सीकर. साल 2016 से शुरू हुई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को पहली बार अनिवार्य नहीं कर ऐच्छिक किया गया था. इस बार काफी किसानों का इस योजना से मोहभंग हुआ है. कृषि विभाग का दावा है कि इस बार किसान इस योजना में बढ़े हैं. लेकिन बैंकों के रिकॉर्ड के मुताबिक काफी किसानों ने योजना छोड़ी है. कृषि विभाग केवल इस योजना में किसानों के बढ़ने का दावा कर रहा है, जबकि जितने किसान क्रेडिट कार्ड हैं. उनके मुताबिक किसानों ने योजना को छोड़ा भी है.
सीकर जिले के आंकड़ों पर गौर करें, तो इस बार 2,63,316 किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना बीमा करवाई है. इन किसानों से 14 करोड़ रुपए का प्रीमियम बीमा कंपनी में जमा हुआ है. इसके साथ-साथ 36 करोड़ रुपए राज्य सरकार ने और 36 करोड़ केंद्र सरकार ने किसानों के प्रीमियम के तौर पर जमा करवाए हैं. साल 2019 में खरीफ की फसल में 2,19,015 किसानों ने फसल बीमा का लाभ उठाया था.
इस आधार पर कृषि विभाग का कहना है कि इस बार 40,000 से ज्यादा किसान बढ़े हैं. लेकिन जिस वक्त 2016 में यह योजना लॉन्च हुई थी. उस वक्त जिले में 3,15,851 किसानों ने फसल बीमा करवाया था. उसके आधार पर काफी किसान इस बार कम हुए हैं. अब तक जो किसान बैंकों से कृषि लोन ले लेते थे. उनके लिए फसल बीमा करवाना अनिवार्य था. लेकिन इस बार पहली बार यह प्रावधान किया गया है कि जो किसान फसल बीमा नहीं करवाना चाहते हैं. वे इसे छोड़ भी सकते हैं.
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कृषि विभाग का कहना है कि जिले में ज्यादा किसानों ने फसल बीमा नहीं छोड़ी है, लेकिन बैंकों का कहना है कि फसल बीमा से किसानों का मोहभंग हुआ है, और काफी संख्या में किसानों ने फसल बीमा छोड़ी है. कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जिले में अब तक केवल 200 किसानों ने फसल बीमा छोड़ी है.
10 हजार से ज्यादा किसानों का हुआ मोहभंग
बैंक के अधिकारियों का कहना है कि जिन किसानों ने फसल बीमा छोड़ी है. उनके आंकड़े अभी तक पूरी तरह अपडेट नहीं हुए हैं. लेकिन हकीकत यह है कि जिले में 10,000 से ज्यादा किसानों ने फसल बीमा को छोड़ दिया है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि जरा तक किसानों को समय पर क्लेम नहीं मिल पाता है, और जितना प्रीमियम जमा करवाते हैं. उतना पैसा भी नहीं मिलता है.
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मुआवजा राशि नहीं मिलने से किसान परेशान
सीकर जिले की बात करें तो खरीफ की फसल में साल 2019 में बीमा कंपनी को 39 करोड़ रुपए का प्रीमियम मिला था. लेकिन मुआवजा केवल 14 करोड़ रुपए दिया गया. इसी तरह रबि की फसल में किसानों से 49 करोड़ रुपए की प्रीमियम ली गई और मुआवजा केवल 18 करोड़ रुपए दिया गया.
2018 में रबि में किसान और सरकार से मिलकर 44 करोड़ रुपए की प्रीमियम ली गई थी. लेकिन मुआवजा केवल 8 करोड़ रुपए दिया गया. इसी वजह से किसानों का किसी योजना से मोह भंग हुआ है.