सीकर. जिले में पिछले दिनों जगह-जगह हुई बारिश की वजह से एक तरफ जहां अनाज की फसलों को फायदा हुआ तो वहीं सब्जी की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई. ओलावृष्टि की वजह से सब्जियों को बड़ा नुकसान हुआ है. किसान मुआवजे की मांग कर रहे हैं. प्रशासन से सर्वे कराकर जल्द मुआवजा जारी करने की मांग की गई है.
जिले में साल के शुरूआती सप्ताह में मावठ का दौर चला और कई जगह जबरदस्त बरसात हुई. कई जगहों पर ओले भी गिरे. इस बारिश से गेहूं, जौ, चना की फसलों को फायदा हुआ. इन फसलों के लिए मावठ की यह बारिश हर बार संजीवनी साबित होती है. मावठ होने से पाला गिरने से राहत मिल जाती है. इलाके में हुई बारिश से पहले फसलों को पाला गिरने से नुकसान हुआ था.
ओलावृष्टि ने तोड़ी सब्जी किसानों की कमर
इलाके में हुई ओलावृष्टि ने सब्जी की खेती करने वाले किसानों की कमर तोड़ दी है. जिले में नीम का थाना, पाटन, रानोली, लोसल और दांतारामगढ़ के कई गांव में ओले गिरे थे. इसकी वजह से सब्जी की फसल को बड़ा नुकसान हुआ. गोभी, मटर और फलीदार सब्जियों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ. इसके साथ-साथ सरसों को भी काफी नुकसान हुआ है. ओलों की मार से सरसों का डंठल टूट जाता है. सब्जी किसानों ने प्रशासन से सर्वे कराकर जल्द मुआवजा देने की मांग की है.
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बीमा कंपनी और सरकार दोनों से मिलता है मुआवजा
फसल बीमा के प्रावधान के चलते नुकसान होने पर बीमा कंपनी उसकी भरपाई करती है. इसके अलावा सरकार भी किसानों के लिए राहत पैकेज की घोषणा करती है. ऐसे में किसानों की मांग है कि सरकार जल्द से जल्द सर्वे का काम पूरा कराकर मुआवजे का एलान करे.
यह होती है पूरी प्रक्रिया
किसी भी प्राकृतिक आपदा से फसलों को नुकसान होने पर सबसे पहले सर्वे करवाने के आदेश जारी होते हैं. राजस्व विभाग के पटवारी और कृषि विभाग के अधिकारी खेतों में जाकर सर्वे करते हैं. नुकसान का आंकलन करते हैं. इसके बाद इसकी रिपोर्ट कृषि विभाग और कलेक्टर को भेजी जाती है. बाद में सरकार नुकसान के आधार पर मुआवजे का आदेश जारी करती है. नुकसान के आकलन के बाद ही बीमा कंपनी में क्लेम के लिए आवेदन किया जाता है. इसके बाद ही कंपनी क्लेम देती है. सब्जी की खेती करने वाले किसानों की मांग है कि सरकार सर्वे का काम जल्द से जल्द कराए.