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रेड अलर्ट : ट्रैफिक बत्तियां गुल...बिना हेलमेट और ओवर स्पीड आम बात, देखें श्रीगंगानगर का 'रियलिटी चेक'

श्रीगंगानगर में भले ही यातायात पुलिस ट्रैफिक नियमों की पालना करवाने व जागरुक करने के लिए सजग है मगर वाहन चालकों हेलमेट और सीट बेल्ट लगाना बोझ लगता है. ट्रैफिक नियम तोड़ने में पीछे नहीं रहते हैं. यहां के लोग यातायात नियमों का कितना पालन करते हैं ये जानने के लिए ईटीवी भारत ने एक रियलिटी चेक किया....

reality check of  traffic, ईटीवी भारत रियलिटी चैक
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Published : Sep 24, 2019, 9:56 PM IST

श्रीगंगानगर. ईटीवी भारत की टीम ने रियलिटी चेक करने के लिए श्रीगंगानगर के चार मुख्य चौराहों पर कैमरा फिक्स किए. शहर के सबसे व्यस्ततम सुखाड़िया सर्किल, गोल बाजार चौक, बीरबल चौक और मटका चौक पर हमनें ट्रैफिक हालातों के नजारे को कैद किया.

शहर की ट्रैफिक लाइटें अधिकांश समय बंद ही रहती हैं. तो वहीं सड़कों पर जगह-जगह बना रखे कट दुर्घटनाओं को न्योता देते हैं. यहां जेबरा क्रासिंग पर कोई गाड़ी रोके, इसकी कल्पना करना ही बेमानी है. ऐसे में वाहन चालक बाखबर होते हुए भी तमाम नियमों को ठेंगा दिखाते नजर आते हैं.

श्रीगंगानगर में देखें ईटीवी भारत का 'रियलिटी चेक'

ट्रैफिक प्रभारी कुलदीप चारण बताते हैं कि उनकी प्राथमिकता चालान करना नहीं लोगों को जागरूक करना रहती है और साथ हा यातायात को सुचारू बनाना. जिसमें ट्रैफिक पुलिस काफी हद तक कामयाब भी हो रही है.

पढ़ेंः राजस्थान में बाढ़ से 964 करोड़ रुपए का नुकसान, आर्थिक मदद के लिए केन्द्र को अंतरिम मेमोरेंडम भेजेगी सरकार

शहर में चालान के आंकड़े

शहर में सबसे ज्यादा चालान बिना हेलमेट वालों के काटे जाते हैं. आंकड़ों की बात करें तो साल 2018 में जनवरी से अगस्त के बीच बिना हेलमेट 16788, बिना सीट बेल्ट के 10296, ड्रिंक विद ड्राइव 1603 और ओवर स्पीड के 4670 चालान बनाए गए. वहीं 2019 में 11482 बिना हेलमेट, 7224 बिना सीट बेल्ट, 3859 ओवर स्पीड और ड्रिंक विद ड्राइव 1203 के चालान बनाए गए.

जिले के 'डेथ पॉइन्ट'

जिले के दुर्घटना संभावित क्षेत्रों की बात करें तो हनुमानगढ़ रोड़, कैंची, माणकसर चौराहा सूरतगढ़, मोरजण्डा खारी लिंक रोड़ प्रमुख हैं. शहर के भीतर हादसे कम ही होते हैं. लेकिन जिले में हादसों की कमी नहीं है.

reality check of  traffic, ईटीवी भारत रियलिटी चैक
शहर में हादसे और उसमें मरने वालों के आंकड़े

शहर में हादसे और उसमें मरने वालों के आंकड़े

हादसों के आंकड़ों की बात करें तो जनवरी से अगस्त के बीच साल 2017 में 316 सड़क दुर्घटनाओं में 264 लोग घायल हुए और 87 लोगों की मौत हुई. साल 2018 में 292 हादसों में 81 घायल और 43 लोगों की मौत हुई. वहीं साल 2019 में कुल 34 सड़क हादसे सामने आ चुके हैं, जिनमें 84 घायल और 19 लोगों की मौत हो चुकी है.

पढ़ेंः चर्चित मामला : 4 माह की बेटी की हत्या की आरोपी मां कोर्ट से बरी, AC के केबिनेट में मिली थी लाश

शहर में दुर्घटनाओं को रोकने के लिए यातायात पुलिस कानून का सख्ती से पालना करवाती है. श्रीगंगानगर शहर में ट्रैफिक व्यवस्था पहले के मुकाबले कुछ सुधरी जरूर है लेकिन ट्रैफिक लाइट्स खराब रहने के कारण वाहन चालक तेज गति से वाहन चलाते हैं और हादसे सामने आते हैं.

