श्रीगंगानगर. कोरोना की जंग में जान जोखिम में डाल दिन-रात एक कर काम करने वाले कोरोना वारियर्स से दुर्व्यवहार का मामला में हडकंप मच गया गया है. दरअसल, होम क्वॉरेंटाइन के दौरान मंगलवार को आधी रात को बाहर निकालने के मामले को जब ईटीवी भारत ने दिखाना शुरू किया तो इस मामले ने तूल पकड़ लिया. इस मामले में बुधवार देर रात एक बैठ रखी गई. तकरीबन 3 घंटे तक चली इस बैठक में कोविड-19 की प्रभारी आरएएस डॉ. हरीतिमा ने बैठक में कोरोना वारियर्स को रात में होटल से बाहर निकालने के मामले में डिप्टी सीएमएचओ डॉ. करण आर्य और नोडल अधिकारी डॉ. रफीक मोहम्मद को काफी खरी खोटी सुनाई.
इस दौरान डिप्टी सीएमएचओ करण आर्य ने कहा कि नोडल अधिकारी डॉ. रफीक मोहम्मद ने मंगलवार देर रात कॉल कर कहा कि होटल में ठहरे नर्सिंगकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निकाला जाए, जिसके बाद उन्होंने पीएमओ कामरा को फोन कर कहा कि कुछ नर्सिंगकर्मी अवैध रूप से रुके हुए है, जिन्हें बाहर निकाला जाए. इस पर डॉ. पवन सैनी ने डिप्टी सीएमएचओ को कहा कि तब आपने नर्सिंगकर्मियों को होटल खाली करवाने का बात क्यों कही गयी. साथ ही डॉ. सैनी ने कहा कि नर्सिंग एसोसिएशन अध्यक्ष रवींद्र शर्मा की ओर से फोन कर आधी रात को नर्सिंगकर्मियों को होटल से बाहर नहीं निकालने का निवेदन किया गया था, लेकिन आपने उनकी बात को अनसुना करते हुए उन्हें बाहर निकलवा दिया.
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इस मामले में जब ETV BHARAT ने जब डॉ. हरीतिमा से बात करने की कोशिश की तो वे कैमरे से बचती नजर आई. इसके बाद आरसीएचओ डॉ. हरबंस सिंह बराड़ ने इस मामले पर कहा कि उन्हें ऐसी कोई सूचना नहीं है. जब उनसे पूछा गया कि आइसोलेशन में काम करने वाले कोरोना वारियर्स को होटल से इस तरह बाहर निकालना एक प्रकार का संक्रमण फैलाना है. इस पर डॉ. बराड़ ने कहा कि ऐसा कोई बात नहीं है कि उन्हें होटल से बाहर निकाला गया हो. इसके बाद जब नोडल अधिकारी बनाए गए डॉ. रफीक की ओर से होटल में रुकने की बात पर उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं मालूम कि वे कहां रुके हुए है. वहीं, इस मामले में लगभग सभी अधिकारी अपना पल्ला झाड़ते हुए मामले को शांत कराते नजर आए.