससे उनमें भयंकर बीमारियां पनप रही हैं. हमारे संवाददाता ने उस गांव से हालातों का जायजा लिया जहां से ये नहर राजस्थान में प्रवेश करती है.
चलिए बताते हैं आपको इस 'काले पानी' के प्रभाव
इस केमिकल युक्त दूषित पानी पीने से अब तक कितने लोगों की मौत हो चुकी है, इसका कोई स्पष्ट आंकड़ा तो नहीं. लेकिन हाल ही में जिले के लालेवाला गांव में दूषित पानी पीने से सुशीला नाम की महिला की मौत हो गई थी. दूषित पानी से जो बीमारियां बढ़ी हैं उनमें सबसे ज्यादा कैंसर के रोगी सामने आ रहे हैं. डॉक्टर्स की मानें तो पिछले 10 सालों में क्षेत्र में कैंसर के रोगी 20 से 30 फीसदी बढ़े हैं. हालांकि अभी तक इस मामले में किसी प्रकार की कोई रिसर्च तो नहीं हुई है लेकिन इसकी जरूरत है ताकि सच सामने आ सके.
चिकित्सकों के मुताबिक दूषित पानी से लोगों में कैंसर के अलावा, डायरिया, जोंयडिस, काला पीलिया, हैजा, चर्म रोग, पेट की कई गंभीर बीमारियां, किडनी की समस्या के साथ साथ खासतौर पर महिलाओं में बांझपन की समस्या भी आ सकती है. जिला अस्पताल से रिटायर्ड डॉक्टर पीयूष राजवंशी दूषित जल से फैल रही बीमारियों को लेकर गंभीर है और वे लोगों को जागृत करने में लगे हैं.
डॉक्टर राजवंशी की मानें तो पंजाब से आ रहे औद्योगिक फैक्ट्रियों के केमिकल युक्त अपशिष्ट व दूषित जल में हैवी मेटल्स आते हैं जो की नहरों की तलहटी में जम जाते हैं. मगर जब नहर में पानी कम आता है तब यही हेवी मेटल्स युक्त पानी लोगों के घरों में पहुंचता है जिसको पीने से लंबे समय बाद भयंकर बीमारियां होना स्वभाविक है.
पानी अगर दूषित हो जाए तो उसके कितने भयंकर परिणाम हो सकते हैं. इसको बताती है 2017 में आई एक रिपोर्ट. जिसके मुताबिक गंदे पानी से हर 4 घंटे में 1 मृत्यु होती है. 2017 में ही देश में दूषित पानी से होने वाली बीमारियों से करीब 1412 लोगों की मौत हुई थी. जबकि पानी से बीमार हुए लोगों का आंकड़ा तो एक करोड़ से भी पार कर गया. लेकिन इन परिणामों को लेकर ना तो सरकार गंभीर लगती है और ना ही वोट लेने वाले वो जनप्रतिनिधी जो शुद्ध पानी देन का दावा करते थे.