श्रीगंगानगर. ईटीवी भारत की टीम ने रियलिटी चेक करने के लिए श्रीगंगानगर के चार मुख्य चौराहों पर कैमरा फिक्स किए. शहर के सबसे व्यस्ततम सुखाड़िया सर्किल, गोल बाजार चौक, बीरबल चौक और मटका चौक पर हमनें ट्रैफिक हालातों के नजारे को कैद किया.

शहर की ट्रैफिक लाइटें अधिकांश समय बंद ही रहती हैं. तो वहीं सड़कों पर जगह-जगह बना रखे कट दुर्घटनाओं को न्योता देते हैं. यहां जेबरा क्रासिंग पर कोई गाड़ी रोके, इसकी कल्पना करना ही बेमानी है. ऐसे में वाहन चालक बाखबर होते हुए भी तमाम नियमों को ठेंगा दिखाते नजर आते हैं.

श्रीगंगानगर में देखें ईटीवी भारत का 'रियलिटी चेक'

ट्रैफिक प्रभारी कुलदीप चारण बताते हैं कि उनकी प्राथमिकता चालान करना नहीं लोगों को जागरूक करना रहती है और साथ हा यातायात को सुचारू बनाना. जिसमें ट्रैफिक पुलिस काफी हद तक कामयाब भी हो रही है.

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शहर में चालान के आंकड़े

शहर में सबसे ज्यादा चालान बिना हेलमेट वालों के काटे जाते हैं. आंकड़ों की बात करें तो साल 2018 में जनवरी से अगस्त के बीच बिना हेलमेट 16788, बिना सीट बेल्ट के 10296, ड्रिंक विद ड्राइव 1603 और ओवर स्पीड के 4670 चालान बनाए गए. वहीं 2019 में 11482 बिना हेलमेट, 7224 बिना सीट बेल्ट, 3859 ओवर स्पीड और ड्रिंक विद ड्राइव 1203 के चालान बनाए गए.

जिले के 'डेथ पॉइन्ट'

जिले के दुर्घटना संभावित क्षेत्रों की बात करें तो हनुमानगढ़ रोड़, कैंची, माणकसर चौराहा सूरतगढ़, मोरजण्डा खारी लिंक रोड़ प्रमुख हैं. शहर के भीतर हादसे कम ही होते हैं. लेकिन जिले में हादसों की कमी नहीं है.

reality check of  traffic, ईटीवी भारत रियलिटी चैक
शहर में हादसे और उसमें मरने वालों के आंकड़े

शहर में हादसे और उसमें मरने वालों के आंकड़े

हादसों के आंकड़ों की बात करें तो जनवरी से अगस्त के बीच साल 2017 में 316 सड़क दुर्घटनाओं में 264 लोग घायल हुए और 87 लोगों की मौत हुई. साल 2018 में 292 हादसों में 81 घायल और 43 लोगों की मौत हुई. वहीं साल 2019 में कुल 34 सड़क हादसे सामने आ चुके हैं, जिनमें 84 घायल और 19 लोगों की मौत हो चुकी है.

पढ़ेंः चर्चित मामला : 4 माह की बेटी की हत्या की आरोपी मां कोर्ट से बरी, AC के केबिनेट में मिली थी लाश

शहर में दुर्घटनाओं को रोकने के लिए यातायात पुलिस कानून का सख्ती से पालना करवाती है. श्रीगंगानगर शहर में ट्रैफिक व्यवस्था पहले के मुकाबले कुछ सुधरी जरूर है लेकिन ट्रैफिक लाइट्स खराब रहने के कारण वाहन चालक तेज गति से वाहन चलाते हैं और हादसे सामने आते हैं.

