श्रीगंगानगर. जिले में बीते चार दिनों से शाम को बादलवाही व रात में आंधी बरसात का मौसम बना हुआ है. गुरुवार-शुक्रवार को आई आंधी व बारिश से धानमंडियों में गेहूं के तीन लाख से अधिक थैले भीग गए. खेतों में बोई हुई खरीफ की फसल खराब हो गई. शुक्रवार शाम तेज हवाओं के साथ हुई बारिश से जिले के विजयनगर, जैतसर,गजसिंहपुर, सूरतगढ़, पदमपुर, रायसिंहनगर की धानमंडीयो में खुले में पड़े 50 हजार गेहूं के बैग व किसानों की गेहूं की ढेरियां भीग गई.
विजयनगर,जैतसर की धानमण्डियों में एफसीआई द्वारा ख़रीदा गेंहू के साथ-साथ किसानों का खुले में पड़ा गेंहू ना केवल बारिश में पूरी तरह भीग गया. बल्कि खुले में मण्डी पिंडो में पड़ा गेंहू पानी में तैरता नजर आया. पिछले दो दिनों में कई गांवों में तो 20 से 25 मिमी बारिश का अनुमान है. शुक्रवार को दिन भर में बादलवाही रही. धानमण्डियों में गेंहू की बोरीयां को ढकने की व्यवस्था न होने के कारण अधिकांश बोरीयां भीग गए. कुछ बोरीयां के नीचे से पानी निकल गया. व्यापारियों, किसानों व एफसीआई स्टाफ ने बाहर पड़े कुछ बैग पर तिरपाल डाला. जबकि अधिकतर एफसीआई द्वारा ख़रीदा गेंहू उठाव ना होने के कारण खुले में पड़ा है.
श्रीविजयनगर मंडी में गेहूं के 1.5 लाख से अधिक थैले भीग गए. क्षेत्र में पिछले दो दिनों में आंधी तूफान के बाद आई बरसात से धानमण्डी में खुले में पड़ा गेहूं भीग गया. खरीद में तेजी व उठाव कम होने से मण्डी परिसर में समर्थन मूल्य पर खरीदा हुआ लगभग एक लाख क्विंटल गेहूं खुले में पड़ा है. मौसम साफ होने पर धूप में गेहूं सुखाया. भीगने से गेहूं के खराब होने की आशंका है. उधर करणपुर क्षेत्र में देर भी आंधी तूफान के बाद आई बरसात से धानमण्डी में खुले में पड़ा गेहूं भीग गया.
मंडी में किसानों का गेंहू भीगने से किसान मायूस है. और खरीद एजेंसी एफसीआई की लापरवाही बताते हुए उनके खिलाफ कारवाई की मांग कर रहे है. किसानों की माने तो मौसम ख़राब होने की आशंका के चलते पूर्व में किसानों द्वारा जिला कलेक्टर से मुलाकात करके ख़रीदे गेंहू का उठाव जल्दी करवाने की मांग की थी. जिला कलेक्टर ने जिला रसद अधिकारी व खरीद एजेंसी को उठाव में तेजी लाने के निर्देश भी दिए थे, मगर बावजूद इसके कोई कारवाई नहीं की गयी. जिससे किसानो को गेंहू भीगने से भारी नुकसान हुआ है.
उधर बारिश में भले ही एफसीआई का ख़रीदा हुआ गेंहू बड़ी मात्रा में भीग गया हो. लेकिन एफसीआई जिला मैनेजर लोकेश बह्मभट्ट अभी भी मानने को तैयार नहीं है और साफ़ इंकार कर रहे है की गेंहू भीगा नहीं है. तो क्या बारिश में भीगे गेंहू की तस्वीर झूठ बोल रही है या अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए सच्चाई पर पर्दा डाल रहे है.