Intro:श्रीगंगानगर : केंद्र सरकार ने सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए देशभर में यातायात नियमों में बदलाव करते हुए सख्त कानून बनाया है. नए नियमों के लागू होने के बाद इनके उल्लंघन पर अब 10 गुना तक ज्यादा जुर्माना देना होगा. केंद्र सरकार ने सफर को सुरक्षित बनाने के लिए हाल ही में मोटर वाहन संशोधन अधिनियम 2019 के जरिए कई नियमों में बदलाव किया है. लेकिन श्रीगंगानगर जिले में वाहन चालक यातायात नियमों की किस तरह पालना करते हैं यह अब तक के आंकड़े बता रहे हैं. शहर में भले ही यातायात पुलिस ट्रैफिक नियमों की पालना करवाने व लोगों को नियमों की जानकारी देने के लिए सजग है मगर फिर भी वाहन चालक ट्रैफिक नियम तोड़ने में पीछे नहीं रहते हैं.शहर की ट्रैफिक लाइटें बंद पड़ी है. तो वहीं सड़कों पर जगह-जगह बना रखे कट दुर्घटनाओं को न्योता देते हैं. हालांकि यातायात पुलिस दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कानून की सख्ती से पालना करवाती है। श्रीगंगानगर शहर में ट्रैफिक व्यवस्था पहले के मुकाबले कुछ सुधरी जरूर है लेकिन ट्रैफिक लाइट्स खराब रहने के कारण वाहन चालक ना केवल ट्रैफिक रेड लाइट की पालना नहीं करते हैं बल्कि जेबरा लाइन को भी अनदेखा करके सड़क पर तेज गति से वाहन चलाते हैं।


Body:ट्रैफिक प्रभारी कुलदीप चारण बताते हैं कि यातायात पुलिस की वाहनों की चालान करने की कोई प्राथमिकता नहीं रहती है बल्कि यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाने की प्राथमिकता है।जिसमें ट्रैफिक पुलिस काफी हद तक कामयाब भी हो रही है।पिछले वर्ष की बात करें तो यातायात पुलिस ने नियमों को तोड़ने वाले 49 हजार वाहन चालकों के चालान किए थे,जबकि इस वर्ष अब तक करीब 40 हजार वाहन चालकों के चालान यातायात नियमों की पालना नहीं करने पर किए गए हैं। अधिकतर दुपहिया वाहन चालक बगैर हेलमेट के वाहन चलाते हैं।जिसके चलते सबसे अधिक चालान उनके हुए हैं तो वहीं फोर व्हीलर चालकों ने वाहनों को ओवर स्पीड चला कर यातायात नियमों को तोड़ा है। इसके साथ-साथ सीट बेल्ट व क्षमता से अधिक सवारियां बिठाने के नियमों को भी वाहन चालकों ने ठेंगा दिखाया है। जिसकी वजह से यातायात पुलिस ने इनके चालान किए हैं। श्रीगंगानगर शहर में मुख्य रूप से आठ चौराहे हैं जहां ट्रैफिक पुलिस यातायात को नियंत्रित करने में लगी रहती है। मगर वाहन चालक नियमों को ठेंगा दिखाने में भी पीछे नहीं रहते हैं।जिसकी वजह से उन्हें चालान के रूप में दण्ड भी मिलता है। वही जैन कॉलेज के पास हुई कई सड़क दुर्घटनाओं में मौतों के बाद अब इस जगह को यातायात पुलिस ने डेथ पॉइंट घोषित कर दिया है। यातायात प्रभारी बताते हैं कि वाहन चालक अक्सर छोटी सी गलती करके अपने जीवन को मौत के मुंह में धकेल देते हैं। ऐसे में सड़क पर वाहन चलाते समय नियमों की पालना करें ताकि दुर्घटनाओं से बचाव हो सके। वहीं पिछले 5 सालों में 50 घरों के चिराग इस वजह से बुझ गए कि वाहन चालकों ने वाहन चलाते समय लापरवाही से वाहन चलाया था। भगतसिंह चौराहे पर यातायात व्यवस्था सही करने में जुटे यातायात पुलिस के सिपाही अरुण मीना बताते है कि नोजवान युवा यातायात नियमो को तोड़कर खुद को बड़ा समझते है जबकि दुर्घटनाओ को रोकने के लिए नियमो किं पालन जरूरी है। इसी तरह बीरबल चौक पर ट्रेफिक व्यवस्था में तैनात हवलदार भवँर बताते है कि लोगो को जागरूक करने के बाद भी लोग ट्रेफिक नियमो की पालना नही करना चाहते है।

बाइट : अरुण मीणा, सिपाही,ट्रेफिक पुलिस
बाइट : कुलदीप चारण, प्रभारी, यातायात पुलिस
बाइट : भँवर,हवलदार,यातायात पुलिस।


Conclusion:यातायात नियमो की पालना में जुटी यातायात पुलिस।
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